किसान ने मुख्यमंत्री से कहा- मेरी फसल के लिए मुझे पैसे दे दो, वर्ना मैं खुदकुशी कर लूंगा

किसान ने मुख्यमंत्री से कहा- मेरी फसल के लिए मुझे पैसे दे दो, वर्ना मैं खुदकुशी कर लूंगा

गुरुवार को आत्महत्या करने की धमकी देता एक किसान।

मुंबई:

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उस समय सन्न रह गए जब वे मराठवाड़ा के सूखाग्रस्त इलाके के दौरे पर थे और एक किसान ने उनसे कहा, मेरे गन्ने की फसल का पैसा मुझे दीजिए, वर्ना मैं आत्महत्या कर लूंगा।

परभणी में मुख्यमंत्री फडणवीस एक किसानों की सभा को संबोधित कर रहे थे, तभी किसान माधव भलेराव खड़ा हुआ और बोला, कि पिछले छह महीने से राज्य सरकार में मंत्री पंकजा मुंडे की एक फैक्टरी ने उन्हें फसल के पैसे नहीं दिए हैं।

सभा में मौजूद सरकारी अधिकारियों और सैकड़ों किसानों के साथ मौजूद भलेराव कहते हैं, ' बीते छह महीने से हमें फसल का भुगतान नहीं मिला और अब तो चीनी कारखाने में कोई भी हमसे बात करने को तैयार नहीं।' उनका दुखड़ा सुन मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनका भुगतान जल्द ही कर दिया जाएगा।

इससे पहले पंकजा मुंडे के कार्यालय ने एनडीटीवी को कहा था कि वह पक्के तौर पर नहीं बता सकते कि भलेराव ने मंत्रालय के कारखाने को गन्ना सप्लाई किया था या नहीं, हालांकि वह अगले एक-दो महीने के अंदर वे उनकी बकाया रकम का आधा हिस्सा भुगतान कर देंगे।

भलेराव की अपील यह दिखाती है कि चीनी मिलों की किस प्रकार से काम कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि अत्यधिक उत्पाधन के चलते चीनी के दाम नीचे आ गए हैं और चीनी फैक्टरियों को काफी नुकसान हुआ है और इसी वजह से किसानों का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
 
ऐसे में सूखाग्रस्त मराठवाड़ा के किसानों की हालत और खराब हो रही, क्योंकि गन्ना की खेती में पानी का काफी प्रयोग होता है।
 
बता दें कि महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या की काफी घटनाएं होती हैं और ऐसे में इस पर अंकुश लगाने के कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री 20 घंटे दिन में काम कर रहे हैं और गांव गांव जाकर किसानों से मुलाकात कर रहे हैं। इस मुलाकात के जरिये वह किसानों को विश्वास दिला रहे हैं कि उनके जमीन, चारे और रोजगार की समस्या का निदान जल्द किया जाएगा।

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सीएम फडणवीस ने मवेशियों को मुफ्त चारा मुहैया कराने के लिए बने सरकारी शिविरों की तरफ इशारा करते हुए कहा, 'ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि अगस्त के महीने में चारे के लिए शिविर लगाना पड़ा हो। इससे ही पता चलता है कि यह सूखा कितना गंभीर है।' इसके साथ ही उन्होंने आज घोषणा की कि शहरों में पढ़ाई कर रहे किसानों के बच्चों की शिक्षा का खर्च सरकार वहन करेगी।