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This Article is From Nov 06, 2016

महागठबंधन की पहल मजबूत हुई : मुलायम सिंह यादव को कमान देने पर सभी सहमत

महागठबंधन की पहल मजबूत हुई : मुलायम सिंह यादव को कमान देने पर सभी सहमत
सपा के रजत जयंती समारोह में देवेगौड़ा (बाएं), मुलायम सिंह यादव (बीच में) और शरद यादव (दाएं)
लखनऊ: बिहार विधानसभा चुनाव से ऐन पहले हुई गलती को सुधारते हुए उत्तर प्रदेश में नई सियासी इबारत लिखने के लिए सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा आयोजित रजत जयंती समारोह रूपी 'मेगा पॉलिटिकल शो' में महागठबंधन की नींव पड़ती नजर आई. लगभग सभी समाजवादी तथा चरणसिंहवादी नेता एक बार फिर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को इस गठजोड़ की कमान देने पर रजामंद दिखे.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के साथ-साथ देश की सियासत में भी नई हलचल पैदा करने के मकसद से आयोजित इस समारोह में उपस्थित वरिष्ठ नेता वर्ष 2017 के प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ-साथ साल 2019 के लोकसभा चुनाव पर नजरें लगाए इस साथ को दूर तक निभाने का इरादा जताते दिखे.

हालांकि इस मौके पर किसी गठबंधन की औपचारिक घोषणा नहीं हुई, लेकिन समारोह में मौजूद राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) अध्यक्ष अजित सिंह, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता शरद यादव, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) मुखिया लालू प्रसाद यादव और जनता दल सेक्युलर के प्रमुख एच. डी. देवेगौड़ा ने एक सुर में मुलायम को गठबंधन की कमान देने की बात कही.

बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन का प्रमुख घटक होने के बावजूद उससे अलग होने वाली सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी कहा कि उन्होंने पार्टी की रजत जयंती समारोह में इन नेताओं को इसलिए, बुलाया है क्योंकि पहले सभी साथ थे और अब उन्हें लगता है कि सभी को फिर एकजुट होना चाहिए. जल्द ही सभी मिल-बैठकर और बातचीत करेंगे.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने इस मौके पर कहा कि देश में साम्प्रदायिक ताकतों से लड़ने के मामले में सपा एक 'लैंडमार्क पार्टी' है. मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, शरद यादव समेत सभी वरिष्ठ नेताओं को आगे आकर साम्प्रदायिक ताकतों से लड़ना चाहिए. मेरा आग्रह है कि एकजुट हो जाएं और मुलायम सिंह यादव की अगुवाई में साम्प्रदायिक ताकतों से लड़ें.

सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा, 'देश के तमाम समाजवादी और चौधरी चरणसिंहवादी नेता ऐसे मौके पर एकजुट हुए हैं, जब जनता में भ्रम की स्थिति है कि आगे क्या होगा. जनता को मैंने आज विश्वास दिला दिया है कि देश की एकता जरूरी है. हम इसके लिए समर्पित रहेंगे.' उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन सिर्फ सत्ता हासिल करने के मकसद से आयोजित नहीं किया गया है. समाजवादी आंदोलन तो भाषा, गरीबी-अमीरी और क्षेत्रीयता के नाम पर गैर-बराबरी और भेदभाव को मिटाने के लिए है.

मुलायम ने समाजवादी आंदोलन तथा संघर्ष के अपने साथियों के योगदान के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि यहां बैठे लोग समाजवाद के पोषण के लिए लड़ेंगे. यह सम्मेलन संकल्प करने के लिए है कि न अन्याय करेंगे, न होने देंगे. उन्होंने कहा, 'देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर समस्याओं का समाधान करना होगा. जनता जवाब मांगेगी. हमने मिलकर लड़ाई लड़ी है, एक समय था, जब हम सब एक थे. हमारे मन में भावना पैदा हुई कि हम सब फिर एक हों. हम मिलकर देश के बारे में सोचेंगे, जनता के बारे में सोचेंगे.'

मालूम हो कि बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) 'जनता परिवार' के महागठबंधन का अहम घटक था और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को उसका नेतृत्व सौंपा गया था, लेकिन चुनाव से ऐन पहले सपा ने अपेक्षित संख्या में सीटें ना मिलने का हवाला देते हुए गठबंधन से हाथ खींच लिया था. हालांकि चुनाव में राजद, जदयू और कांग्रेस के महागठबंधन ने भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को शिकस्त देकर सरकार बनाई थी.

उस वक्त माना गया था कि सपा ने देश की राजनीति में दूरगामी संदेश देने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से ऐन पहले गठबंधन से अलग होकर पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय फलक पर एक बार फिर बेहद मजबूत नेता के तौर पर उभरने का मौका गंवा दिया था.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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