लखनऊ:
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं संसदीय लोकलेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष डॉ मुरली मनोहर जोशी ने मंगलवार को कहा कि सीबीआई को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करके इसके लिए अलग कानून बनाकर इसे संसद के प्रति उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए। पीएसी का दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने के बाद डॉ जोशी ने बताया, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच रिपोर्ट में पीएसी ने यह सुझाव दिया है कि सीबीआई को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाये और इसके निदेशक की नियुक्ति केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और महालेखा नियंत्रक एवं परीक्षक (कैग) के तर्ज पर एक समिति के द्वारा की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पीएसी का सुझाव है कि फिलहाल दिल्ली पुलिस अधिनियम के तहत काम करने वाली सीबीआई के लिए अलग कानून बनाया जाये और यह व्यवस्था की जाये कि वह हर छह महीने में अपने कामकाज के बारे में संसद में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें, जिसमें विस्तार से यह जानकारी हो कि सीबीआई ने कितने मामलों में जांच की और उसका निष्कर्ष क्या रहा और कितने मामले लंबित हैं। डॉ जोशी ने आरोप लगाया कि कांग्रेसनीत संप्रग सरकार पीएसी को कठपुतली समिति बनाना चाहती है और इसे सरकार की इशारे पर चलाना चाहती है। ऐसे में पीएसी किसी मामले की जांच कैसे करेगी। यह बताते हुए कि पीएसी का काम है कि वह यह देखे कि सरकारी धन कहां से आ रहा है, कहां खर्च हो रहा है और सही जगह पर खर्च हो रहा है अथवा नहीं। जोशी ने कहा कि संप्रग सरकार के मंत्री कहते हैं कि पीएसी की रिपोर्ट रद्दी की टोकरी में फेंक देंगे। डॉ जोशी ने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री कहते हैं कि जनता भ्रष्टाचार के मामले में जल्दी कार्रवाई चाहती है और दूसरी तरफ उनके मंत्रिपरिषद के सदस्य जांच रूकवाते हैं। सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री का मत्रिपरिषद के सदस्यों पर क्या असर है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि संप्रग सरकार के चार मंत्री कपिल सिब्बल, पी चिदम्बरम, पवन बंसल और नारायण स्वामी पार्टी के संसदीय कार्यालय में बैठ कर पीएसी में कांग्रेस के सदस्यों को निर्देश दे रहे थे। यह एक गंभीर मामला है क्योंकि पीएसी संसद की समिति है और दलीय राजनीति से ऊपर है। उन्होंने कहा कि पीएसी में कांग्रेस के सदस्य रिपोर्ट पर विचार करने को तैयार नहीं है, केवल खारिज करने को तैयार हैं। इसलिए कि इसमें प्रधानमंत्री और मंत्रियों के नाम हैं। जोशी ने कहा कि अभी हाल ही में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि हमारे देश में यदि घोटाले होते हैं तो उन पर निगरानी के लिए पीएसी और कैग जैसे संस्थाएं है। दूसरी तरफ, उन्हीं के सहयोगी मंत्री भ्रष्टाचार से उबरने के प्रयासों पर पानी फेरने में लगे हैं। उन्होंने इस संदर्भ में जनलोकपाल विधेयक लाने के लिए अन्ना हजारे और सिविल सोसायटी की मांग पर सरकार के कुछ मंत्रियों की विरोधाभासी टिप्पणियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह सब जनतंत्र के लिए खराब स्थिति है। जोशी ने कहा, यदि सरकार के खचरे पर रोक नहीं लगाती तो सरकार तानाशाह हो जायेगी। पीएसी की रिपोर्ट पर मतदान में सपा बसपा के कांग्रेस के सदस्यों के साथ खड़े हो जाने की ओर इशारा करते हुए जोशी ने आरोप लगाया कि पीएसी की बैठक में कांग्रेस और सपा बसपा ने मिल कर जो आचरण किया उससे यह साफ है कि भ्रष्टाचार को बनाए रखने और भ्रष्टाचार विरोधी जांच रोकने में वे एक हैं। उन्होंने कहा कि सपा बसपा को यह साफ करना चाहिये कि वे भ्रष्टाचार की जांच कराना चाहते हैं अथवा जांच रकवाना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश में तीनों दल आपस में लड़ते हैं। मगर केन्द्र में एकजुट हैं, आखिर इसका क्या रहस्य है। जोशी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में स्थिति और भी गंभीर है, जहां भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज उठाने पर लाठी चलती है। भ्रष्टाचार के सवाल पर उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्य प्रतिपक्षी दल समाजवादी पार्टी की नीयत पर परोक्ष रूप से सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि पीएसी तो यहां भी है, आखिर वह क्या कर रही है।
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