नई दिल्ली:
लोकसभा में मत विभाजन के तहत मल्टी-ब्रांड रिटेल में एफडीआई पर मंगलवार को शुरू हुई चर्चा को आज आगे बढ़ाते हुए विपक्ष ने सरकार से अपने इस फैसले को वापस लेने का आग्रह किया और इस मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाने वाले राजनीतिक दलों को आगाह किया कि इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा।
जनता दल (युनाइटेड) के नेता शरद यादव ने सरकार से आग्रह किया कि उसे खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। यादव ने कहा कि संप्रग सरकार सदन में यह लड़ाई भले ही जीत सकती है, लेकिन इस नीति के दूरगामी परिणाम होंगे। खुदरा में एफडीआई पर मतदान से पहले यादव ने कहा, आप लड़ाई जीत सकते हैं.. लेकिन भावी पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।
शरद यादव ने केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की ओर इशारा करते हुए कहा, आपको इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। यादव ने कहा कि विपक्ष का इरादा सरकार को अस्थिर करने का नहीं है, बल्कि खुदरा में एफडीआई को वापस लेने का दबाव बनाने का है। शरद यादव ने कहा, हम देश को बचाने के लिए एफडीआई का विरोध कर रहे हैं.. वालमार्ट यहां मुनाफे के लिए है। यह देश के गरीबों के खिलाफ है.. और आप इसे थोप रहे हैं।
माकपा के बासुदेव आचार्य ने सरकार के इस दावे को गलत बताया कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लाने से किसानों और खुदरा क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत एफडीआई से किसानों और छोटे दुकानदारों का ही सबसे अधिक अहित होगा।
उन्होंने कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लाने से अगर रोजगार के अवसर बढ़ें, उत्पादन बढ़े या देश में नई तकनीक आए, तो वाम दल भी इसका समर्थन करने को तैयार हैं, लेकिन चूंकि इसका उल्टा होने जा रहा है, इसीलिए वे इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं।
माकपा नेता ने सरकार के इस आरोप को गलत बताया एफडीआई मुद्दे पर वामपंथी दलों में असंगति है। उन्होंने कहा कि इस मामले में असंगति सरकार में है। उन्होंने याद दिलाया कि एनडीए के शासन के समय जब एफडीआई लाने का प्रयास किया गया था, तब राज्यसभा में विपक्ष के नेता की हैसियत से वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसकी मुखालफत करते हुए पत्र तक लिखा था। यही नहीं उस समय लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक प्रियरंजन दासमुंशी ने एफडीआई लाने के राजग के प्रयास को 'राष्ट्र-विरोधी' तक करार दिया था।
जनता दल (युनाइटेड) के नेता शरद यादव ने सरकार से आग्रह किया कि उसे खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। यादव ने कहा कि संप्रग सरकार सदन में यह लड़ाई भले ही जीत सकती है, लेकिन इस नीति के दूरगामी परिणाम होंगे। खुदरा में एफडीआई पर मतदान से पहले यादव ने कहा, आप लड़ाई जीत सकते हैं.. लेकिन भावी पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।
शरद यादव ने केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की ओर इशारा करते हुए कहा, आपको इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। यादव ने कहा कि विपक्ष का इरादा सरकार को अस्थिर करने का नहीं है, बल्कि खुदरा में एफडीआई को वापस लेने का दबाव बनाने का है। शरद यादव ने कहा, हम देश को बचाने के लिए एफडीआई का विरोध कर रहे हैं.. वालमार्ट यहां मुनाफे के लिए है। यह देश के गरीबों के खिलाफ है.. और आप इसे थोप रहे हैं।
माकपा के बासुदेव आचार्य ने सरकार के इस दावे को गलत बताया कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लाने से किसानों और खुदरा क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत एफडीआई से किसानों और छोटे दुकानदारों का ही सबसे अधिक अहित होगा।
उन्होंने कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लाने से अगर रोजगार के अवसर बढ़ें, उत्पादन बढ़े या देश में नई तकनीक आए, तो वाम दल भी इसका समर्थन करने को तैयार हैं, लेकिन चूंकि इसका उल्टा होने जा रहा है, इसीलिए वे इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं।
माकपा नेता ने सरकार के इस आरोप को गलत बताया एफडीआई मुद्दे पर वामपंथी दलों में असंगति है। उन्होंने कहा कि इस मामले में असंगति सरकार में है। उन्होंने याद दिलाया कि एनडीए के शासन के समय जब एफडीआई लाने का प्रयास किया गया था, तब राज्यसभा में विपक्ष के नेता की हैसियत से वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसकी मुखालफत करते हुए पत्र तक लिखा था। यही नहीं उस समय लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक प्रियरंजन दासमुंशी ने एफडीआई लाने के राजग के प्रयास को 'राष्ट्र-विरोधी' तक करार दिया था।
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