Farmer's Protests : कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कानूनों पर चर्चा के लिए समिति बनाने का आदेश दिया गया है. कोर्ट ने समिति में कई लोगों को सदस्य बनाया है, जिसमें शेतकरी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट भी शामिल हैं. घनवट का कहना है कि उनका मानना है कि इन कृषि कानूनों में सुधार की जरूरत है.
घनवट ने NDTV से कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट ने अच्छा निर्णय लिया है. धरना प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से विनती करता हूं कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के साथ बातचीत के लिए सामने आएं. अगर वह हमसे बातचीत करने समिति के सामने नहीं आएंगे तो हम बातचीत करने उनके पास जाएंगे.'
उन्होंने कहा कि 'नए कृषि सुधार के कानूनों में सुधार जरूरी है. हमें राजनीति नहीं, किसानों के हित में फैसला करना है. सरकार और किसान संगठनों, दोनों को अपनी अपनी बात पर अड़ना नहीं चाहिए.' घनवट ने यह भी कहा कि 'नए कृषि कानून बनाने से पहले किसान संगठनों के साथ ज्यादा चर्चा नहीं हुई जिस वजह से किसानों में कई तरह की गलतफहमी फैल गई है. अगर सरकार ने किसान संगठनों से पहले बात की होती तो यह आंदोलन आज नहीं होता.'
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किसानों की मांगों और उनकी चिंताओं को लेकर घनवट ने कहा कि 'किसानों को उनकी उपज की मार्केटिंग का अधिकार मिलना चाहिए. जिन किसानों को प्रोटेक्शन चाहिए उनको प्रोटेक्शन दिया जाए, जो किसान अपनी फसल की बिक्री की आजादी चाहते हैं उन्हें आजादी दी जाए. जिनको एमएसपी चाहिए उनके लिए एमएसपी के व्यवस्था बहाल रखी जाए. मेरी राय में नए कृषि सुधार कानूनों में सुधार बहुत जरूरी है.'
बता दें कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो समस्या का सबसे बेहतर समाधान चाहता है. CJI ने कहा कि 'हम यह चाहते हैं कि कोई जानकार व्यक्ति ( कमेटी) किसानों से मिले और पॉइंट के हिसाब से बहस करें कि दिक्कत कहां है.' कोर्ट ने समिति के सदस्यों के तौर पर हरसिमरत मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ प्रमोद कुमार जोशी (पूर्व निदेशक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन), अनिल घनवट के नाम दिए हैं.
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