Exclusive: अंदर से ऐसी दिखती हैं भारत की यूरेनियम खदानें

झारखंड में जादूगोड़ा शहर के नरवापहाड़ में खदान का कामकाज पूरी तरह मशीनों पर निर्भर

Exclusive: अंदर से ऐसी दिखती हैं भारत की यूरेनियम खदानें

यलो केक को सूखने के बाद यूरेनियम ईंधन बनाने के लिए हैदराबाद भेजा जाता है.

खास बातें

  • झारखंड में जादूगोड़ा शहर के नरवापहाड़ में स्थित हैं ये खदानें
  • यहां सतह से 70 से लेकर 1000 मीटर की गहराई में मौजूद है यूरेनियम
  • चट्टानों को तोड़ने के बाद मशीनों के ज़रिये अयस्क निकाला जाता है
नई दिल्ली:

झारखंड में हरीभरी पहाड़ियों के काफी नीचे स्थित है भारत का यूरेनियम भंडार. झारखंड में जादूगोड़ा शहर के नरवापहाड़ में खदान का कामकाज पूरी तरह मशीनों पर निर्भर है. यहां यूरेनियम अयस्‍क तक पहुंचने के लिए आपको कई किलोमीटर तर खदान के अंदर बने भूमिगत हाईवे पर सफर करना पड़ सकता है. यह अयस्‍क सतह से 70 से लेकर 1000 मीटर की गहराई में मौजूद है.

अयस्‍क को निकालने के लिए करीब 300 से 400 टन पत्‍थर को ब्‍लास्‍ट और ड्रिल कर के सतह पर लाया जाता है. चट्टानों को तोड़ने के बाद मशीनों के ज़रिये अयस्क निकाला जाता है, फिर एक बड़ी मशीन में जटिल रासायनिक प्रक्रिया के ज़रिये रेडियोऐक्टिव पदार्थ को अलग किया जाता है.

 
uranium ore mining story 650 3

100 किलोग्राम यूरेनियम अयस्‍क से मात्र 37 ग्राम यूरेनियम कॉन्‍संट्रेट पाउडर, जिसे येलो केक के रूप में भी जाना जाता है, निकल पाता है. गौरतलब है कि भारत में पाए जाने वाले यूरेनियम की गुणवत्ता बहुत ही खराब है. भारत प्रतिवर्ष औसतन 400 टन यूरेनियम का उत्‍पादन करता है. वर्तमान समय में देश में 22 परमाणु रिएक्‍टर हैं जो 6780 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन करते हैं.
 
uranium ore mining story 650 1

यूरेनियम निकालने के बाद बचे हुए अपशिष्‍ट पदार्थ को जहां रखा जाता है उस जगह को ट्रेलिंग पॉन्‍ड कहा जाता है. आरोप लगाया जाता है कि ये ट्रेलिंग पॉन्‍ड प्रदूषण की बहुत बड़ी वजह हैं.
 
uranium ore mining story 650 2

जादूगोड़ा में यूरेनियम कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के अध्‍यक्ष और प्रबंध निदेशक सीके असनानी ने NDTV से कहा, 'यहां जिन खदानों में हम हम यूरेनियम निकालते हैं वह पूरी तरह सुरक्षित है. और जहां तक सवाल उस बात का है जिसमें कहा जाता है कि इस इलाके में पैदा होने वाले बच्‍चों में विकलांगता जैसे लक्षण पाए जाते हैं, तो इसके पीछे की वजह यह है कि यहां से बाहर खुदाई करना गलत और असुरक्षित है.'

VIDEO : ऐसी दिखती है खदान

NDTV को फाइनल प्रॉडक्ट यानी पीला केक बनाने की पूरी प्रक्रिया बनते देखने का मौका मिला. इस केक को बाद में यूरेनियम ईंधन बनाने के लिये हैदराबाद भेजा जाता है.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com