कश्मीर में बाढ़ से हुई तबाही ने लोगों को भारी दुख-दर्द दिया है और पीड़ितों के शोक की अंतहीन कहानियां हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं बिहार के रहने वाले जितेंद्र साहा, जो स्नैक्स बेचकर अपनी रोजी रोटी चलाते थे। बाढ़ उनके पूरे परिवार को लील गई। वह तीन मंजिला इमारत के मलबे में अपनी 20 वर्षीय बेटी के शव की तलाश कर रहे हैं।
समूचे शहर को जलमग्न कर देने वाली बाढ़ ने उनकी पत्नी, तीन बेटियों और एक बेटे को हमेशा-हमेशा के लिए उनसे जुदा कर दिया।
पिछले चार दिनों में साहा अपने परिवार के सदस्यों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं, लेकिन उनकी पत्नी और बड़ी बेटी के शव अब भी शहर के जवाहर नगर में एक मकान के मलबे के नीचे दबे हैं।
बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ने वाली अपनी बेटी प्रियंका को जीवन में बड़ा आदमी बनाने का साहा का सपना इस विपदा के साथ ही टूट गया।
बिहार निवासी साहा अपने परिवार के साथ 2001 में श्रीनगर आए थे जहां वह एक अस्पताल के बाहर स्नैक्स बेचने का काम करने लगे।
उन्होंने कहा, मैं श्रीनगर में स्नैक्स बेचकर अपनी आजीविका चलाता था। मेरी बड़ी बेटी मेधावी छात्रा थी। वह अधिकारी बनना चाहती थी।
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