विज्ञापन
This Article is From May 15, 2015

राजस्थान : फर्जी मार्कशीट से बने सरपंच, अब भागे-भागे फिर रहे ग्रामीण नेता

राजस्थान : फर्जी मार्कशीट से बने सरपंच, अब भागे-भागे फिर रहे ग्रामीण नेता
जयपुर: राजस्थान सरकार ने हाल ही में पंचायत अध्यादेश पारित करके 2015 के पंचायती राज चुनावों में शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान रखा था। इसके तहत सरपंचों के लिए 8वीं पास और जिला परिषद सदस्यों के लिए 10वीं की मार्कशीट ज़रूरी कर दी गई थी, लेकिन जनता भी सिस्टम से पार पाना अच्छी तरह से जानती है।

राजस्थान में जहां 1872 सरपंच चुने गए हैं, उनमें से 746 के खिलाफ फ़र्ज़ी डिग्री और मार्कशीट लगाने के आरोप हैं। जैसे- दौसा के हिंगोता गांव में हाल ही में सरपंच चुनी गईं ममता कुमारी, जो फिलहाल फरार हैं, उन पर फ़र्ज़ी मार्कशीट और ट्रांसफर सर्टिफिकेट लगाकर चुनाव लड़ने का आरोप है। सिर्फ ममता ही नहीं, कई और सरपंच इस आरोप से घिरे हैं।

दरअसल राजस्थान में सरपंच का चुनाव लड़ने के लिए 8वीं पास होने का जो कानून पिछले साल बना है, उसकी वजह से राज्य के ग्रामीण हिस्सों के 80 फ़ीसदी लोग चुनाव लड़ने की योग्यता खो बैठे हैं। अब ये लोग फ़र्ज़ी सर्टिफिकेट के सहारे काम कर रहे हैं।

राजस्थान में पंचायती राज मंत्री रह चुके और अब गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने माना, 'जहां हज़ारों लोग चुने गए हैं वहां कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने गलत मार्कशीट देकर चुनाव लड़ा और जीता भी। अगर उनके खिलाफ FIR दर्ज हुई है तो कार्रवाही होगी।' उन्होंने माना कि सारे मिलाकर करीब 600-700 ऐसे मामले हैं।

फिलहाल सरकार के पास नौ हज़ार से ज़्यादा चुने गए सरपंचों में से 746 के खिलाफ शिकायतें मिली हैं, इनमें से 479 के खिलाफ FIR भी दर्ज हुई है। राज्य के टोंक ज़िले में पुलिस का एक पंचायत चुनाव प्रकरण सेल भी बना दिया गया है, जो इन मामलों की जांच कर रहा है। सेल ने हाल ही में एक महिला सरपंच शिमला देवी मीणा को गिरफ्तार भी किया है। वो टोंक के बाडोली गांव की सरपंच बनी थी। उन्होंने कोटा के एक अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल हर्बर्ट स्कूल का सर्टिफिकेट लगाया था।

पंचायत चुनाव प्रकरण सेल के प्रभारी और इस मामले के जांच अधिकारी भगवान सहाय शर्मा ने बताया, 'चुनाव के समय जो नाम निर्देशन फॉर्म हैं और ट्रांसफर सर्टिफिकेट हैं, उनकी जांच मैंने कोटा जाकर की। वहां जिला शिक्षा अधिकारी से भी संपर्क किया और हर्बर्ट चिल्ड्रन स्कूल की जांच की तो वहां से मार्कशीट जारी होने का सुबूत नहीं मिला।'

बाड़मेर का एक स्कूल तो ऐसा है, जिसने बहुत मन लगाकर जनता के नुमाइंदों की मदद की। कोटीदियों की धानी के इस सरकारी माध्यमिक स्कूल से 100 से ज़्यादा फर्ज़ी सर्टिफिकेट जारी किए गए। इनमें से 35 चुनाव जीत भी चुके हैं। फिलहाल पुलिस स्कूल के दस्तावेज़ों की जांच कर रही है।

जाहिर है, सरकार ने सोचा कि अनपढ़ लोग लोकतंत्र में सत्ता से दूर रहें तो बेहतर। लेकिन अनपढ़ लोगों ने पढ़े-लिखे लोगों के साथ मिलकर रास्ता निकाल लिया। आखिर ये लोग न होते तो उन्हें सर्टिफिकेट कहां से मिलते।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
सीतापुर में भेड़ियों का आतंक, महिला और बच्चों पर किया हमला, दहशत में लोग
राजस्थान : फर्जी मार्कशीट से बने सरपंच, अब भागे-भागे फिर रहे ग्रामीण नेता
जनता कब किसका स्टीयरिंग बदल दें...; बुलडोजर, जानवर और उपचुनाव पर अखिलेश यादव
Next Article
जनता कब किसका स्टीयरिंग बदल दें...; बुलडोजर, जानवर और उपचुनाव पर अखिलेश यादव
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com