- महाराष्ट्र के ठाणे मीरा रोड में MNS कार्यकर्ताओं ने मराठी अस्मिता के समर्थन में रैली बुलाई, जिसे पुलिस ने अनुमति नहीं दी थी, बावजूद इसके हंगामा हुआ।
- MNS के कार्यकर्ताओं द्वारा गैर मराठी भाषियों के साथ मारपीट और गुंडागर्दी की घटनाएं सामने आईं, जिसमें एक होटल मालिक की पिटाई भी शामिल है।
- मुंबई में मराठी के नाम पर बदसलूकी के आरोप में मराठी इनफ्लूएंसर राजश्री मोरे ने FIR दर्ज करवाई, जिसमें MNS नेता के बेटे पर हिंसा का आरोप है।
महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर सियासी ड्रामा तेज हो गया है. ठाणे के मीरा रोड इलाके में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने 'मराठी अस्मिता' के समर्थन में रैली बुलाई थी, जिसे पुलिस ने अनुमति नहीं दी थी. इसके बावजूद कार्यकर्ता इकट्ठा हुए और हंगामा करने लगे. इस दौरान शिवसेना मंत्री प्रताप सरनाईक भी रैली में शामिल हुए, लेकिन MNS कार्यकर्ताओं ने उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा.
दरअसल, MNS के थप्पड़कांड के बाद महाराष्ट्र में सियासत फुल स्पीड में है. आज प्रदर्शन और बवाल के बाद भी वही सियासी तनातनी दिखी. विपक्ष ने बीजेपी पर सवाल उठाए तो महाराष्ट्र के सीएम ने कहा कि भाषा पर लड़ाई से किसी कोई फायदा नहीं होने वाला है. मराठी पर मन-से गुंडागर्दी- ये बात राज ठाकरे की पार्टी मनसे यानी MNS के लिए सौ फीसदी सही है. पार्टी के जिस कार्यकर्ता का मन करता है गुंडागर्दी करता और मारपीट करता है. मराठी नहीं बोलने वाले की पिटाई की जाती है. उन्हें अपमानित किया जाता है. NDTV ने इन थप्पड़बाजों के खिलाफ मुहिम भी चलाई थी.
गुंडागर्दी के बावजूद वो गांधीगीरी के लिए उतरे
मीरा रोड में MNS के कार्यकर्ताओं ने एक होटल मालिक की पिटाई की थी. बाबूलाल चौधरी का कसूर सिर्फ इतना था कि वो मराठी नहीं बोल पाए. पिटाई करने वाले MNS के कार्यकर्ताओं को की गिरफ्तारी के लिए NDTV ने मुहिम चलाई तब उन कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज हुए और पुलिस ने थाने बुलाया. तब थप्पड़कांड के एक आरोपी ने NDTV के कैमरे पर दादागीरी की और कहा कि जो मराठी नहीं बोलेगा उसकी पिटाई होगी, लेकिन राज ठाकरे की पार्टी MNS का चरित्र देखिए कि गुंडागर्दी के बावजूद वो गांधीगीरी के लिए उतरे. रैली की इजाजत मांगी और जब पुलिस ने इजाजत नहीं दी तो फिर हंगामा और बवाल.
दरअसल, होटल मालिक की पिटाई के विरोध में मीरा रोड के दुकानदारों ने विरोध प्रदर्शन किया तो जवाब में MNS के कार्यकर्ताओं ने रैली बुला ली. रैली का आह्वन किया था ठाणे पालघर के MNS प्रमुख अविनाश जाधव की ओर से. लेकिन पुलिस कह रही है कि इजाजत रैली की नहीं, बल्कि छोटी सभा के लिए ली गई थी. जब MNS के कार्यकर्ता जुटने लगे और पुलिस को इस बात का अंदेशा हुआ कि रैली की जा रही है तो अविनाश जाधव और दूसरे कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया.
मराठी भाषा को MNS ने बड़ा मुद्दा बना दिया है. लेकिन सवाल ये कि गुंडागर्दी क्यों? गैर मराठी भाषियों के साथ मारपीट क्यों? राज ठाकरे को ऐसा क्यों लग रहा है कि गुंडागर्दी और मारपीट से उनकी खिसकती सियासी जमीन मजबूत होगी.
विरोध के बीच हिंसा क्यों?
राज ठाकरे कुछ दिनों पहले तक BJP के सहयोगी हुआ करते थे. लेकिन अब हालात बदल गए हैं- तस्वीर बदल गई है. राज और उद्धव एक साथ दिखने लगे हैं. लेकिन गुंडागर्दी और मारपीट किसी भी सियासत की रणनीति नहीं हो सकती. भाषा का विरोध ठीक हो सकता है. लेकिन उस विरोध में हिंसा और थप्पड़ गुंडागर्दी है, सिर्फ और सिर्फ गुंडागर्दी- जो राज ठाकरे की सेना कर रही है.
इस बीच मुंबई में मराठी के नाम पर बदसलूकी मामले में मराठी इनफ्लूएंसर राजश्री मोरे ने FIR दर्ज करवाई है. शिवसेना के नेता संजय निरुपम ने उनसे मुलाकात की. राजश्री और निरुपम अंबोली पुलिस स्टेशन पहुंचे और आरोपी के खिलाफ सख्त धाराएं लगाने की मांग की. राजश्री मोरे से बदसलूकी का आरोप राहिल शेख पर है जो MNS के नेता जावेद शेख का बेटा है. आरोप है कि राहिल ने अपनी SUV से राजश्री की कार को कई बार टक्कर मारी. राजश्री मोरे ने इस घटना का वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर किया, जिसमें राहिल गाली-गलौज और धमकी देते दिखाई दे रहा है. उसने अपने पिता के MNS उपाध्यक्ष के स्टेटस का हवाला देते हुए कहा- पुलिस को बता, मैं जावेद शेख का बेटा हूं, फिर देख क्या होता है.
ना MP, ना MLA - सिर्फ गुंडों की 'सेना'?
कुछ ऐसा ही आरोप बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे राज ठाकरे की पार्टी पर लगा रहे हैं. निशिकांत दुबे ने थप्पड़ मारने वाले कार्यकर्ताओं को चुनौती दी और कहा कि महाराष्ट्र से बाहर आकर दिखाओ तो पटक पटक कर मारेंगे. निशिकांत दुबे के बयान पर महाविकास अघाड़ी ने पलटवार किया और कहा कि पटकना है तो पहले देवेंद्र फड़णवीस को पटक कर दिखाओ. जब बात बढ़ी तो देवेंद्र फड़णवीस ने सफाई दी और शिंदे गुट ने भी बयान की निंदा की.
'बिहार की राजनीति महाराष्ट्र में मत लगाओ'
सियासत में अक्सर ऐसा होता है कि निशाना कहीं और होता है. लेकिन बात कहीं और पहुंच जाती है. बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने राज ठाकरे के कार्यकर्ताओं को चुनौती दी तो बात मराठी अस्मिता तक पहुंच गई. निशिकांत दुबे ने कहा पटक पटक कर मारेंगे तो कांग्रेस ने पूछ लिया कि देवेंद्र फड़णवीस और नितिन गडकरी को पटक कर दिखाओ. शरद पवार की पार्टी ने नसीहत दी कि बिहार की राजनीति महाराष्ट्र में मत लगाओ.
महाराष्ट्र की समाजवादी पार्टी ने निशिकांत दुबे से माफी और इस्तीफा मांग लिया. निशिकांत दुबे के बयान ने विपक्ष को मुद्दा दे दिया और सत्तारुढ़ महागठबंधन की मुश्किल बढ़ा दी. महाराष्ट्र के सीएम ने निशिकांत दुबे के बयान पर सफाई दी. एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने भी निशिकांत दुबे के बयान की निंदा की.
निशिकांत दुबे का बयान बिहार चुनाव में बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है. लेकिन वो महाराष्ट्र में बीजेपी की मुश्किल बढ़ा गए- वो शायद भूल गए कि बीएमसी का भी चुनाव सिर पर है. MNS और उद्धव गुट मराठी भाषा को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं जो शिवसेना का मुद्दा हुआ करता था तो क्या शिवसेना अब पिछड़ रही है.
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