बीजेपी मुख्यालय (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बीजेपी मुख्यालय पर पार्टी अध्यक्ष और दूसरे वरिष्ठ नेताओं के सचिवों के नाम पर ठगी करने वाले एक शख़्स के पकड़े जाने के बाद अब ऐसे मामलों के पीछे सक्रिय मास्टर माइंड की तलाश हो रही है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक़ मंगलवार को पकड़ा गया शख़्स एक मोहरा है। ऐसे लोगों के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। पूछताछ से पता चला है कि ये एक बड़ा गिरोह है जो ख़ासतौर से उत्तर-पूर्व के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को ठगने की कोशिश करता है। इसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया और आखिरकार इसमें कामयाबी मिली।
उत्तर-पूर्व के सांसद को आया था फोन
दरअसल हुआ यूं कि उत्तर-पूर्व के एक पूर्व सांसद को किसी व्यक्ति का फोन आया। उसने अपना परिचय पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के सचिव के तौर पर दिया और उसे संगठन में महत्वपूर्ण पद दिलाने का वादा किया। इस पूर्व सांसद ने शक होने पर बीजेपी मुख्यालय में सूचना दी। फिर इसे 11 अशोक रोड बुलाया गया और धर दबोचा गया। इसके साथ दो लोग और थे जो मुख्यालय के बाहर कार में बैठे थे और वहां से फ़रार हो गए। पकड़े गए शख़्स को पुलिस के हवाले कर दिया गया।
धरपकड़ के लिए पुलिस ने बिछाया जाल
पूछताछ में पता चला कि उसके जैसे कई लोगों की भर्ती नौकरी दिलाने वाली एक वेबसाइट के ज़रिए की गई। भर्ती करने वाले मास्टरमाइंड ने ये ध्यान रखा कि ऐसे लोगों को ही नौकरी पर रखा जाए जिनके नाम प्रमुख बीजेपी नेताओं के स्टाफ़ के लोगों के नाम जैसे ही हों। इन्हें बाकायदा परिचय पत्र दिए गए और बीजेपी के चिन्ह वाले विज़िटिंग कार्ड भी। इन्हें कहा गया कि वे बीजेपी मुख्यालय पर मंडराते रहें और शिकार की तलाश करें।
पार्टी अध्यक्ष हर सोमवार को जनता से मिलते हैं जबकि हर दिन कोई न कोई केंद्रीय मंत्री पार्टी मुख्यालय पर मौजूद रहता है। इनसे मिलने आने वाले लोगों से ये फ़र्ज़ी लोग मिलते थे। इनके निशाने पर ख़ासतौर से उत्तर-पूर्वी राज्यों और दूरदराज के इलाक़े से आने वाले कार्यकर्ता रहते थे। ये इनसे मिल कर काम कराने का भरोसा देते थे।
बीजेपी नेताओं का कहना है कि पैसों के लेन-देन का कोई मामला या शिकायत नहीं मिली है। इनके मुताबिक़ बीच-बीच में ऐसे मामले सामने आते रहते हैं और पार्टी सतर्कता से कदम उठाती है। पर जरूरी ये है कि इस गिरोह के पीछे सक्रिय शातिर दिमाग़ को पकड़ा जाए।
उनका कहना है कि हरियाणा चुनाव के समय भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। तब शिकायत मिली कि शाह के एक दूसरे सचिव के नाम पर कोई शख़्स फोन कर टिकट दिलाने का वादा कर रहा है। ये जानकारी मिलने के बाद खुद इस सचिव ने उस शख़्स को फोन किया और कहा कि वो टिकट चाहते हैं। इस शख़्स ने उन्हें मिलने के लिए बीजेपी मुख्यालय ही बुला लिया। पार्टी ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया मगर आखिरी मौके पर उसने चकमा दे दिया।
बीजेपी ने कहा, झांसे में आने से बचें लोग
बीजेपी का कहना है कि लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। उन्हें इस तरह के झांसे में आने से बचना होगा। दूसरी तरफ़ पुलिस इस मामले में आगे की कार्रवाई इसलिए नहीं कर सकी क्योंकि पैसे के लेन-देन का कोई सबूत नहीं मिला। जब ये पूछा गया कि बीजेपी ने किसी दूसरे का पहचान दिखाने का मामला क्यों नहीं दर्ज कराया, पार्टी ने कहा कि इस मामले में पुलिस तहक़ीक़ात कर रही है। ये भी कहा गया कि पकड़े गए लोग बेरोज़गार युवा हैं जिन्हें किसी गिरोह ने फंसाया है। लिहाजा अब कोशिश हो रही है इस गिरोह के पीछे सक्रिय मास्टर माइंड को पकड़ने की।
बीजेपी मुख्यालय कुछ साल पहले तब भी सुर्खियों में आया था जब तिजोरी में रखी मोटी रकम चोरी हो गई थी। पार्टी ने पुलिस में इसकी शिकायत नहीं की थी और मामले की अंदरूनी जाच की थी।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक़ मंगलवार को पकड़ा गया शख़्स एक मोहरा है। ऐसे लोगों के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। पूछताछ से पता चला है कि ये एक बड़ा गिरोह है जो ख़ासतौर से उत्तर-पूर्व के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को ठगने की कोशिश करता है। इसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया और आखिरकार इसमें कामयाबी मिली।
उत्तर-पूर्व के सांसद को आया था फोन
दरअसल हुआ यूं कि उत्तर-पूर्व के एक पूर्व सांसद को किसी व्यक्ति का फोन आया। उसने अपना परिचय पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के सचिव के तौर पर दिया और उसे संगठन में महत्वपूर्ण पद दिलाने का वादा किया। इस पूर्व सांसद ने शक होने पर बीजेपी मुख्यालय में सूचना दी। फिर इसे 11 अशोक रोड बुलाया गया और धर दबोचा गया। इसके साथ दो लोग और थे जो मुख्यालय के बाहर कार में बैठे थे और वहां से फ़रार हो गए। पकड़े गए शख़्स को पुलिस के हवाले कर दिया गया।
धरपकड़ के लिए पुलिस ने बिछाया जाल
पूछताछ में पता चला कि उसके जैसे कई लोगों की भर्ती नौकरी दिलाने वाली एक वेबसाइट के ज़रिए की गई। भर्ती करने वाले मास्टरमाइंड ने ये ध्यान रखा कि ऐसे लोगों को ही नौकरी पर रखा जाए जिनके नाम प्रमुख बीजेपी नेताओं के स्टाफ़ के लोगों के नाम जैसे ही हों। इन्हें बाकायदा परिचय पत्र दिए गए और बीजेपी के चिन्ह वाले विज़िटिंग कार्ड भी। इन्हें कहा गया कि वे बीजेपी मुख्यालय पर मंडराते रहें और शिकार की तलाश करें।
पार्टी अध्यक्ष हर सोमवार को जनता से मिलते हैं जबकि हर दिन कोई न कोई केंद्रीय मंत्री पार्टी मुख्यालय पर मौजूद रहता है। इनसे मिलने आने वाले लोगों से ये फ़र्ज़ी लोग मिलते थे। इनके निशाने पर ख़ासतौर से उत्तर-पूर्वी राज्यों और दूरदराज के इलाक़े से आने वाले कार्यकर्ता रहते थे। ये इनसे मिल कर काम कराने का भरोसा देते थे।
बीजेपी नेताओं का कहना है कि पैसों के लेन-देन का कोई मामला या शिकायत नहीं मिली है। इनके मुताबिक़ बीच-बीच में ऐसे मामले सामने आते रहते हैं और पार्टी सतर्कता से कदम उठाती है। पर जरूरी ये है कि इस गिरोह के पीछे सक्रिय शातिर दिमाग़ को पकड़ा जाए।
उनका कहना है कि हरियाणा चुनाव के समय भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। तब शिकायत मिली कि शाह के एक दूसरे सचिव के नाम पर कोई शख़्स फोन कर टिकट दिलाने का वादा कर रहा है। ये जानकारी मिलने के बाद खुद इस सचिव ने उस शख़्स को फोन किया और कहा कि वो टिकट चाहते हैं। इस शख़्स ने उन्हें मिलने के लिए बीजेपी मुख्यालय ही बुला लिया। पार्टी ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया मगर आखिरी मौके पर उसने चकमा दे दिया।
बीजेपी ने कहा, झांसे में आने से बचें लोग
बीजेपी का कहना है कि लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। उन्हें इस तरह के झांसे में आने से बचना होगा। दूसरी तरफ़ पुलिस इस मामले में आगे की कार्रवाई इसलिए नहीं कर सकी क्योंकि पैसे के लेन-देन का कोई सबूत नहीं मिला। जब ये पूछा गया कि बीजेपी ने किसी दूसरे का पहचान दिखाने का मामला क्यों नहीं दर्ज कराया, पार्टी ने कहा कि इस मामले में पुलिस तहक़ीक़ात कर रही है। ये भी कहा गया कि पकड़े गए लोग बेरोज़गार युवा हैं जिन्हें किसी गिरोह ने फंसाया है। लिहाजा अब कोशिश हो रही है इस गिरोह के पीछे सक्रिय मास्टर माइंड को पकड़ने की।
बीजेपी मुख्यालय कुछ साल पहले तब भी सुर्खियों में आया था जब तिजोरी में रखी मोटी रकम चोरी हो गई थी। पार्टी ने पुलिस में इसकी शिकायत नहीं की थी और मामले की अंदरूनी जाच की थी।
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