'तेजस' 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है
नई दिल्ली:
इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में पूरी तरह स्वदेशी लड़ाकू विमान 'तेजस' आसमान में गर्जना करते नज़र आएगा. 'तेजस' पहली बार 26 जनवरी की परेड में फ्लाई पास्ट में हिस्सा लेगा. राजपथ पर तीन 'तेजस' विमान आकाश में उड़ान भरते हुए विजयी प्रतीक अंग्रेजी के वी (V) के आकार में नज़र आएंगे.
देश में बने इस लड़ाकू विमान को पिछले साल जुलाई में ही भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. तेजस को लाइट कॉम्बेट एयरकाफ्ट यानी एलसीए भी कहा जाता है. इस विमान ने 2001 में पहली प्रोटोटाइप उड़ान भरी और तब से लेकर अब तक दो हज़ार घंटे से ज्यादा ये उड़ान भर चुका है.
ऐसा भी नहीं है कि राजपथ पर लोगों को केवल देशी 'तेजस' उड़ान भरता नजर आएगा बल्कि तेजस के साथ सुखोई, मिराज, मिग-29 और जगुआर जैसे 35 लड़ाकू विमानों की गड़गड़ाहट से पुरा आसमान थर्रा उठेगा.
परिवहन विमान 'सी-17' महिला पायलट उड़ाती दिखेंगी. वायुसेना के हेलीकॉप्टर और 400 किलोमीटर तक जमीन पर होने वाली हर हरकत पर नजर रखने वाले 'अवाक्स' भी आसमान में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे.
आपको ये बता दें कि दुनिया में गिनती के ही देश हैं जो खुद लड़ाकू विमान बनाते हैं. 'तेजस' को दिसंबर, 2013 में शुरुआती ऑपरेशनल क्लियरेन्स मिल चुका है और इस साल के अंत तक फाइनल ऑपरेशनल (एफओसी) क्लियरेन्स भी मिल जाने की उम्मीद है. इसका मतलब ये है की एफओसी मिलने के बाद ये लड़ाई में लड़ने के लिए तैयार हो जाएगा.
अगर इसकी खूबियों की बात करें तो यह 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है. इसमें हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइल लगी है तो जमीन पर निशाना लगाने के लिए आधुनिक लेजर गाइडेड बम लगे हुए हैं. अगर ताकत की बात करें तो पुराने मिग-21 से कही ज्यादा इक्कीस है और मिराज-2000 से इसकी तुलना कर सकते हैं. इसका फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जबदस्त है और हवा में कलाबाजी में इसका कोई सानी नहीं है.
यह बिना पूंछ का, कम्पाउण्ड-डेल्टा पंख वाला विमान है. विमान का आधिकारिक नाम तेजस 4 मई, 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था.
देश में बने इस लड़ाकू विमान को पिछले साल जुलाई में ही भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. तेजस को लाइट कॉम्बेट एयरकाफ्ट यानी एलसीए भी कहा जाता है. इस विमान ने 2001 में पहली प्रोटोटाइप उड़ान भरी और तब से लेकर अब तक दो हज़ार घंटे से ज्यादा ये उड़ान भर चुका है.
ऐसा भी नहीं है कि राजपथ पर लोगों को केवल देशी 'तेजस' उड़ान भरता नजर आएगा बल्कि तेजस के साथ सुखोई, मिराज, मिग-29 और जगुआर जैसे 35 लड़ाकू विमानों की गड़गड़ाहट से पुरा आसमान थर्रा उठेगा.
परिवहन विमान 'सी-17' महिला पायलट उड़ाती दिखेंगी. वायुसेना के हेलीकॉप्टर और 400 किलोमीटर तक जमीन पर होने वाली हर हरकत पर नजर रखने वाले 'अवाक्स' भी आसमान में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे.
आपको ये बता दें कि दुनिया में गिनती के ही देश हैं जो खुद लड़ाकू विमान बनाते हैं. 'तेजस' को दिसंबर, 2013 में शुरुआती ऑपरेशनल क्लियरेन्स मिल चुका है और इस साल के अंत तक फाइनल ऑपरेशनल (एफओसी) क्लियरेन्स भी मिल जाने की उम्मीद है. इसका मतलब ये है की एफओसी मिलने के बाद ये लड़ाई में लड़ने के लिए तैयार हो जाएगा.
अगर इसकी खूबियों की बात करें तो यह 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है. इसमें हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइल लगी है तो जमीन पर निशाना लगाने के लिए आधुनिक लेजर गाइडेड बम लगे हुए हैं. अगर ताकत की बात करें तो पुराने मिग-21 से कही ज्यादा इक्कीस है और मिराज-2000 से इसकी तुलना कर सकते हैं. इसका फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जबदस्त है और हवा में कलाबाजी में इसका कोई सानी नहीं है.
यह बिना पूंछ का, कम्पाउण्ड-डेल्टा पंख वाला विमान है. विमान का आधिकारिक नाम तेजस 4 मई, 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था.
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