NDTV एक्सक्लूसिव : भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'स्टार्ट-अप देश' इस्राइल की सलाह

NDTV एक्सक्लूसिव : भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'स्टार्ट-अप देश' इस्राइल की सलाह

तेल अवीव:

भारत में पिछले साल लोकसभा चुनाव में शानदार बहुमत पाकर प्रधानमंत्री की गद्दी पर नरेंद्र मोदी के बैठने के बाद से इस्राइल के साथ रिश्तों ने नई ऊंचाइयां छुई हैं, और दोनों देशों के बीच रक्षा और तकनीकी से जुड़े कई समझौतों पर दस्तखत हुए हैं।

इसी साल अक्टूबर में हमारे राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी तेव अवीव और फिलस्तीन की यात्रा पर जाने वाले देश के पहले राष्ट्राध्यक्ष बन जाएंगे। राष्ट्रपति के अतिरिक्त दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों - नरेंद्र मोदी और बेंजामिन नेतन्याहू - के बीच भी अगले माह न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान मुलाकात की संभावना है, जिस तरह उनके बीच पिछले साल भी भेंट हुई थी।

तेल अवीव में NDTV से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि दोनों देशों के बीच 'शानदार दोस्ती' बन रही है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से नए-नए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए 'स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया' का नारा दिया था, और गौरतलब है कि नेतन्याहू का देश इसी 'स्टार्ट-अप' संस्कृति के लिए मशहूर है। सो, इस मुद्दे को लेकर नेतन्याहू का कहना था, "जहां तक 'स्टार्ट-अप देश' का मामला है, मेरे विचार में इसका उद्यमशीलता की भावना से गहरा ताल्लुक है... मैंने सिलिकॉन वैली में देखा, आपको या तो भारतीय लहजा सुनाई देता है, या हिब्रू... इन दोनों देशों में ही उद्यमों के लिए बेहद उत्साह भरा हुआ है..."

दोनों देशों के बीच इस तरह प्रशंसाओं के पुल बांधा जाना दरअसल पूरी तरह व्यापार से जुड़ा हुआ है, क्योंकि भारत इस समय इस्राइली सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा खरीदार है, जबकि भारत से सबसे ज़्यादा खरीदने वालों में रूस के बाद इस्राइल का स्थान दूसरा है।

पिछले साल के अंत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय नौसेना के लिए इस्राइली मिसाइलों की खरीद के लंबे अरसे से लटके हुए सौदे को मंजूरी दी थी, फिर भारत ने 52 करोड़ अमेरिकी डॉलर के इस्राइली टैंक-रोधी मिसाइलों का सौदा पक्का किया, और फिर संयुक्त रूप से तैयार की गई हवाई सुरक्षा प्रणाली ने भी एक बड़ा परीक्षण सफलतापूर्वक कर लिया।

नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2006 में ही, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, सिंचाई के क्षेत्र में नए विचारों (आइडिया) की खोज के उद्देश्य से इस्राइल की यात्रा की थी, जो इस क्षेत्र में काफी उन्नत है, और प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही वह दोनों देशों के बीच घनिष्ठतर संबंधों की दिशा में काम कर रहे हैं।

नरेंद्र मोदी के पूर्ववर्ती डॉ मनमोहन सिंह ने इस्राइल के साथ संबंधों को लगभग 'ठंडे बस्ते में' रखा हुआ था। नई दिल्ली स्थित ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में रणनीतिक अध्ययन विभाग के प्रमुख सी राजा मोहन का कहना है, "इस्राइल में बसे आलोचक साफ इशारा करते हैं कि भारत का रवैया उस समय इस्राइल के प्रति सही नहीं था - वह ढके-छिपे ढंग से तो इस्राइल से रिश्ता रख रहा था, लेकिन सार्वजनिक रूप से इस्राइल के साथ देखा जाना पसंद नहीं करता था... मोदी सरकार में ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है..."

इस साल की शुरुआत में इस्राइल के रक्षामंत्री मोशे यालौं ने भारत की यात्रा की थी, और कहा था, "पर्दे के पीछे" चला आ रहा रिश्ता अब सार्वजनिक हो रहा है... जुलाई माह में संयुक्त राष्ट्र बैठक के दौरान भारत उस समय भी गैरहाज़िर रहा था, जब पिछले साल गाज़ा संघर्ष में हुए युद्ध अपराधों को लेकर इस्राइल की निंदा के प्रस्ताव पर वोटिंग कराई गई।

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हालांकि भारत ने आधिकारिक रूप से यह भी कहा है, "फिलस्तीन को लेकर लंबे समय से चले आ रहे समर्थन के भारतीय रुख में कोई बदलाव नहीं आया है..."