फाइल फोटो
नई दिल्ली:
वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर निराश कुछ पूर्व सैनिक एक बार फिर जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं. ख़ास बात यह है कि इस बार यह प्रदर्शन गांधी जंयति यानी दो अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है और दिल्ली के अलावा दूसरे शहरों में भी आयोजित किया जाएगा.
पूर्व सैनिकों के संगठन युनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमेन के सलाहकार और इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के अध्यक्ष मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि 14 मार्च 2016 को रक्षा मंत्री मनोहर परिकर के साथ हुई बैठक में उन्होंने कहा था कि आप सर पर बंदूक रख कर सरकार से अपनी मांग नहीं मनवा सकते. इसके बाद 29 अप्रैल को पूर्व सैनिकों ने जंतर-मंतर और कई दूसरी जगहों पर रिले भूख हड़ताल को अस्थाई तौर ख़त्म कर दिया था.
सिंह ने बताया कि सैनिकों को उम्मीद थी कि ओआरओपी को सरकार तय वक़त पर लागू करेगी. प्रदर्शन करने वाले पूर्व सैनिकों के मुताबिक पांच महीने बीत जाने के बाद भी कोई सकारात्मक संदेश नहीं मिला है. सरकार ने विसंगतियां दूर करने के लिये एक सदस्यीय न्यायिक आयोग बनाया है. जस्टिस रेड्डी 16 जगहों पर गए भी लेकिन कुछ बात नहीं बनी. इनके मुताबिक नीतिगत मामले में न्यायिक आयोग का कोई काम हीं नहीं है. अभी तक इस समिति ने अपनी रिपोर्ट भी नहीं दी है.
पूर्व सैनिकों को लगता है कि सरकार न्याय नहीं कर रही है. इन सैनिकों का मानना है कि सरकार की उदासीनता और अंहकार से इनको काफी निराशा हो रही है. पूर्व सैनिकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 15 सितंबर 2013 को रेवाड़ी में ओआरओपी को लेकर किया गया अपना वादा याद दिलाया. मेजर जनरल सतबीर सिंह ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि पांच महीने बीत गए, न तो सरकार ने उनसे बात की और न ही सरकार में बैठे कर्ताधर्ताओं ने अपनी शक्ल ही दिखाई.
सिविल क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिये सातवां वेतन आयोग आ गया लेकिन फौजियों के लिए अभी तक नहीं. लिहाजा जब तक असली वाली वन रैंक वन पेंशन नहीं मिल जाती तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा. हालांकि सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वो पूर्व सैनिकों के लिये वन रैंक वन पेंशन लागू कर चुकी है. पिछली बार करीब 360 दिन तक पूर्व सैनिकों ने जंतर मंतर पर रिले भूख हड़ताल की थी. यह पूछे जाने पर कि वेतन को लेकर सैनिकों का जंतर-मंतर पर जमावड़ा कितना शालीन है, जनरल सतबीर सिंह का कहना है कि वो यह लड़ाई इज्ज़त और इंसाफ के लिए लड़ रहे हैं न कि पैसे के लिये.
पूर्व सैनिकों के संगठन युनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमेन के सलाहकार और इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के अध्यक्ष मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि 14 मार्च 2016 को रक्षा मंत्री मनोहर परिकर के साथ हुई बैठक में उन्होंने कहा था कि आप सर पर बंदूक रख कर सरकार से अपनी मांग नहीं मनवा सकते. इसके बाद 29 अप्रैल को पूर्व सैनिकों ने जंतर-मंतर और कई दूसरी जगहों पर रिले भूख हड़ताल को अस्थाई तौर ख़त्म कर दिया था.
सिंह ने बताया कि सैनिकों को उम्मीद थी कि ओआरओपी को सरकार तय वक़त पर लागू करेगी. प्रदर्शन करने वाले पूर्व सैनिकों के मुताबिक पांच महीने बीत जाने के बाद भी कोई सकारात्मक संदेश नहीं मिला है. सरकार ने विसंगतियां दूर करने के लिये एक सदस्यीय न्यायिक आयोग बनाया है. जस्टिस रेड्डी 16 जगहों पर गए भी लेकिन कुछ बात नहीं बनी. इनके मुताबिक नीतिगत मामले में न्यायिक आयोग का कोई काम हीं नहीं है. अभी तक इस समिति ने अपनी रिपोर्ट भी नहीं दी है.
पूर्व सैनिकों को लगता है कि सरकार न्याय नहीं कर रही है. इन सैनिकों का मानना है कि सरकार की उदासीनता और अंहकार से इनको काफी निराशा हो रही है. पूर्व सैनिकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 15 सितंबर 2013 को रेवाड़ी में ओआरओपी को लेकर किया गया अपना वादा याद दिलाया. मेजर जनरल सतबीर सिंह ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि पांच महीने बीत गए, न तो सरकार ने उनसे बात की और न ही सरकार में बैठे कर्ताधर्ताओं ने अपनी शक्ल ही दिखाई.
सिविल क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिये सातवां वेतन आयोग आ गया लेकिन फौजियों के लिए अभी तक नहीं. लिहाजा जब तक असली वाली वन रैंक वन पेंशन नहीं मिल जाती तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा. हालांकि सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वो पूर्व सैनिकों के लिये वन रैंक वन पेंशन लागू कर चुकी है. पिछली बार करीब 360 दिन तक पूर्व सैनिकों ने जंतर मंतर पर रिले भूख हड़ताल की थी. यह पूछे जाने पर कि वेतन को लेकर सैनिकों का जंतर-मंतर पर जमावड़ा कितना शालीन है, जनरल सतबीर सिंह का कहना है कि वो यह लड़ाई इज्ज़त और इंसाफ के लिए लड़ रहे हैं न कि पैसे के लिये.
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