जर्मनी में अपने जले हुए हाथ को दिखाती यास्मीन
बर्लिन:
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के जुल्म और उसके खौफ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक 17 साल की यजीदी लड़की यास्मीन ने इन दुर्दांत आतंकियों के चंगुल में दोबारा फंसने के खौफ से ही खुद को जला लिया. दरअसल कुछ समय पहले इस लड़की को आईएस के चंगुल से छुड़ाया गया था. आतंकी लड़ाकों ने इसका यौन शोषण किया था.
यह लड़की इराक के शरणार्थी शिविर में दो सप्ताह से रह रही थी. अचानक एक दिन उसे भ्रम हुआ कि आतंकी दोबारा उसके टेंट के बाहर तक पहुंच चुके हैं. वह खौफजदा हो गई और उसने उनकी गिरफ्त से बचने के लिए शिविर के भीतर ही खुद पर गैसोलीन डालकर जला लिया. दरअसल उसने सोचा कि जलने के बाद वह बदसूरत हो जाएगी और इसके चलते आईएस लड़ाके उसका फिर से बलात्कार नहीं करेंगे.
आईएस की क्रूरता से बचाई गईं यजीदी लड़कियों के लिए काम करने वाले जर्मन डॉक्टर किजोहान को जब कैंप में यास्मीन मिली तब उसका चेहरा बुरी तरह झुलसा हुआ था. यास्मीन आईएसआईएस आतंकियों के चंगुल से छुड़ाई गई 1100 लड़कियों में शुमार है. इनको जो मानसिक आघात लगा है उसके चलते फिलहाल जर्मनी में इनका इलाज किया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि तीन अगस्त, 2014 को आईएस आतंकियों ने उत्तरी इराक स्थित अल्पसंख्यक यजीदियों के गढ़ माने जाने वाले सिंजर इलाके पर कब्जा कर लिया था. इन्होंने वहीं यजीदी लड़कियों और महिलाओं को गुलाम बनाकर इन्हें बेचा. यास्मीन भी उन्हीं में से एक थी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यह लड़की इराक के शरणार्थी शिविर में दो सप्ताह से रह रही थी. अचानक एक दिन उसे भ्रम हुआ कि आतंकी दोबारा उसके टेंट के बाहर तक पहुंच चुके हैं. वह खौफजदा हो गई और उसने उनकी गिरफ्त से बचने के लिए शिविर के भीतर ही खुद पर गैसोलीन डालकर जला लिया. दरअसल उसने सोचा कि जलने के बाद वह बदसूरत हो जाएगी और इसके चलते आईएस लड़ाके उसका फिर से बलात्कार नहीं करेंगे.
आईएस की क्रूरता से बचाई गईं यजीदी लड़कियों के लिए काम करने वाले जर्मन डॉक्टर किजोहान को जब कैंप में यास्मीन मिली तब उसका चेहरा बुरी तरह झुलसा हुआ था. यास्मीन आईएसआईएस आतंकियों के चंगुल से छुड़ाई गई 1100 लड़कियों में शुमार है. इनको जो मानसिक आघात लगा है उसके चलते फिलहाल जर्मनी में इनका इलाज किया जा रहा है.
जर्मनी में अपने घर की बालकनी में 17 साल की यजीदी लड़की
उल्लेखनीय है कि तीन अगस्त, 2014 को आईएस आतंकियों ने उत्तरी इराक स्थित अल्पसंख्यक यजीदियों के गढ़ माने जाने वाले सिंजर इलाके पर कब्जा कर लिया था. इन्होंने वहीं यजीदी लड़कियों और महिलाओं को गुलाम बनाकर इन्हें बेचा. यास्मीन भी उन्हीं में से एक थी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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