नई दिल्ली:
झारखंड की राजधानी रांची स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद एवं 44 अन्य आरोपियों को बिहार पशुपालन विभाग से अवैध तरीके से करोड़ों रुपये निकालने का दोषी पाया। बिहार पशुपालन विभाग में 37.7 करोड़ रुपयों के इस भ्रष्टाचार को 'चारा घोटाला' नाम से जाना गया।
अब लालू प्रसाद यादव सज़ा के बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। लालू की संसद में सदस्यता के सवाल पर लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा है कि आदेश देखकर फैसला किया जाएगा।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को अन्य अपराधों के अलावा फर्जीवाड़ा, विश्वास भंग, धोखाधड़ी, बहीखातों में हेराफेरी और षडयंत्र के साथ ही भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम-1996 के तहत अधिकतम सात वर्ष की सजा हो सकती है।
चारा घोटाला मामले में दोषी पाए गए लालू और 37 अन्य लोगों के खिलाफ तीन अक्टूबर को पूरी सजा सुनाई जाएगी। आठ दोषियों को सोमवार को ही सजा सुना दी गई।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने सभी 45 आरोपियों को दोषी करार दिया है। सजा की घोषणा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए तीन अक्टूबर को की जाएगी। दोषी करार दिए जाने के बाद लालू प्रसाद को रांची स्थित बिरसा मुंडा कारागार ले जाया गया।
लालू प्रसाद और अन्य 37 की सजा की घोषणा तीन अक्टूबर को होगी। आठ दोषियों को सोमवार को ही सजा सुना दी गई।
सोमवार को सजा पाने वाले दोषियों में भाजपा के पूर्व विधायक ध्रुव भगत और पशुपालन विभाग के पूर्व सचिव के. अरुमुगम शामिल हैं। आठों दोषियों को तीन-तीन वर्ष कैद और 50 हजार रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है।
चारा घाटाला मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए अन्य लोगों में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता जगन्नाथ मिश्र और जनता दल-युनाइटेड (जदयू) के सांसद जगदीश मिश्र भी शामिल हैं।
बिहार के वर्ष 2000 में विभाजन के बाद चाईबासा जिला झारखंड में आ गया है। इसलिए चारा घोटाला से जुड़े कुछ मामले नवगठित राज्य झारखंड की निचली अदालत को स्थानांतरित हो गए।
लालू प्रसाद रविवार को पुत्र तेजस्वी के साथ विमान से रांची पहुंचे थे और रेलवे के अतिथि गृह में ठहरे थे। सोमवार को न्यायालय जाने के दौरान उन्होंने रांची के रातू रोड स्थित दुर्गा मंदिर में प्रार्थना की।
सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह, प्रभुनाथ सिंह और लालू के साले साधू यादव सहित कई राजद नेता फैसले के वक्त न्याय कक्ष में मौजूद थे।
इधर, दागी व सजायाफ्ता सांसदों व विधायकों का बचाव करने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश को कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा बकवास करार देने के बाद लालू प्रसाद और उनके भविष्य के लिए यह फैसला महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसी संभावना है कि इस अध्यादेश को वापस लिया जा सकता है। इस अध्यादेश के अनुसार दोषी सांसदों एवं विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा।
इस मामले में 56 लोगों को आरोपी बनाया गया था, लेकिन सुनवाई के दौरान सात आरोपियों की मौत हो गई, दो सरकारी गवाह बन गए, एक ने अपराध कबूल कर लिया और एक को आरोप से मुक्त कर दिया गया।
न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने 15 जुलाई को फैसले का दिन मुकर्रर किया था और 45 शेष आरोपियों से अदालत में पेश होने के लिए कहा था।
लालू प्रसाद ने झारखंड उच्च न्यायालय और इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली थी और इस मामले में न्यायाधीश बदले जाने की अपील की थी। दोनों न्यायालयों ने इस अपील को खारिज कर दिया था और उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई पूरी करने के निर्देश दिए गए थे।
1996 में हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच में लालू प्रसाद का नाम आने पर उन्होंने 1997 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
नवंबर 2000 में बिहार के विभाजन के बाद इस संबंध में 61 में से 54 मामले झारखंड स्थानांतरित कर दिए गए थे। सीबीआई की विभिन्न अदालतों ने 43 से अधिक मामलों में फैसला सुना दिया है। लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र को पांच मामलों में आरोपी बनाया गया था।
इस बीच, पड़ोसी राज्य बिहार में प्रशासन ने इस फैसले के मद्देनजर सोमवार को चेतावनी जारी कर दी है। राज्य प्रशासन ने राजद समर्थकों के प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए पहले से ही चेतावनी जारी कर दिया था।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "पुलिस मुख्यालय ने सभी पुलिस अधीक्षकों को अलर्ट रहने के निर्देश देते हुए चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद पर फैसला आने के बाद करीबी निगाह बनाए रखने की मांग की है।"
पुलिस के अनुसार, लालू के खिलाफ फैसला आने की संभावना के बीच राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित समर्थकों के सड़कों पर प्रदर्शन करने की गुप्त जानकारी मिलने पर अलर्ट जारी कर दिया गया।" उन्होंने बताया कि हिंसा पैदा करने की कोशिश की पड़ताल और इस पर नियंत्रण लगाने के लिए संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
अब लालू प्रसाद यादव सज़ा के बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। लालू की संसद में सदस्यता के सवाल पर लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा है कि आदेश देखकर फैसला किया जाएगा।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को अन्य अपराधों के अलावा फर्जीवाड़ा, विश्वास भंग, धोखाधड़ी, बहीखातों में हेराफेरी और षडयंत्र के साथ ही भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम-1996 के तहत अधिकतम सात वर्ष की सजा हो सकती है।
चारा घोटाला मामले में दोषी पाए गए लालू और 37 अन्य लोगों के खिलाफ तीन अक्टूबर को पूरी सजा सुनाई जाएगी। आठ दोषियों को सोमवार को ही सजा सुना दी गई।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने सभी 45 आरोपियों को दोषी करार दिया है। सजा की घोषणा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए तीन अक्टूबर को की जाएगी। दोषी करार दिए जाने के बाद लालू प्रसाद को रांची स्थित बिरसा मुंडा कारागार ले जाया गया।
लालू प्रसाद और अन्य 37 की सजा की घोषणा तीन अक्टूबर को होगी। आठ दोषियों को सोमवार को ही सजा सुना दी गई।
सोमवार को सजा पाने वाले दोषियों में भाजपा के पूर्व विधायक ध्रुव भगत और पशुपालन विभाग के पूर्व सचिव के. अरुमुगम शामिल हैं। आठों दोषियों को तीन-तीन वर्ष कैद और 50 हजार रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है।
चारा घाटाला मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए अन्य लोगों में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता जगन्नाथ मिश्र और जनता दल-युनाइटेड (जदयू) के सांसद जगदीश मिश्र भी शामिल हैं।
बिहार के वर्ष 2000 में विभाजन के बाद चाईबासा जिला झारखंड में आ गया है। इसलिए चारा घोटाला से जुड़े कुछ मामले नवगठित राज्य झारखंड की निचली अदालत को स्थानांतरित हो गए।
लालू प्रसाद रविवार को पुत्र तेजस्वी के साथ विमान से रांची पहुंचे थे और रेलवे के अतिथि गृह में ठहरे थे। सोमवार को न्यायालय जाने के दौरान उन्होंने रांची के रातू रोड स्थित दुर्गा मंदिर में प्रार्थना की।
सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह, प्रभुनाथ सिंह और लालू के साले साधू यादव सहित कई राजद नेता फैसले के वक्त न्याय कक्ष में मौजूद थे।
इधर, दागी व सजायाफ्ता सांसदों व विधायकों का बचाव करने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश को कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा बकवास करार देने के बाद लालू प्रसाद और उनके भविष्य के लिए यह फैसला महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसी संभावना है कि इस अध्यादेश को वापस लिया जा सकता है। इस अध्यादेश के अनुसार दोषी सांसदों एवं विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा।
इस मामले में 56 लोगों को आरोपी बनाया गया था, लेकिन सुनवाई के दौरान सात आरोपियों की मौत हो गई, दो सरकारी गवाह बन गए, एक ने अपराध कबूल कर लिया और एक को आरोप से मुक्त कर दिया गया।
न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने 15 जुलाई को फैसले का दिन मुकर्रर किया था और 45 शेष आरोपियों से अदालत में पेश होने के लिए कहा था।
लालू प्रसाद ने झारखंड उच्च न्यायालय और इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली थी और इस मामले में न्यायाधीश बदले जाने की अपील की थी। दोनों न्यायालयों ने इस अपील को खारिज कर दिया था और उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई पूरी करने के निर्देश दिए गए थे।
1996 में हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच में लालू प्रसाद का नाम आने पर उन्होंने 1997 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
नवंबर 2000 में बिहार के विभाजन के बाद इस संबंध में 61 में से 54 मामले झारखंड स्थानांतरित कर दिए गए थे। सीबीआई की विभिन्न अदालतों ने 43 से अधिक मामलों में फैसला सुना दिया है। लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र को पांच मामलों में आरोपी बनाया गया था।
इस बीच, पड़ोसी राज्य बिहार में प्रशासन ने इस फैसले के मद्देनजर सोमवार को चेतावनी जारी कर दी है। राज्य प्रशासन ने राजद समर्थकों के प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए पहले से ही चेतावनी जारी कर दिया था।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "पुलिस मुख्यालय ने सभी पुलिस अधीक्षकों को अलर्ट रहने के निर्देश देते हुए चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद पर फैसला आने के बाद करीबी निगाह बनाए रखने की मांग की है।"
पुलिस के अनुसार, लालू के खिलाफ फैसला आने की संभावना के बीच राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित समर्थकों के सड़कों पर प्रदर्शन करने की गुप्त जानकारी मिलने पर अलर्ट जारी कर दिया गया।" उन्होंने बताया कि हिंसा पैदा करने की कोशिश की पड़ताल और इस पर नियंत्रण लगाने के लिए संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
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