कोर्ट ने कहा, सुनिश्चित किया जाए कि रोगियों को इलाज दिया जाए
श्रीनगर:
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने शनिवार को कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए पेलेट गन के इस्तेमाल को बंद कर देना चाहिए। कोर्ट ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के संसद में दिए गए बयान को देखते हुए यह सुझाव दिया।
एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री ने लोकसभा में कहा है कि पेलेट गन का विकल्प ढूंढने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाएगी।' खंडपीठ ने कहा, 'पेलेट गन के इस्तेमाल को बंद करने के लिए यह बयान पर्याप्त होना चाहिए।'
मुख्य न्यायाधीश एन. पॉल वसंत कुमार और न्यायमूर्ति मुजफ्फर हुसैन अतहर की खंडपीठ ने कहा, 'राजनाथ के बयान का यह भी मतलब है कि पेलेट गन घातक हैं।' अदालत ने कहा कि गृहमंत्री के बयान का मतलब है कि कश्मीर में यह गैर घातक हथियार नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को उचित, निष्पक्ष होना चाहिए।
अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि जारी अशांति के दौरान जख्मी लोगों का आवश्यक इलाज किया जाए और जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है उन्हें इलाज के लिए दूसरे अस्पतालों में भेजा जाए।
कोर्ट ने कहा, 'सुनिश्चित किया जाए कि रोगियों को इलाज दिया जाए। उन लोगों को दूसरे अस्पताल में भेजा जाए, जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है।'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री ने लोकसभा में कहा है कि पेलेट गन का विकल्प ढूंढने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाएगी।' खंडपीठ ने कहा, 'पेलेट गन के इस्तेमाल को बंद करने के लिए यह बयान पर्याप्त होना चाहिए।'
मुख्य न्यायाधीश एन. पॉल वसंत कुमार और न्यायमूर्ति मुजफ्फर हुसैन अतहर की खंडपीठ ने कहा, 'राजनाथ के बयान का यह भी मतलब है कि पेलेट गन घातक हैं।' अदालत ने कहा कि गृहमंत्री के बयान का मतलब है कि कश्मीर में यह गैर घातक हथियार नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को उचित, निष्पक्ष होना चाहिए।
अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि जारी अशांति के दौरान जख्मी लोगों का आवश्यक इलाज किया जाए और जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है उन्हें इलाज के लिए दूसरे अस्पतालों में भेजा जाए।
कोर्ट ने कहा, 'सुनिश्चित किया जाए कि रोगियों को इलाज दिया जाए। उन लोगों को दूसरे अस्पताल में भेजा जाए, जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है।'
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