गुरु राघवेंद्र बैंक (Guru Raghavendra Bank) के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) एम. वासुदेव मइया (M Vasudev Maiya)सोमवार शाम को शहर में अपने घर के बाहर मृत पाए गए. पुलिस ने अभी तक एम वासुदेव मइया की मौत के कारण की पुष्टि नहीं की है. गुरु राघवेंद्र बैंक का मुख्यालय दक्षिण बेंगलुरु में है. गौरतलब है कि यह बैंक इस साल जनवरी में उस समय सुर्खियों में आया था जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 1,400 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय अनियमितताओं (Financial irregularities) की जांच शुरू की थी. केंद्रीय बैंक ने जनवरी के शुरू में अगले छह महीने तक कुछ प्रतिबंध लगाए थे, इसके तहत राघवेंद्र बैंक को आगे कोई लेनदेन करने की अनुमति नहीं थी और हर जमाकर्ता की निकासी (withdrawal) की राशि की अधिकतम सीमा 35,000 रुपये तय कर दी गई थी
इन प्रतिबंधों के बीच बैंक की शाखाओं में धनराशि निकालने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की कतार लगी थी. गौरतलबब है कि इस बैंक के जमाकर्ताओं में से ज्यादातर सेीनियर सिटीजन (वरिष्ठ नागरिक) हैं जो अपने खर्चों के लिए अपने निवेश से मिलने वाले ब्याज पर निर्भर हैं. एम वासुदेव मइया के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया गया था और उन्हें जनवरी में बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में हटा दिया गया था. मइया ने निकासी सीमा की घोषणा के बाद NDTV से कहा था कि निवेशकों को उनके पैसे वापस मिल जाएंगे क्योंकि बैंक ने ऋण देने से पहले पर्याप्त 'सिक्युरिटी अमाउंट' है.
बेंगलुरु साउथ के सांसद तेजस्वी सूर्या ने भी निवेशकों को घबराने के लिए नहीं कहा था. जून में, बैंक के बाहर कतारें फिर से देखी गईं जब RBI ने जमाकर्ताओं के लिए निकासी की राशि 35,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी थी. कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के बावजूद, कई वरिष्ठ नागरिक अतिरिक्त राशि को निकालने के लिए कतारों में खड़े नजर आए थे. धोखाधड़ी के मामले की जांच जारी रहने के साथ ही वासुदेव के घरपर जून में छापा मारा गया था. सरकार द्वारा धन की वसूली की देखरेख के लिए एक प्रशासक एसी दिवाकर की नियुक्ति की गई थी. उन्होंने जून में NDTV को बताया था कि अब तक 22 करोड़ रुपये वसूले जा चुके हैं.
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