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This Article is From Dec 17, 2021

चुनावी समीकरणों में आगे निकलने के लिए सहयोगी दल के साथ BJP की बड़ी रैली आज

लखनऊ में एक गठबंधन सहयोगी दल के साथ पहली बड़ी संयुक्त रैली को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संबोधित करेंगे.

चुनावी समीकरणों में आगे निकलने के लिए सहयोगी दल के साथ BJP की बड़ी रैली आज
निषाद पार्टी ने वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी (BJP) से गठबंधन किया था...
लखनऊ:

अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 से पहले शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक गठबंधन सहयोगी दल के साथ पहली बड़ी संयुक्त रैली को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संबोधित करेंगे.

गुरुवार को ही पूर्व मुख्यमंत्री तथा समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनज़र अपने चाचा शिवपाल यादव से रिश्तों को बहाल कर लिया, और उनकी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के साथ गठबंधन कर लिया.

लखनऊ में शुक्रवार को होने वाली रैली का आयोजन निषाद पार्टी के डॉ संजय निषाद ने किया है, जो वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के समय से ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सहयोगी हैं. वर्ष 2016 में गठित हुई निषाद पार्टी की पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में, खासतौर से मल्लाह तथा निषाद समुदायों की आबादी वाले इलाकों में पकड़ है.

निषाद पार्टी पहली बार 2018 में हुए गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव के समय चर्चा में आई थी, जब योगी आदित्यनाथ का घर मानी जाने वाली इस सीट पर निषाद पार्टी के संस्थापक के पुत्र प्रवीण निषाद ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती के अनौपचारिक समर्थन से BJP को भौंचक्का करते हुए जीत हासिल की थी. इसी जीत ने उत्तर प्रदेश में SP और BSP के बीच गठबंधन की आधारशिला रखी थी.

हालांकि सिर्फ एक साल बाद, निषाद पार्टी ने पाला बदल लिया, और BJP के साथ आ गई. गोरखपुर की जीत के सितारे निषाद को BJP ने ने पड़ोसी संत कबीर नगर सीट से टिकट दिया, और वह जीते.

निषाद पार्टी लम्बे अरसे से यह मांग करती आ रही है, और माना जा रहा है कि लखनऊ की रैली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस बात का वादा कर सकते हैं कि निषाद समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) वर्ग के स्थान पर अनुसूचित जाति (SC) की सूची में स्थान दिया जाएगा, ताकि उन्हें आरक्षण का अधिक लाभ मिल सके.

कई सरकारें - जिनमें योगी आदित्यनाथ से लेकर अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव की सरकारें भी शामिल रही हैं - 17 OBC जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने की कोशिश में नाकाम हो चुकी हैं, भले ही उसके पीछे कानूनी बाधाएं रही हों, या नौकरशाही से जुड़ी अड़चनें.

निषाद, मल्लाह और कुम्हार जातियां मिलकर राज्य की आबादी का कुल 10 फीसदी हिस्सा हैं.

उधर, अखिलेश यादव की रैलियों में ज़ोरदार भीड़ देखी जा रही है, और वह कई छोटे-छोटे दलों को साथ लाने की कोशिशों में जुटे नज़र आते हैं. वह पहले ही छह क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर चुके हैं, जिनमें उनके चाचा शिवपाल यादव भी शामिल हैं. इनके अलावा अखिलेश यादव अब तक जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट), ओमप्रकाश राजभर की SBSP, केशवदेव मौर्य की महान दल, कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाला अपना दल तथा जयंत चौधरी का राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं.

BJP ने अब तक निषाद पार्टी के अलावा केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश की सात OBC-आधारित पार्टियों के समूह 'हिस्सेदारी मोर्चा' के साथ गठबंधन कर चुकी है.

VIDEO: उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले दूर हुए गिले-शिकवे, SP-PSP गठबंधन पर मुहर

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