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जमीन, आसमान और समंदर से दुश्मन पर सटीक वार... जानें फ्रिगेट महेंद्रगिरी की खासियतें

समय पर नौसेना को फ्रिगेट मिले, इसके लिये करीब 700 क्रू चौबीसों घंटे काम करते है. ऐसे एक फ्रिगेट को बनने में चार से पांच साल लगते हैं.

जमीन, आसमान और समंदर से दुश्मन पर सटीक वार...  जानें फ्रिगेट महेंद्रगिरी की खासियतें
  • मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड में नीलगिरी क्लास का चौथा फ्रिगेट महेंद्रगिरी तैयार हो रहा है, जो युद्ध में आसमान, जमीन और समुद्र में सक्षम है।
  • महेंद्रगिरी फ्रिगेट स्टील्थ तकनीक से बना है, जिससे यह दुश्मन के राडार पर कम दिखाई देता है और मुरिंग डेक को भी कवर किया गया है।
  • फ्रिगेट की लंबाई 149 मीटर, चौड़ाई 17.8 मीटर, वजन 6670 टन है और यह 28 नॉट की गति से लगभग 45 दिन समुद्र में रह सकता है।
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नीलगिरी क्लास का चौथा फ्रिगेट महेंद्रगिरी मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड में तैयार हो रहा हैं. यह एक ऐसा फ्रिगेट है जो युद्ध के दौरान आसमान, जमीन और समंदर के अंदर भी दुश्मनों का सामना बखूबी कर सकता हैं. यानि हमला करने के साथ बचाव करने में पूरी तरह सक्षम हैं. यह स्टील्थ तकनीक से बना है. लिहाजा दुश्मन के राडार को यह बहुत छोटा दिखेगा. इसके अगले हिस्से के मुरिंग डेक को भी अब कवर दिया गया है ताकि दुश्मन के राडार को कुछ  पता ही नही लगे.

महिला अग्निवीरों के रहने के लिये अलग से व्यवस्था
इसका डिजाइन और निर्माण भी मझगांव डॉकयार्ड ने ही किया है. 75 फीसदी से अधिक कॉपोनेट देश में ही बने हुए हैं. फ्रिगेट में इस्तेमाल हुए खास तरह का स्टील भी स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने ही तैयार किया हैं. यह 149 मीटर लंबा है तो 17.8 मीटर चौड़ा हैं. स्पीड है इसकी 28 नॉट यानि करीब 52 किलोमीटर प्रतिघंटा. इसमें 215 क्रू आते हैं. महिला अग्निवीरों के रहने के लिये अलग से व्यवस्था हैं. वजन है 6670 टन . समुद्र में यह करीब 45 दिन तक रह सकता हैं. नौसेना के लिये मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड में प्रोजेक्ट 17 अल्फा क्लास के तहत महेन्द्रगिरी फ्रिगेट बनने का काम जोरों पर हैं.

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समय पर नौसेना को फ्रिगेट मिले, इसके लिये करीब 700 क्रू चौबीसों घंटे काम करते है. ऐसे एक फ्रिगेट को बनने में चार से पांच साल लगते हैं. इससे पहले इसी क्लास के नीलगिरी को इसी साल प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया था. दूसरा उदयगिरी है जो मझगांव डॉकयार्ड ने नौसेना को सौंप दिया है.

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एक नहीं, आठ ब्रह्मोस तैनात
वहीं, तारागिरी फ्रिगेट का जल्द समुद्री ट्रायल शुरू होने वाला है. मझगांव में बन रहे अंतिम फ्रिगेट महेंद्रगिरी अगले साल फरवरी में नौसेना में शामिल हो जाएगा. इस क्लास के फ्रिगेट को खतरनाक बनाते है. इसमें लगे हथियार और सिस्टम. दूर मार करने के लिए एक नहीं आठ ब्रह्मोस तैनात हैं. वहीं, सरफेस टू सरफेस बराक मिसाइल भी है. वही सुपर रैपिड गन माउंट है, जिसका रेंज है 16 से 17किलोमीटर. इसमें A K-630 गन भी है जो 60 सेकंड में 4500 राउंड फायर कर सकता हैं. इसका रेंज है करीब चार किलोमीटर. पनडुब्बी को मार गिराने के लिए इसमें तारपिडो और रॉकेट लांचर लगे हुए है. नौसेना की ब्लू वाटर में डोमिनेट या फिर कहे जो प्रभाव जमाने की ख्वाइश है, उसमें ऐसे फ्रिगेट काफी अहम भूमिका निभा सकते हैं.
 

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