किसान पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री के नाती के साथ कृषि मंत्री से मिले, कानूनों का समर्थन

कहा- देश में पहले हरित क्रांति हुई थी और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने यह साहसिक कदम उठाया है

किसान पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री के नाती के साथ कृषि मंत्री से मिले, कानूनों का समर्थन

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ संजय नाथ सिंह और अखिल भारतीय किसान संगठन के प्रतिनिधि.

नई दिल्ली:

अखिल भारतीय किसान संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) से मिलकर नए कृषि सुधार कानूनों (Farm Laws) को ऐतिहासिक बताते हुए इनका समर्थन किया है. पूर्व प्रधानमंत्री स्व लालबहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) के नाती व संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय नाथ सिंह (Sanjay Nath Singh) के नेतृत्व यह प्रतिनिधिमंडल तोमर से मिला. 

प्रतिनिधिमंडल ने तोमर से मुलाकात के दौरान कहा कि देश में पहले हरित क्रांति हुई थी और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने यह साहसिक कदम उठाया है जो भारतीय कृषि के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है और अवसर भी है. बैठक में तोमर ने बताया कि नए कानूनों के प्रावधान देश के बहुसंख्यक छोटे किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने वाले हैं. 

बुधवार को कृषि मंत्रालय में अखिल भारतीय किसान संगठन के प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक में मंत्री तोमर ने कहा कि नए कृषि कानूनों से किसानों को अपनी कृषि उपज उपभोक्ताओं तक पहुंचाना आसान होगा.

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती और ऑल इंडिया फार्मर्स एसोसिएशन के वर्किंग प्रेसिडेंट संजय नाथ सिंह ने एनडीटीवी से कहा कि सन 1965 में लाल बहादुर शास्त्री जी के कार्यकाल के दौरान किसानों को उनकी उपज की मार्केटिंग ना करनी पड़े इसके लिए एक न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था शुरू की गई थी. उस समय भारत को अनाज आयात करना पड़ता था. उस वक्त सोच यह थी कि किसानों को उनकी उपज की मार्केटिंग ना करनी पड़े. आज भारत अनाज सरप्लस देश बन गया है. यह जरूरी है कि किसानों को उनकी उपज की बिक्री की स्वतंत्रता मिले. 

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उन्होंने कहा कि MSP आज मैक्सिमम सपोर्ट प्राइस बन गया है. हमने कृषि मंत्री से मांग की है कि देश में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को रेगुलेट करने के लिए अथॉरिटी होनी चाहिए. साथ ही किसानों को उनकी उपज की सही कीमत मिल सके इसके लिए एक प्राइस मॉनिटरिंग कमेटी का गठन भी होना चाहिए.