पूर्व अध्यक्ष बरखा सिंह (फोटो सौजन्य-ट्विटर)
नई दिल्ली:
जब से आम आदमी पार्टी की सरकार आई, उन्होंने मेरा मानसिक शोषण किया। शुक्रवार को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष पद से रुखसत हो रही बरखा सिंह ने ये बात कही।
बीते आठ साल से वो दिल्ली महिला आयोग की चेयरमैन रही। कांग्रेस की विधायक से अध्यक्ष बनी बरखा सिंह को कई सालों से मीडिया की सुर्खियों में रहने की आदत पड़ चुकी है।
निर्भया कांड हो या आम आदमी पार्टी के सोमनाथ भारती को महिला आयोग में बुलाने का, इन सारे मामलों को मीडिया के जरिए हो हल्ला मचाने का कोई मौका चेयरमैन रहते हुए बरखा सिंह ने छोड़ा नहीं।
शुक्रवार को भी बरखा सिंह ने मीडिया से कहा कि आम आदमी पार्टी के आधा दर्जन विधायकों की पत्नियों से उनकी फोन पर बात होती है। सोमवार से दिल्ली महिला आयोग की चेयरमैन स्वाति मालीवाल होंगी। लेकिन बरखा सिंह कहती हैं कि अब स्वाति मालीवाल पर महिला आयोग की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली महिला आयोग के पास घरेलू झगड़ों और महिलाओं से जुड़े करीब 1000 मामले हर रोज आते हैं। लेकिन अब तक महिला आयोग पर राजनीति से प्रेरित होकर काम करने के ज्यादा आरोप लगे हैं।
कई मामलों में महिला आयोग केवल इसलिए सुर्खियों में रहा क्योंकि उसने कई हाई प्रोफाइल लोगों को अपना पक्ष रखने के लिए आयोग तलब किया।
ये बात अलग है कि कई बड़े नेता महिला आयोग के सामने पेश नहीं हुए। देखना दिलचस्प होगा कि क्या दिल्ली महिला आयोग आने वाले दिनों में मजबूर और शोषित महिलाओं के हक में आवाज उठाने का माध्यम बनता है या फिर राजनीतिक विरोधियों की छीछालेदर करने का।
बीते आठ साल से वो दिल्ली महिला आयोग की चेयरमैन रही। कांग्रेस की विधायक से अध्यक्ष बनी बरखा सिंह को कई सालों से मीडिया की सुर्खियों में रहने की आदत पड़ चुकी है।
निर्भया कांड हो या आम आदमी पार्टी के सोमनाथ भारती को महिला आयोग में बुलाने का, इन सारे मामलों को मीडिया के जरिए हो हल्ला मचाने का कोई मौका चेयरमैन रहते हुए बरखा सिंह ने छोड़ा नहीं।
शुक्रवार को भी बरखा सिंह ने मीडिया से कहा कि आम आदमी पार्टी के आधा दर्जन विधायकों की पत्नियों से उनकी फोन पर बात होती है। सोमवार से दिल्ली महिला आयोग की चेयरमैन स्वाति मालीवाल होंगी। लेकिन बरखा सिंह कहती हैं कि अब स्वाति मालीवाल पर महिला आयोग की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली महिला आयोग के पास घरेलू झगड़ों और महिलाओं से जुड़े करीब 1000 मामले हर रोज आते हैं। लेकिन अब तक महिला आयोग पर राजनीति से प्रेरित होकर काम करने के ज्यादा आरोप लगे हैं।
कई मामलों में महिला आयोग केवल इसलिए सुर्खियों में रहा क्योंकि उसने कई हाई प्रोफाइल लोगों को अपना पक्ष रखने के लिए आयोग तलब किया।
ये बात अलग है कि कई बड़े नेता महिला आयोग के सामने पेश नहीं हुए। देखना दिलचस्प होगा कि क्या दिल्ली महिला आयोग आने वाले दिनों में मजबूर और शोषित महिलाओं के हक में आवाज उठाने का माध्यम बनता है या फिर राजनीतिक विरोधियों की छीछालेदर करने का।
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