गेट्स दंपत्ति का मानना है कि भारत में गरीबी उन्मूलन पर बहुत काम करना है
न्यूयॉर्क:
दुनिया के सबसे अमीर आदमी बिल गेट्स ने प्रधानमंत्री मोदी को 'स्वास्थ्य सेवा के खर्चे को दोगुना या दोगुना से भी ज्यादा' करने की सलाह दी है।
न्यू यॉर्क में एनडीटीवी से विशेष बातचीत में जन हितैषी काम करने वाले गेट्स और उनकी पत्नी मेलिंडा ने कहा कि फिलहाल भारत में स्वास्थ्य सेवा पर सकल घरेलू उत्पाद का महज़ 1 प्रतिशत ही खर्च किया जाता है और यह बहुत बड़ी चिंता की बात है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी से मिलने के बाद गेट्स ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा 'अकेले गैर सरकारी संस्थानों के जन-हितैषी काम से यह समस्या हल नहीं होगी। आंकड़े बहुत ज्यादा हैं। किसी कार्यक्रम के ज़रिए स्वास्थ्य सेवा के लिए पैसा मिलने के बावजूद इस क्षेत्र में मूलभूत खर्चे को तो बढ़ाना होगा। इसके लिए राज्य स्तर पर काम करना होगा और कर प्रणाली में स्पष्टता लाने के साथ ही तस्वीर और साफ हो जाएगी। लेकिन भारत को यकीनन अपना खर्चा दोगुना तो करना ही होगा ताकि कम से कम मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएं तो मिल सकें।'
उम्मीदों को पूरा भी करना पड़ेगा
प्रधानमंत्री के बारे में अपनी राय रखते हुए गेट्स ने कहा कि पीएम के उत्साह ने लोगों की अपेक्षाएं बढ़ा दी हैं। आर्थिक सेवाओं से लेकर स्वच्छता, कर प्रणाली और अफसरशाही में सुधार को लेकर अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। अब उनकी अगली चुनौती यह है कि लोगों की इन उम्मीदों को यथार्थ में बदलें। अगले कुछ साल उनके लिए अहम होंगे, हम उनके महत्वाकांक्षी योजनाओं को पूरा करने में मदद करने के लिए तैयार हैं लेकिन देश के लिए भी यह काफी रोमांचक समय है क्योंकि सब देखना चाहते हैं कि क्या यह सरकार पहले के मुकाबले तेज़ी से चल पाएगी।
भारत की विरोधाभास स्थितियों पर टिप्पणी करते हुए गेट्स ने कहा भारत में अमीरी और गरीबी की तस्वीर काफी मिली जुली सी है। जब आप दक्षिण अफ्रीका जाते हैं तो वहां का अमीर और गरीब तबगा काफी अलग अलग नज़र आता है। लेकिन भारत में मुकेश (अंबानी) का घर और कुछ बेहद ही गंदी बस्तियां सब कुछ एक साथ है। इससे होता यह है कि लोगों को ऐसे माहौल की इतनी आदत पड़ जाती है कि उन्हें अपने आसपास की गरीबी नज़र ही नहीं आती।
'हमारे यहां झोपड़पट्टियां नहीं हैं'
इस मामले पर आगे बोलते हुए गेट्स ने कहा 'मैं एक बार प्लेन से बैंगलोर जा रहा था और एक सहायक ने मुझसे कहा कि हमारे यहां झोपड़पट्टियां नहीं हैं और ठीक उसी वक्त हमारा प्लेन एक स्लम इलाके के ऊपर से गुज़रा। हमें विकास नज़र आता है लेकिन इसे भी नकारा नहीं जा सकता कि स्वच्छता और पोषण पर बहुत काम होना बाकी है। मोदी इस मामले पर रोशनी डाल रहे हैं और यह मायने रखता है।'
वहीं मेलिंडा गेट्स ने महिलाओं और लड़कियों की समानता के बारे में कहा 'हम कोशिश करते हैं कि अपने बेटे और बेटियों से एक जैसी बातें करें। बिल जब माइक्रोसॉफ्ट में व्यस्त रहते थे तो शनिवार को वह अपने लड़का और लड़की को साइंस पढ़ाते थे। ज़रूरी है कि पिता भी इस बात को माने की उनकी बेटी भी साइंस जैसे विषय में अच्छी हो सकती है। बेटियां भी अपने दिल की सुनें और अपने मन का करें।
न्यू यॉर्क में एनडीटीवी से विशेष बातचीत में जन हितैषी काम करने वाले गेट्स और उनकी पत्नी मेलिंडा ने कहा कि फिलहाल भारत में स्वास्थ्य सेवा पर सकल घरेलू उत्पाद का महज़ 1 प्रतिशत ही खर्च किया जाता है और यह बहुत बड़ी चिंता की बात है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी से मिलने के बाद गेट्स ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा 'अकेले गैर सरकारी संस्थानों के जन-हितैषी काम से यह समस्या हल नहीं होगी। आंकड़े बहुत ज्यादा हैं। किसी कार्यक्रम के ज़रिए स्वास्थ्य सेवा के लिए पैसा मिलने के बावजूद इस क्षेत्र में मूलभूत खर्चे को तो बढ़ाना होगा। इसके लिए राज्य स्तर पर काम करना होगा और कर प्रणाली में स्पष्टता लाने के साथ ही तस्वीर और साफ हो जाएगी। लेकिन भारत को यकीनन अपना खर्चा दोगुना तो करना ही होगा ताकि कम से कम मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएं तो मिल सकें।'
उम्मीदों को पूरा भी करना पड़ेगा
प्रधानमंत्री के बारे में अपनी राय रखते हुए गेट्स ने कहा कि पीएम के उत्साह ने लोगों की अपेक्षाएं बढ़ा दी हैं। आर्थिक सेवाओं से लेकर स्वच्छता, कर प्रणाली और अफसरशाही में सुधार को लेकर अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। अब उनकी अगली चुनौती यह है कि लोगों की इन उम्मीदों को यथार्थ में बदलें। अगले कुछ साल उनके लिए अहम होंगे, हम उनके महत्वाकांक्षी योजनाओं को पूरा करने में मदद करने के लिए तैयार हैं लेकिन देश के लिए भी यह काफी रोमांचक समय है क्योंकि सब देखना चाहते हैं कि क्या यह सरकार पहले के मुकाबले तेज़ी से चल पाएगी।
भारत की विरोधाभास स्थितियों पर टिप्पणी करते हुए गेट्स ने कहा भारत में अमीरी और गरीबी की तस्वीर काफी मिली जुली सी है। जब आप दक्षिण अफ्रीका जाते हैं तो वहां का अमीर और गरीब तबगा काफी अलग अलग नज़र आता है। लेकिन भारत में मुकेश (अंबानी) का घर और कुछ बेहद ही गंदी बस्तियां सब कुछ एक साथ है। इससे होता यह है कि लोगों को ऐसे माहौल की इतनी आदत पड़ जाती है कि उन्हें अपने आसपास की गरीबी नज़र ही नहीं आती।
'हमारे यहां झोपड़पट्टियां नहीं हैं'
इस मामले पर आगे बोलते हुए गेट्स ने कहा 'मैं एक बार प्लेन से बैंगलोर जा रहा था और एक सहायक ने मुझसे कहा कि हमारे यहां झोपड़पट्टियां नहीं हैं और ठीक उसी वक्त हमारा प्लेन एक स्लम इलाके के ऊपर से गुज़रा। हमें विकास नज़र आता है लेकिन इसे भी नकारा नहीं जा सकता कि स्वच्छता और पोषण पर बहुत काम होना बाकी है। मोदी इस मामले पर रोशनी डाल रहे हैं और यह मायने रखता है।'
वहीं मेलिंडा गेट्स ने महिलाओं और लड़कियों की समानता के बारे में कहा 'हम कोशिश करते हैं कि अपने बेटे और बेटियों से एक जैसी बातें करें। बिल जब माइक्रोसॉफ्ट में व्यस्त रहते थे तो शनिवार को वह अपने लड़का और लड़की को साइंस पढ़ाते थे। ज़रूरी है कि पिता भी इस बात को माने की उनकी बेटी भी साइंस जैसे विषय में अच्छी हो सकती है। बेटियां भी अपने दिल की सुनें और अपने मन का करें।
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