
गाज़ियाबाद:
किसानों पर संकट के बादल गहराते जा रहे हैं। बेमौसम बारिश और ओलों से हुई तबाही का असर बढ़ता जा रहा है। मोदीनगर इलाके में ऐसे कई किसान हैं जिनकी फसल खराब हो चुकी है और जो मजबूर होकर बैंक का कर्ज़ चुकाने के लिए स्थानीय साहूकारों के जाल में फंसते जा रहे हैं। इसके लिए वो काफी ज़्यादा ब्याज पर कर्ज़ उठा रहे हैं।
मोदीनगर के खंजरपुर गांव के गन्ना किसान सोनू ने इस साल 20 बीघे में 2 लाख रुपये खर्च कर गन्ना बोया था। सारी उपज मोदीनगर के एक स्थानीय चीनी मिल को दे आए लेकिन 5 लाख का बकाया अभीतक नहीं मिला। सोनू ने अपनी गन्ने के ठीक बगल में गेहूं बोया था जो बेमौसम बारिश का शिकार होकर मुश्किलें और बढ़ा गया।
सोनू ने एनडीटीवी से कहा, '5 बीघे की फसल बर्बाद हो गयी है। अब ज़्यादा अनाज नहीं निकलेगा इसमें से, उधर गन्ने का पेमेंट नहीं मिला है, इधर गेहूं का नुकसान।'
दरअसल भारी बारिश का सबसे बुरा असर उन गन्ना किसानों पर पड़ा है जिन्होंने इस साल गन्ना के साथ-साथ गेहूं की फसल बोई थी। चीनी मिलों ने गन्ने का पैसा नहीं दिया और जो गेहूं की फसल थी वो बुरी तरह खराब हो चुकी है।
अब इन किसानों पर कर्ज़ चुकाने का दबाव भी बढ़ता जा रहा है। सोनू पर 2.50 से 3 लाख का कर्ज है फिर भी बैंक का लोन चुकाने के लिए मजबूरन नया कर्ज लेना पड़ा। वो भी 5 से 7 फीसदी महीने के रेट पर। सोनू कहते हैं, 'हम इधर-उधर से पैसा उठाते हैं कर्ज़ पर। बड़े लोग जो होते हैं उनसे कर्ज़ लेते हैं। काफी ब्याज़ लेते हैं 5 से 7 फीसदी, कभी कभी 10 फीसदी तक भी। मजबूरी में किसान को लोनन लेना पड़ता है, बैंक वाले आते हैं, कर्ज़ मांगते हैं, उन्हें कर्ज़ नहीं वापस करेंगे तो ज़मीन वापस चली जाएगी। एक-दो तीन लोगों से कर्ज़ लेना पड़ता है, इतनी मोटी रकम कोई एक आदमी देता नहीं है।'
अब किसी तरह परिवार अपना गुजर-बसर कर रहा है। सोनू के भाई बंटी नोएडा में होम-गार्ड की नौकरी करते हैं, खेती से कमाई नहीं होती लिहाजा छह हजार के लिए रोज ढाई घंटे का सफर कर नोएडा आना-जाना होता है। बंटी कहते हैं, 'कर्ज़ लेकर बच्चों को पढ़ा-लिखा रहे हैं, खेती में पैसा लगा रहे हैं। और कोई विकल्प भी नहीं है हमारे पास।'
जाहिर है जब तक सोनू और बंटी जैसे किसानों को उनकी फसल बर्बादी का मुआवजा नहीं मिलता या उनपर कर्ज पुनर्गठित नहीं किया जाता, कर्ज़ का फंदा उनपर कसता ही जाएगा।
मोदीनगर के खंजरपुर गांव के गन्ना किसान सोनू ने इस साल 20 बीघे में 2 लाख रुपये खर्च कर गन्ना बोया था। सारी उपज मोदीनगर के एक स्थानीय चीनी मिल को दे आए लेकिन 5 लाख का बकाया अभीतक नहीं मिला। सोनू ने अपनी गन्ने के ठीक बगल में गेहूं बोया था जो बेमौसम बारिश का शिकार होकर मुश्किलें और बढ़ा गया।
सोनू ने एनडीटीवी से कहा, '5 बीघे की फसल बर्बाद हो गयी है। अब ज़्यादा अनाज नहीं निकलेगा इसमें से, उधर गन्ने का पेमेंट नहीं मिला है, इधर गेहूं का नुकसान।'
दरअसल भारी बारिश का सबसे बुरा असर उन गन्ना किसानों पर पड़ा है जिन्होंने इस साल गन्ना के साथ-साथ गेहूं की फसल बोई थी। चीनी मिलों ने गन्ने का पैसा नहीं दिया और जो गेहूं की फसल थी वो बुरी तरह खराब हो चुकी है।
अब इन किसानों पर कर्ज़ चुकाने का दबाव भी बढ़ता जा रहा है। सोनू पर 2.50 से 3 लाख का कर्ज है फिर भी बैंक का लोन चुकाने के लिए मजबूरन नया कर्ज लेना पड़ा। वो भी 5 से 7 फीसदी महीने के रेट पर। सोनू कहते हैं, 'हम इधर-उधर से पैसा उठाते हैं कर्ज़ पर। बड़े लोग जो होते हैं उनसे कर्ज़ लेते हैं। काफी ब्याज़ लेते हैं 5 से 7 फीसदी, कभी कभी 10 फीसदी तक भी। मजबूरी में किसान को लोनन लेना पड़ता है, बैंक वाले आते हैं, कर्ज़ मांगते हैं, उन्हें कर्ज़ नहीं वापस करेंगे तो ज़मीन वापस चली जाएगी। एक-दो तीन लोगों से कर्ज़ लेना पड़ता है, इतनी मोटी रकम कोई एक आदमी देता नहीं है।'
अब किसी तरह परिवार अपना गुजर-बसर कर रहा है। सोनू के भाई बंटी नोएडा में होम-गार्ड की नौकरी करते हैं, खेती से कमाई नहीं होती लिहाजा छह हजार के लिए रोज ढाई घंटे का सफर कर नोएडा आना-जाना होता है। बंटी कहते हैं, 'कर्ज़ लेकर बच्चों को पढ़ा-लिखा रहे हैं, खेती में पैसा लगा रहे हैं। और कोई विकल्प भी नहीं है हमारे पास।'
जाहिर है जब तक सोनू और बंटी जैसे किसानों को उनकी फसल बर्बादी का मुआवजा नहीं मिलता या उनपर कर्ज पुनर्गठित नहीं किया जाता, कर्ज़ का फंदा उनपर कसता ही जाएगा।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं