मंगलवार को यूरोपीय संघ के 27 सांसद जम्मू-कश्मीर जाएंगे. ये यूरोपीय संघ का आधिकारिक डेलीगेशन नहीं है, बल्कि ये सांसद निजी हैसियत से वहां जा रहे हैं. सोमवार को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस पर नज़र भी है और सवाल भी. कश्मीर के हालात का जायज़ा लेने आये यूरोपियन यूनियन के 27 सांसद सोमवार को प्रधानमंत्री से मिले. आर्टिकल 370 के खत्म होने के बाद किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का ये पहला कश्मीर दौरा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ एकजुट होकर मुहिम छेड़ने की ज़रूरत है. ईयू के सांसद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मिले. यूरोपियन यूनियन की संसद में कश्मीर के हालात पर पिछले महीने चिंता जताई गई थी और कहा गया था कि वहां आम लोगों के बुनियादी हक़ जल्दी बहाल होने चाहिए.
Prime Minister Narendra Modi to European Parliament members: Urgent action must be taken against all those who support or sponsor terrorists or support such activities and organizations or use terrorism as a state policy.There should be zero tolerance for terrorism. pic.twitter.com/wbZo3AmwyO
— ANI (@ANI) October 28, 2019
अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद 19 सितंबर को कश्मीर के हालात पर चर्चा के दौरान यूरोपीय संघ की संसद में High Representative of the EU for Foreign Affairs and Security Policy Federica Mogherini की तरफ से Finland ki European Affairs Minister एक बयान पढ़ा गया जिसमें कहा गया कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद आम लोगों की स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित किया गया है. कुछ प्रतिबंध हटाये गये हैं, लेकिन हालात अभी सामान्य नहीं हुए हैं. राजनीतिक नेताओं, कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. कश्मीर के ज़मीनी हालात पर हमें चिंता है, क्योंकि मौलिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित किया गया है. ये बेहद ज़रूरी है कि घूमने-फिरने की स्वतंत्रता, कम्यूनिकेशन की सुविधा और मूलभूत सुविधाओं को जल्दी बहाल किया जाए.
इन सांसदों को कश्मीर जाने की अनुमति ऐसे समय दी गयी है जब प्रमुख विपक्षी नेता बंद हैं. कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए. ये बात भी अहम है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं के साथ कश्मीर गये थे लोकिन उन्हों रोका गया सुप्रीम कोर्ट की मंज़ूरी के बाद सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी कश्मीर पहुंचे फिर गुलाम नबी आज़ाद भी कोर्ट की मंज़ूरी के बाद कश्मीर गये. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, कांग्रेस इस मसले को संसद में उठाएगी कि क्यों भारतीय सांसदों को कश्मीर नहीं जाने दिया गया जबकि ईयू के सांसदों को वहां का दौरा करने की अनुमति दी गयी है.
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वैसे इस दौरे पर कुछ लोगों की नज़र भी है. करीब तीन महीने से जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री - फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती नज़रबंद हैं. महबूबा मुफ़्ती की ओर से ट्वीट करते हुए उनकी बेटी ने लिखा है, 'उम्मीद करें कि उन्हें लोगों से, स्थानीय मीडिया से, डॉक्टरों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों से बात करने का भी मौक़ा मिलेगा. कश्मीर और बाक़ी दुनिया के बीच लोहे का जो परदा पड़ा है उसे उठाने की ज़रूरत है और जम्मू-कश्मीर को संकट में धकेलने के लिए भारत सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.'
If 28 European Parliament members are allowed to take stock of situation in Kashmir, wonder why the same courtesy can't be extended to American senators. Won't be surprised if GOIs indulging in normalcy acrobatics again & orchestrating ‘normalcy' certificates.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 28, 2019
ईयू सासदों के कश्मीर दौरे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र होगी. देखना महत्वपूर्ण होगा कि ईयू सांसदों को कश्मीर समुदाय के अलग-अलग तबकों से किस हद तक मिलने की अनुमति दी जाती है और दौरे के बाद वो कश्मीर के ज़मीनी हालात पर क्या स्टैंड लेते हैं.
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