Farmer's Tractor Rally : मंगलवार को गणतंत्र दिवस के परेड के साथ-साथ दिल्ली में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठन ट्रैक्टर रैली निकाल रहे हैं, जिसके लिए बकायदा प्लानिंग की गई थी और रूट वगैरह तय किया गया था लेकिन मंगलवार को कुछ अलग ही तस्वीर दिख रही है. दिल्ली-हरियाणा के बीच की सीमाओं पर प्रदर्शनकारी किसानों ने कई जगह पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ा और पैदल ही मार्च करते हुए आगे निकल गए. किसानों की कुछ जगहों पर पुलिस के साथ झड़प हुई है और पुलिस ने आंसू गैस के गोलों का भी इस्तेमाल किया है.
सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर हजारों प्रदर्शनकारी किसान जुटे हुए थे, जहां पर पुलिस ने बैरिकेड्स लगा रखे थे. गणतंत्र दिवस की परेड शुरू होने के बाद किसानों की रैली शुरू होने वाली थी, लेकिन सिंघु पर किसान आउटर रिंग रोड पर रैली निकालने की जिद कर रहे थे. प्रदर्शन करते हुए किसानों ने यहां पर पुलिस बैरिकैडिंग हटा दी और हाथों में तिरंगा लिए हुए पैदल ही आगे बढ़ गए. कुछ ऐसे ही हालात टिकरी बॉर्डर और चिल्ला बॉर्डर पर भी देखे गए.
सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के कुछ समूह पुलिस के अवरोधकों को तोड़कर दिल्ली में दाखिल हो गए. इसके बाद ये किसान काफी समय तक मुकरबा चौके पर बैठे, लेकिन फिर उन्होंने वहां लगाए गए बैरिकेड और सीमेंट के अवरोधक तोड़ने की कोशिश की. इसके बाद किसानों के समूह पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे.
इसके बावजूद कई ट्रैक्टर नजर आए, जिन पर तिंरगे लगे थे. इनके साथ पुरुष तथा महिलाएं ढोल पर नाचते नजर आए. सड़क के दोनों ओर खड़े स्थानीय लोग फूलों की बारिश भी कर रहे थे. कुछ किसान हाथ में विभिन्न किसान संगठनों के झंडे लिए और नारे लगाते पैदल चलते भी नजर आए. कुछ मोटर साइकिल और घोड़ों पर सवार थे.. लोग अपने ट्रैक्टरों के ऊपर खड़े होकर नारे लगाते और क्रांतिकारी गीत गाते भी दिखे.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किसानों के कुछ समूह अवरोधक तोड़कर राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हो गए. उन्होंने कहा, ‘पुलिस और किसानों के बीच इस बात को लेकर सहमति बनी थी कि वे निर्धारित समय पर परेड शुरू करेंगे, लेकिन वे जबरन दिल्ली में दाखिल हो गए. तय मार्ग के अनुसार उन्हें बवाना की ओर जाना था लेकिन उन्होंने आउटर रिंग रोड की ओर जाने की जिद शुरू कर दी.'
दिल्ली पुलिस ने वार्षिक गणतंत्र दिवस परेड के बाद किसानों को ट्रैक्टर परेड निकालने की रविवार को अनुमति दे दी थी. प्रदर्शनकारियों को कहा गया था कि वे राजपथ के जश्न को बाधित नहीं कर सकते, इस पर किसानों ने इस बात पर जोर दिया था कि उनकी परेड ‘शांतिपूर्ण' होगी.
(भाषा से इनपुट के साथ)
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