अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने गुरुवार को भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार लाना 'अहम कदम साबित हो सकते हैं' लेकिन इन सुधारों के बाद जिन लोगों को नया सिस्टम अपनाने में सबसे ज्यादा दिक्कते होंगी, उनकी मदद करना जरूरी है. IMF का यह बयान तब आया है, जब शुक्रवार को किसान संगठन, केंद्र सरकार से कानूनों पर नौवें राउंड की बातचीत करने जा रहे हैं.
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, IMF के कम्यूनिकेशंस डायरेक्टर गैरी राइस ने वॉशिंगटन में बुधवार को पत्रकारों के सामने कहा कि 'हमारा मानना है कि भारत के कृषि क्षेत्र में सुधार लाने की दिशा में कृषि विधेयक अहम कदम हैं. इन कदमों से किसानों को खरीददार से सीधा संपर्क करने का विकल्प मिलेगा. बिचौलिए की भूमिका को हटाकर वो अपनी उपज पर ज्यादा कमा पाएंगे. इससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी और ग्रामीण विकास को मदद मिलेगी.'
राइस ने आगे कहा कि 'हालांकि, यह बहुत अहम है कि इस नए सिस्टम को अपनाने के दौरान प्रभावित होने वालों की सुरक्षा की जाए.' उन्होंने कहा कि ऐसा सुधार से प्रभावित होने वालों को जॉब मार्केट में जगह देकर सुनिश्चित किया जा सकता है.
बता दें कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर नवंबर के अंत से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. वो सितंबर में संसद में पास किए गए कृषि कानूनों को वापस लेने और उन्हें उनकी फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने की मांग कर रहे हैं. सरकार किसानों को आश्वासन दे रही है कि ये कानून उनके हित में है लेकिन मुद्दे का अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है.
आठ चरणों की असफल बातचीत के बाद शुक्रवार को एक बार फिर किसान नेता केंद्र सरकार से मिल रहे हैं.
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