'दो मोर्चों पर युद्ध की स्थिति, लेकिन सेना का मनोबल गिरा रही मोदी सरकार'; पूर्व रक्षामंत्री ने पूछे 8 सवाल

नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कांग्रेस नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान नहीं दे रही जबकि देश दो मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है.

'दो मोर्चों पर युद्ध की स्थिति, लेकिन सेना का मनोबल गिरा रही मोदी सरकार'; पूर्व रक्षामंत्री ने पूछे 8 सवाल

A.K.Antony ने कहा कि डिसइंगेजमेंट के साथ अपने पेट्रोलिंग प्वाइंट को छोड़ना और बफ़र ज़ोन बनाने का समझौता घुटने टेकने जैसा है.

नई दिल्ली:

पुलवामा हमले की दूसरी बरसी पर कांग्रेस ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि देश दो मोर्चों पर संकट का सामना कर रहा है, बावजूद इसके सरकार ने सेना का मनोबल कमजोर किया है. नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कांग्रेस नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान नहीं दे रही जबकि देश दो मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है.

एंटनी ने कहा,  "पाकिस्तान हमारे देश में आतंकवादियों को भेज रहा है, चीन अरुणाचल से लेकर लद्दाख तक कई प्वाइंट्स पर अतिक्रमण कर रहा है और जवानों की भारी तैनाती किए हुए है. हमारी सेना 24 घंटे वहां मुस्तैद है लेकिन उसे सरकार सपोर्ट नहीं कर रही, जबकि इसकी ज़रुरत है." पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि चीनी नेवी भी हमारी सीमा में घुसपैठ कर रही है. इन सबके बीच केंद्र सरकार ने सीमाओं की सुरक्षा के लिए ज़रुरी बजट में मामूली बढ़ोत्तरी की है.

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कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और कपिल सिब्बल के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए एंटनी ने कहा, "थल सीमा ही नहीं जल सीमा पर भी चीन का ख़तरा बढ़ा हुआ है लेकिन सरकार बजट में बढ़ोत्तरी नहीं करके सेना का मनोबल गिरा रही है." उन्होंने कहा, "गलवान घाटी कभी भी विवादित नहीं था. 1962 में भी नहीं. ये हमेशा भारत का हिस्सा था लेकिन पहली बार वहां हमारी सेना को शहादत देनी पड़ी है." कांग्रेस नेता ने कहा कि डिसइंगेजमेंट के साथ अपने पेट्रोलिंग प्वाइंट को छोड़ना और बफ़र ज़ोन बनाने का समझौता घुटने टेकने जैसा है.

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उन्होंने कहा कि कैलाश रेंज छोड़ना भी चौंकाने वाला फैसला है. फिंगर चार से आठ तक विवादित रहा है लेकिन भारत ने फिंगर 8 तक अपना दावा कभी नहीं छोड़ा. पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा, "जब डिफेंस मिनिस्टर ने संसद के बयान देकर कहा कि हमारी सेना फिंगर 3 तक रहेगी, तब, भारत का एक पोस्ट फिंगर 4 पर था, इस तथ्य को भुला दिया गया."  इसके साथ ही एक एंटनी ने मोदी सरकार से आठ सवाल पूछे हैं-

पहला प्रश्न, मोदी सरकार ने हमारी सेना के शौर्य और पराक्रम, उसको अंडरमाइन करने की कोशिश क्यों की है?

दूसरा सवाल, पूरा देश शांति चाहता है, परंतु शांति किस कीमत पर, क्या देश की सरजमीं को चीन को सौंप कर शांति स्थापित की जा सकती है? इसका जवाब मोदी सरकार को देना होगा.

तीसरा सवाल, मोदी सरकार ने गलवान वैली और पैंगोंग त्सो लेक इलाके के अंदर हमारी सरजमीं को चीन को सौंप दिया, इसलिए चीन से कोई समझौता राष्ट्रीय सुरक्षा और भूभागीय अखंडता से खिलवाड़ कर नहीं हो सकता.

चौथा प्रश्न, मोदी सरकार बताए कि उन्होंने गलवान वैली में जहाँ हमारे सैनिकों ने भारत की सरजमीं की सुरक्षा करते हुए शहादत दी, वहाँ पर पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से पीछे हमारी सेना को क्यों हटाया गया है और भारत की सीमा के अंदर बफर जोन क्यों बनाया है? क्या ये गलवान वैली में देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं?

पांचवा सवाल, मोदी सरकार ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण और सेना के पराक्रम एवं शौर्य की जो पहचान बन गया था, कैलाश रेंज पर हमारी सेना चीन के बहुत ऊपर थी, जिससे चीन घबराता और कांपता था. मोदी सरकार ने इस समझौते में पैंगोंग त्सो लेक के साउदन बैंक पर कैलाश रेंज से हमारी सेना को हटाने का दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय क्यों लिया है?

छठा प्रश्न, क्या मोदी सरकार भूल गई है कि पैंगोंग त्सो लेकर के नोर्दन बैंक पर फिंगर चार पर हमारी सेना की पोस्ट है और अगर क्योंकि ये बात सही है, तो फिर मोदी सरकार भूभागीय अखंडता से खिलवाड़ करते हुए फिंगर चार से फिंगर तीन तक पीछे क्यों हट रही है?

सातवां प्रश्न, भारत के मुताबिक सदैव हमने फिंगर आठ तक हमारी एलएसी को माना है..तो फिर भारत की सरजमीं के अंदर ही फिंगर आठ और फिंगर तीन के बीच में बफर जोन स्थापित कर देश की भूभागीय अखंडता से घिनौना समझौता और जमीन का सरंडर मोदी सरकार क्यों कर रही है?

आठवां और अंतिम सवाल, मोदी सरकार चीन को वापस धकेल कर अप्रैल 2020 का स्टेटस को एंटी कब स्थापित करेगी? इस बारे में मोदी सरकार का क्या प्लान और रास्ता है, दृष्टि है? देश को इस बारे विश्वास में लें. कांग्रेस नेता ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और भूभागीय अखंडता से इस प्रकार का घिनौना समझौता और षड़यंत्र कदापी स्वीकार नहीं किया जा सकता.

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