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This Article is From Jan 13, 2017

समाजवादी पार्टी की 'साइकिल' पर सस्‍पेंस बरकरार, चुनाव आयोग ने फैसला रिजर्व रखा

समाजवादी पार्टी की 'साइकिल' पर सस्‍पेंस बरकरार, चुनाव आयोग ने फैसला रिजर्व रखा
आयोग के बाहर मुलायम समर्थकों ने उनके पक्ष में नारे लगाए. (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
मुलायम सिंह यादव चुनाव आयोग पहुंचे
दोनों पक्षों में आयोग के भीतर तकरार हुई
अखिलेश की तरफ से कपिल सिब्‍बल ने रखा पक्ष
नई दिल्‍ली: साइकिल के सिंबल पर चुनाव आयोग ने फैसला रिजर्व रखा है. आज पूरे दिन आयोग ने दोनों पक्षों की बातें सुनी. उसके बाद आयोग ने कोई फैसला नहीं सुनाते हुए फैसला रिजर्व रखा है. अखिलेश खेमे की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्‍बल ने कहा कि जो भी फैसला चुनाव आयोग करेगा, वह उनको मंजूर होगा. 

इससे पहले आज करीब 11 बजे सुनवाई शुरू हुई. पहले दौर की सुनवाई पूरी होने के बाद 3 बजे दूसरी दौर की सुनवाई शुरू हुई है. वैसे आज सुबह जब सुनवाई शुरू होने वाली थी तब आयोग के बाहर मुलायम समर्थकों ने नारेबाजी की. आयोग के समक्ष भी सिंबल के मसले पर मुलायम खेमे और अखिलेश खेमे के बीच तकरार हुई.

सुबह आयोग में बहस के लिए मुलायम सिंह यादव आयोग पहुंचे. वहीं दूसरी तरफ अखिलेश खेमे की तरफ से रामगोपाल यादव, किरणमय नंदा और नरेश अग्रवाल पहुंचे. आयोग में अखिलेश खेमे का पक्ष कपिल सिब्‍बल ने रखा.

इससे पहले मुलायम सिंह यादव ने अपने पक्ष में आयोग को मुख्य रूप से तीन दस्तावेज दिए हैं-
  1. समाजवादी पार्टी का संविधान.
  2. रामगोपाल यादव की बर्खास्तगी की चिट्ठी.
  3. एक पत्र जिसमें कहा गया है कि रामगोपाल ने जो सम्मेलन बुलाया वह असंवैधानिक है.
 
उधर जवाब में दूसरे पक्ष के याचिकाकर्ता रामगोपाल यादव (अखिलेश यादव के खेमे से) ने  आयोग से कहा है कि सम्मेलन बुलाने के लिए उन्हें अधिकृत किया गया था. 55 प्रतिशत सदस्यों ने सम्मेलन के लिए सहमति दी थी जबकि संविधान के मुताबिक 40 प्रतिशत से अधिक सदस्य लिखित में दें तो पार्टी संविधान के हिसाब से आपात अधिवेशन बुलाया जा सकता है. साथ ही रामगोपाल यादव ने 200 से अधिक विधायकों और 15 से अधिक सांसदों के समर्थन की चिट्ठी भी दी है.

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वैसे इस बात की संभावना भी व्‍यक्‍त की जा रही है कि अगर आयोग दोनों पक्षों की दलीलों से संतुष्ट नहीं होता या दोनों की दलीलों में दम लगता है तो वह चुनाव चिन्ह को जब्त भी कर सकता है. ऐसे में दोनों ही पक्षों को अगले चुनाव में साइकिल के अलावा कोई और चुनाव चिन्ह लेना होगा.

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