नरेंद्र दाभोलकर (फाइल फोटो)
मुंबई:
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर हत्याकांड की जांच में जुटी सीबीआई ने दो साल बाद इस मामले में पहली गिरफ्तारी की है। पुणे की अदालत में पेशी के बाद आरोपी डॉ. वीरेन्द्र तावड़े को विशेष सीबीआई अदालत ने 16 जून तक सीबीआई हिरासत में भेज दिया है।
सीबीआई ने सनातन संस्था से जुड़े वीरेंद्र तावड़े को मुंबई से सटे पनवेल इलाके से गिरफ़्तार किया। गिरफ्तारी के बाद शनिवार को तावड़े को पुणे की अदालत में पेश किया गया। रिमांड के बाद सीबीआई के वकील बीपी राजू ने कहा मामला अभी बेहद अहम मोड़ पर है, इसलिए हम ज्यादा कुछ नहीं बता सकते। सबूत के तौर पर कुछ ईमेल हैं इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है। हमें 16 तारीख तक रिमांड मिली है। वहीं नरेन्द्र दाभोलकर के बेटे हामिद ने कहा सीबीआई ने कहा कि उन्हें शक है कि तावड़े हत्या के तीनों मामलों में शामिल है। वो उससे पूरी पूछताछ करना चाहते हैं। सीबीआई ने 7 दिनों की रिमांड मांगी थी उन्हें 6 दिन मिले हैं। मुझे लगता है इससे सीबीआई को आगे की जांच में मदद मिलेगी।
सूत्रों के मुताबिक डॉ. वीरेन्द्र तावड़े ईमेल के जरिये 2009 गोवा धमाकों के आरोपी सारंग अकोलकर के संपर्क में था। अकोलकर कई सालों से फरार है, उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी हो चुका है।
वहीं कोर्ट में ईएनटी सर्जन डॉ. तावड़े ने आरोप लगाया कि सीबीआई के अफसरों ने पूछताछ के दौरान उनके साथ मारपीट की। कोर्ट में सीबीआई ने कहा कि डॉ. तावड़े 2004 में एक सार्वजनिक सभा में डॉ. दाभोलकर के खिलाफ बोले थे, उसके बाद कई मौकों पर उन्होंने दाभोलकर की मुखालिफत की। एजेंसी का ये भी आरोप है कि हत्या में शामिल काली होंडा मोटर साइकिल जैसी बाइक डॉ. तावड़े के पास भी है।
सीबीआई ने डॉ. तावड़े के घर से छापेमारी में कई दस्तावेज़ों, मोबाइल फोन के मिलने का भी दावा किया है। 20 अगस्त 2013 को दो अज्ञात लोगों ने टहलने के दौरान डॉ. दाभोलकर की ओंकारेश्वर पुल के पास गोली मारकर हत्या कर दी थी जिसके बाद से यह पहली गिरफ़्तारी है। 2014 में हाईकोर्ट की दखल के बाद मामला पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया गया था।
हत्या के सुराग नहीं मिल रहे थे
दाभोलकर की हत्या का शक कुछ दक्षिणपंथी समूहों और कार्यकर्ताओं पर है। दाभोलकर महाराष्ट्र में लंबे समय से काला जादू और अंधविश्वास के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे थे। उनकी हत्या के मामले में कोई सुराग नहीं मिल पाने से महाराष्ट्र पुलिस की कड़ी आलोचना की जा रही थी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
इस मामले में कई छापे हुए और पूछताछ हुई लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। गौरतलब है कि इससे पहले 2009 में गोवा के शहर मरगांव में हुए ब्लास्ट में भी तावड़े आरोपी रहा है। सीबीआई ने कई दिनों तक तावड़े से पूछताछ की जिसके बाद शुक्रवार की रात उसकी गिरफ्तारी की गई है। बताया जा रहा है कि हत्या से जुड़े सबूत काफी धुंधले थे जिसकी वजह से मामले में गिरफ्तारी भी विलंब से हुई।
सीबीआई ने सनातन संस्था से जुड़े वीरेंद्र तावड़े को मुंबई से सटे पनवेल इलाके से गिरफ़्तार किया। गिरफ्तारी के बाद शनिवार को तावड़े को पुणे की अदालत में पेश किया गया। रिमांड के बाद सीबीआई के वकील बीपी राजू ने कहा मामला अभी बेहद अहम मोड़ पर है, इसलिए हम ज्यादा कुछ नहीं बता सकते। सबूत के तौर पर कुछ ईमेल हैं इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है। हमें 16 तारीख तक रिमांड मिली है। वहीं नरेन्द्र दाभोलकर के बेटे हामिद ने कहा सीबीआई ने कहा कि उन्हें शक है कि तावड़े हत्या के तीनों मामलों में शामिल है। वो उससे पूरी पूछताछ करना चाहते हैं। सीबीआई ने 7 दिनों की रिमांड मांगी थी उन्हें 6 दिन मिले हैं। मुझे लगता है इससे सीबीआई को आगे की जांच में मदद मिलेगी।
सूत्रों के मुताबिक डॉ. वीरेन्द्र तावड़े ईमेल के जरिये 2009 गोवा धमाकों के आरोपी सारंग अकोलकर के संपर्क में था। अकोलकर कई सालों से फरार है, उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी हो चुका है।
वहीं कोर्ट में ईएनटी सर्जन डॉ. तावड़े ने आरोप लगाया कि सीबीआई के अफसरों ने पूछताछ के दौरान उनके साथ मारपीट की। कोर्ट में सीबीआई ने कहा कि डॉ. तावड़े 2004 में एक सार्वजनिक सभा में डॉ. दाभोलकर के खिलाफ बोले थे, उसके बाद कई मौकों पर उन्होंने दाभोलकर की मुखालिफत की। एजेंसी का ये भी आरोप है कि हत्या में शामिल काली होंडा मोटर साइकिल जैसी बाइक डॉ. तावड़े के पास भी है।
सीबीआई ने डॉ. तावड़े के घर से छापेमारी में कई दस्तावेज़ों, मोबाइल फोन के मिलने का भी दावा किया है। 20 अगस्त 2013 को दो अज्ञात लोगों ने टहलने के दौरान डॉ. दाभोलकर की ओंकारेश्वर पुल के पास गोली मारकर हत्या कर दी थी जिसके बाद से यह पहली गिरफ़्तारी है। 2014 में हाईकोर्ट की दखल के बाद मामला पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया गया था।
हत्या के सुराग नहीं मिल रहे थे
दाभोलकर की हत्या का शक कुछ दक्षिणपंथी समूहों और कार्यकर्ताओं पर है। दाभोलकर महाराष्ट्र में लंबे समय से काला जादू और अंधविश्वास के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे थे। उनकी हत्या के मामले में कोई सुराग नहीं मिल पाने से महाराष्ट्र पुलिस की कड़ी आलोचना की जा रही थी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
इस मामले में कई छापे हुए और पूछताछ हुई लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। गौरतलब है कि इससे पहले 2009 में गोवा के शहर मरगांव में हुए ब्लास्ट में भी तावड़े आरोपी रहा है। सीबीआई ने कई दिनों तक तावड़े से पूछताछ की जिसके बाद शुक्रवार की रात उसकी गिरफ्तारी की गई है। बताया जा रहा है कि हत्या से जुड़े सबूत काफी धुंधले थे जिसकी वजह से मामले में गिरफ्तारी भी विलंब से हुई।
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