प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संविधान पीठ अब केवल सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े मामले की सुनवाई ही नहीं, बल्कि मस्जिदों और दरगाहों में मुस्लिम महिलाओं का प्रवेश और विवाहित पारसी महिलाओं के साथ भेदभाव जैसी प्रथा पर भी सुनवाई करेगी.
पांच जजों की बेंच ने सात जजों की बेंच को मामला रेफर करने के साथ सात जजों की बेंच को जवाब तय करने के लिए सात सवाल भेजे हैं -
- संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धर्म की स्वतंत्रता और भाग III, विशेष रूप से अनुच्छेद 14 में अन्य प्रावधानों के बीच अंतर.
- संविधान के अनुच्छेद 25 (1) में होने वाली अभिव्यक्ति, सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य क्या है.
- संविधान में 'नैतिकता' या 'संवैधानिक नैतिकता' को परिभाषित नहीं किया गया है. क्या यह धार्मिक आस्था या विश्वास के लिए प्रस्तावना या सीमित होने के संदर्भ में नैतिकता पर आधारित है. उस अभिव्यक्ति के अंतर्विरोधों को चित्रित करने की जरूरत है, ऐसा नहीं है कि यह व्यक्तिपरक हो जाता है.
- किसी विशेष प्रथा के मुद्दे पर अदालत किस हद तक पूछताछ कर सकती है, यह किसी विशेष धार्मिक संप्रदाय के धर्म या धार्मिक प्रचलन का एक अभिन्न अंग है या जिसे विशेष रूप से उस धारा के प्रमुख द्वारा निर्धारित किए जाने के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए धार्मिक समूह.
- संविधान के अनुच्छेद25 (2) (बी) में प्रदर्शित होने वाले हिंदुओं के अभिव्यक्ति के वर्गों का क्या अर्थ है.
- क्या एक धार्मिक संप्रदाय की "आवश्यक धार्मिक प्रथाओं", या यहां तक कि एक खंड को अनुच्छेद 26 के तहत संवैधानिक संरक्षण दिया जाता है.
- उन संप्रदायों की धार्मिक प्रथाओं पर सवाल उठाने वाले मामलों में जनहित याचिकाओं को न्यायिक मान्यता देने की अनुमेय सीमा क्या होगी, जो ऐसे धार्मिक संप्रदाय से संबंध रखने वाले लोगों के उदाहरण में नहीं है?
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