नई दिल्ली:
अरविंद केजरीवाल ने डीएलएफ की सफाई के बाद फिर सवाल उठाए हैं। उन्होंने टि्वटर पर लिखा है कि डीएलएफ ने जवाब दिया है, जो आधा-अधूरा सच और झूठ से भरा हुआ है। बहुत सारी जानकारी दबाई गई है।
एक और ट्वीट में केजरीवाल ने कहा कि हम कल तफ्सील से इसका जवाब देंगे, लेकिन क्या रॉबर्ट वाड्रा भी डीएलएफ का बयान मानते हैं या उनका कुछ और कहना है, उनका जवाब सुनना चाहेंगे।
इससे पहले, रॉबर्ट वाड्रा ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, आपकी चिंता के लिए बहुत धन्यवाद। मैं ठीक हूं और सारी बुराइयों को झेल सकता हूं। मैं अपने प्रियजनों को खो चुका हूं...इससे बुरा और क्या हो सकता है।
गौरतलब है कि केजरीवाल और उनकी टीम ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ़ पर जो आरोप लगाए थे, उसका जवाब देते हुए डीएलएफ ने कहा है कि उन्होंने वाड्रा को कोई अनसिक्योरड लोन नहीं दिया। कंपनी ने बताया कि उन्होंने वाड्रा को जमीन की खरीद के लिए एडवांस दिया था और उन्हें जिन दामों पर फ्लैट दिए गए, उसकी पहले घोषणा की जा चुकी थी। इसके अलावा 5,000 से 6,000 रुपये स्क्वायर फीट पर वाड्रा की कंपनी को फ्लैट दिए गए थे और इसी कीमत पर हजारों लोगों ने भी फ्लैट लिए थे।
डीएलएफ ने कहा कि उसने राज्य सरकारों से ना तो कोई अनुचित लाभ लिया और ना ही उसे दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान सरकारों से कोई भूमि आवंटित की गई। डीएलएफ ने कहा, हम यह बताना चाहेंगे कि डीएलएफ के मिस्टर रॉबर्ट वाड्रा अथवा उनकी कंपनियों के साथ व्यापारिक संबंध व्यक्तिगत उद्यमी के नाते थे तथा ये पूरी तरह से पारदर्शी तथा दोनों पक्ष स्वतंत्र एवं बराबरी की स्थिति में थे। डीएलएफ ने कहा कि वाड्रा के साथ व्यापारिक संबंध नैतिकता के मानकों पर खरे हैं।
उसने कहा, हम यह विशेष तौर पर कहना चाहेंगे कि डीएलएफ ने वाड्रा या उनकी किसी कंपनी को बिना गारंटी का कोई ऋण नहीं दिया। 65 करोड़ रुपये की राशि दो लेनदेनों में भूमि खरीदने के लिए व्यापारिक अग्रिम के रूप में दिए गए। डीएलएफ ने कहा कि उसने 2008-09 में गुड़गांव में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से 3.5 एकड़ भूमि 50 करोड़ रुपये में खरीदी थी।
उसने कहा, किसी भी स्तर पर स्काईलाइट समूह को ब्याजमुक्त ऋण नहीं दिया गया। संपत्ति खरीद के बदले दो व्यापारिक अग्रिम हुए। इसमें से एक 50 करोड़ रुपये का था, जिसमें वाणिज्यिक भूमि की खरीद हुई। दूसरा 15 करोड़ रुपये का अग्रिम था, जो पूर्ण रूप से वापस कर दिया गया।
एक और ट्वीट में केजरीवाल ने कहा कि हम कल तफ्सील से इसका जवाब देंगे, लेकिन क्या रॉबर्ट वाड्रा भी डीएलएफ का बयान मानते हैं या उनका कुछ और कहना है, उनका जवाब सुनना चाहेंगे।
इससे पहले, रॉबर्ट वाड्रा ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, आपकी चिंता के लिए बहुत धन्यवाद। मैं ठीक हूं और सारी बुराइयों को झेल सकता हूं। मैं अपने प्रियजनों को खो चुका हूं...इससे बुरा और क्या हो सकता है।
गौरतलब है कि केजरीवाल और उनकी टीम ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ़ पर जो आरोप लगाए थे, उसका जवाब देते हुए डीएलएफ ने कहा है कि उन्होंने वाड्रा को कोई अनसिक्योरड लोन नहीं दिया। कंपनी ने बताया कि उन्होंने वाड्रा को जमीन की खरीद के लिए एडवांस दिया था और उन्हें जिन दामों पर फ्लैट दिए गए, उसकी पहले घोषणा की जा चुकी थी। इसके अलावा 5,000 से 6,000 रुपये स्क्वायर फीट पर वाड्रा की कंपनी को फ्लैट दिए गए थे और इसी कीमत पर हजारों लोगों ने भी फ्लैट लिए थे।
डीएलएफ ने कहा कि उसने राज्य सरकारों से ना तो कोई अनुचित लाभ लिया और ना ही उसे दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान सरकारों से कोई भूमि आवंटित की गई। डीएलएफ ने कहा, हम यह बताना चाहेंगे कि डीएलएफ के मिस्टर रॉबर्ट वाड्रा अथवा उनकी कंपनियों के साथ व्यापारिक संबंध व्यक्तिगत उद्यमी के नाते थे तथा ये पूरी तरह से पारदर्शी तथा दोनों पक्ष स्वतंत्र एवं बराबरी की स्थिति में थे। डीएलएफ ने कहा कि वाड्रा के साथ व्यापारिक संबंध नैतिकता के मानकों पर खरे हैं।
उसने कहा, हम यह विशेष तौर पर कहना चाहेंगे कि डीएलएफ ने वाड्रा या उनकी किसी कंपनी को बिना गारंटी का कोई ऋण नहीं दिया। 65 करोड़ रुपये की राशि दो लेनदेनों में भूमि खरीदने के लिए व्यापारिक अग्रिम के रूप में दिए गए। डीएलएफ ने कहा कि उसने 2008-09 में गुड़गांव में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से 3.5 एकड़ भूमि 50 करोड़ रुपये में खरीदी थी।
उसने कहा, किसी भी स्तर पर स्काईलाइट समूह को ब्याजमुक्त ऋण नहीं दिया गया। संपत्ति खरीद के बदले दो व्यापारिक अग्रिम हुए। इसमें से एक 50 करोड़ रुपये का था, जिसमें वाणिज्यिक भूमि की खरीद हुई। दूसरा 15 करोड़ रुपये का अग्रिम था, जो पूर्ण रूप से वापस कर दिया गया।
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