चुनाव आयोग ने ईवीएम को लेकर उठाए जा रहे सवालों के समाधान के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया है
चंडीगढ़:
ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठाए जा रहे सवालों के बीच चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि राजनीतिक दलों की आशंकाओं को दूर करने के लिए चुनाव आयोग जल्द ही सभी राजनीतिक दलों के साथ एक बैठक करेगा और लोगों की समस्याओं के समाधान की कोशिश करेगा.
मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि चुनाव आयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के गड़बड़ी मुक्त और सुरक्षित होने का राजनीतिक दलों को भरोसा दिलाने के लिए जल्द ही उनकी एक बैठक बुलाएगा.
उन्होंने कहा कि आयोग का इरादा आने वाले चुनावों में वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) का उपयोग कर चुनाव प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता लाने तथा लोगों का भरोसा बढ़ाने का है.
गौरतलब है कि वीवीपीएटी से एक पर्ची निकलती है जिसे देख कर मतदाता यह सत्यापित करता है कि ईवीएम में उसका वोट उसी उम्मीदवार को गया है जिसके नाम के आगे का उसने बटन दबाया है.
जैदी ने कहा, ‘हम जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक करेंगे जिसमें उन्हें बताया जाएगा कि हमारी ईवीएम हमारी प्रशासनिक एवं तकनीकी सुरक्षा प्रणाली के मुताबिक किस तरह से छेड़छाड़ से मुक्त और सुरक्षित हैं.’
हाल ही में 16 विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग से मतदान पत्र व्यवस्था की ओर लौटने का अनुरोध करते हुए दावा किया था कि ईवीएम में लोगों का विश्वास खत्म हो गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग की योजना इस सिलसिले में एक चुनौती का आयोजन करने की है जिसके समय को लेकर विचार किया जा रहा है.
समझा जाता है कि चुनाव आयोग एक खुली चुनौती देकर किसी से भी यह कहने वाला है कि वह ईवीएम के दुरुपयोग के संदेह को दूर करने के लिए उसे हैक करने की कोशिश कर सकते हैं. चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि आयोग ने चुनाव में उपयोग के लिए वीवीपीएटी मशीनों की आपूर्ति के लिए आदेश दिया है.
चुनाव आयुक्त ने बताया, ‘वीवीपीएटी के लिए हमने सारा धन प्राप्त कर लिया है. हमने दो सार्वजनिक उपक्रमों - भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईए) और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपारेशन ऑफ इंडिया (ईसीआई) को 15 लाख वीवीपीएटी की आपूर्ति को लेकर आर्डर दिया है.’ उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सितंबर, 2018 तक करीब 15 लाख वीवीपीएटी मशीनें तैयार हो जाएंगी.
आयोग का लक्ष्य सभी आगामी चुनावों में वीवीपीएटी का उपयोग करने का है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि भारत, शायद पहला देश होगा जहां सभी मतदान केंद्रों में वीवीपीएटी का 100 फीसदी उपयोग होगा. यह मतदाताओं का चुनाव प्रक्रिया में भरोसा बढ़ाएगा और इसमें पारदर्शिता लाएगा. जैदी ने कहा कि वीवीपीएटी के फायदों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए एक जागरुकता अभियान शुरू किया जाएगा.
इस साल पांच राज्यों - उत्तर प्रदेश, उत्तारखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में हुए विधानसभा चुनाव में कई राजनीतिक दलों ने ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए इसके स्थान पर मतपत्र का इस्तेमाल करने की हिमायत की थी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ईवीएम के दुरुपयोग का आरोप लगाने वालों में प्रमुख रूप से शामिल हैं जबकि बसपा नेता मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस मशीन के बारे में सवाल खड़े किए हैं.
(इनपुट भाषा से भी)
मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि चुनाव आयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के गड़बड़ी मुक्त और सुरक्षित होने का राजनीतिक दलों को भरोसा दिलाने के लिए जल्द ही उनकी एक बैठक बुलाएगा.
उन्होंने कहा कि आयोग का इरादा आने वाले चुनावों में वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) का उपयोग कर चुनाव प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता लाने तथा लोगों का भरोसा बढ़ाने का है.
गौरतलब है कि वीवीपीएटी से एक पर्ची निकलती है जिसे देख कर मतदाता यह सत्यापित करता है कि ईवीएम में उसका वोट उसी उम्मीदवार को गया है जिसके नाम के आगे का उसने बटन दबाया है.
जैदी ने कहा, ‘हम जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक करेंगे जिसमें उन्हें बताया जाएगा कि हमारी ईवीएम हमारी प्रशासनिक एवं तकनीकी सुरक्षा प्रणाली के मुताबिक किस तरह से छेड़छाड़ से मुक्त और सुरक्षित हैं.’
हाल ही में 16 विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग से मतदान पत्र व्यवस्था की ओर लौटने का अनुरोध करते हुए दावा किया था कि ईवीएम में लोगों का विश्वास खत्म हो गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग की योजना इस सिलसिले में एक चुनौती का आयोजन करने की है जिसके समय को लेकर विचार किया जा रहा है.
समझा जाता है कि चुनाव आयोग एक खुली चुनौती देकर किसी से भी यह कहने वाला है कि वह ईवीएम के दुरुपयोग के संदेह को दूर करने के लिए उसे हैक करने की कोशिश कर सकते हैं. चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि आयोग ने चुनाव में उपयोग के लिए वीवीपीएटी मशीनों की आपूर्ति के लिए आदेश दिया है.
चुनाव आयुक्त ने बताया, ‘वीवीपीएटी के लिए हमने सारा धन प्राप्त कर लिया है. हमने दो सार्वजनिक उपक्रमों - भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईए) और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपारेशन ऑफ इंडिया (ईसीआई) को 15 लाख वीवीपीएटी की आपूर्ति को लेकर आर्डर दिया है.’ उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सितंबर, 2018 तक करीब 15 लाख वीवीपीएटी मशीनें तैयार हो जाएंगी.
आयोग का लक्ष्य सभी आगामी चुनावों में वीवीपीएटी का उपयोग करने का है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि भारत, शायद पहला देश होगा जहां सभी मतदान केंद्रों में वीवीपीएटी का 100 फीसदी उपयोग होगा. यह मतदाताओं का चुनाव प्रक्रिया में भरोसा बढ़ाएगा और इसमें पारदर्शिता लाएगा. जैदी ने कहा कि वीवीपीएटी के फायदों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए एक जागरुकता अभियान शुरू किया जाएगा.
इस साल पांच राज्यों - उत्तर प्रदेश, उत्तारखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में हुए विधानसभा चुनाव में कई राजनीतिक दलों ने ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए इसके स्थान पर मतपत्र का इस्तेमाल करने की हिमायत की थी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ईवीएम के दुरुपयोग का आरोप लगाने वालों में प्रमुख रूप से शामिल हैं जबकि बसपा नेता मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस मशीन के बारे में सवाल खड़े किए हैं.
(इनपुट भाषा से भी)
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