तस्वीर सौजन्य : www.ispr.gov.pk
नई दिल्ली:
पाकिस्तान ने भारत पर 'जासूसी के लिए ड्रोन भेजने' का आरोप लगाया है जिसे सिरे से खारिज कर दिया गया है, साथ ही विशेषज्ञों का कहना है कि खुद पाकिस्तान पुलिस के पास 'एकदम मिलते-जुलते' जासूसी ड्रोन मौजूद हैं। बाद में पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया और कहा कि भारत ने हवाई क्षेत्र से जुड़े दो समझौतों का उल्लंघन किया है। इस घटना के बाद दोनों देशों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन्स पर बहस छिड़ गई है, साथ ही सवाल उठा है कि कहीं पाकिस्तान ने अपने ही ड्रोन को तो नहीं मार गिराया?
पाकिस्तान का दावा है कि ड्रोन को पाक अधिकृत कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल के पास मार गिराया गया है। पाकिस्तान के जनसंपर्क विभाग ने आरोप लगाया है कि इस ड्रोन का इस्तेमाल एरियल फोटोग्राफी (आसमान से तस्वीरें खींचने) के लिए किया जा रहा था। पाकिस्तान मिलेट्री जिस तस्वीर को दिखा रही है वो एक चीन में बना हुआ डीजीआई फैंटम 3 लग रहा है। जानकारों का कहना है कि इस मॉडल को एरियल फिल्मिंग के लिए व्यवसायिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है और इसमें किसी तरह की गुप्त मिलेट्री तकनीक का इस्तेमाल नहीं होता है। इस छोटे से ड्रोन को तो 1.5 लाख रुपए में ई-बे से कोई भी खरीद सकता है।
वहीं भारत के उच्च अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के ड्रोन अक्सर पाकिस्तान पुलिस ही काम में लाती है और ये सैन्य कार्यवाही के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उन ड्रोन्स से काफी अलग है जिसे अमेरीका अक्सर पाकिस्तान में आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल में लाती है। भारतीय सेना और पुलिस तो देश में ही बनाए जाने वाले 'नेथ्रा' ड्रोन का इस्तेमाल करती है जिसे आयडियाफोर्ज और डीआरडीओ मिलकर बनाते हैं।
यही नहीं भारतीय सेना, इज़राइल में बने ड्रोन भी उपयोग में लाती है। पाकिस्तान बहुत समय से खुद के ड्रोन्स को लाने की बात कर रहा है, साथ ही तालिबान और अल-क़ायदा पर किए गए अमरीका के ड्रोन हमलों की निंदा भी करता आया है। मार्च में पाकिस्तानी मिलेट्री ने घोषणा की थी कि उसने अपने ड्रोन की टेस्टिंग की है जिसमें लेज़र-युक्त मिसाइल है। विशेषज्ञों का कहना है कि वीडियो में दिखाया गया ड्रोन काफी कुछ चीन से मेल खाता है।
पाकिस्तान का दावा है कि ड्रोन को पाक अधिकृत कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल के पास मार गिराया गया है। पाकिस्तान के जनसंपर्क विभाग ने आरोप लगाया है कि इस ड्रोन का इस्तेमाल एरियल फोटोग्राफी (आसमान से तस्वीरें खींचने) के लिए किया जा रहा था। पाकिस्तान मिलेट्री जिस तस्वीर को दिखा रही है वो एक चीन में बना हुआ डीजीआई फैंटम 3 लग रहा है। जानकारों का कहना है कि इस मॉडल को एरियल फिल्मिंग के लिए व्यवसायिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है और इसमें किसी तरह की गुप्त मिलेट्री तकनीक का इस्तेमाल नहीं होता है। इस छोटे से ड्रोन को तो 1.5 लाख रुपए में ई-बे से कोई भी खरीद सकता है।
वहीं भारत के उच्च अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के ड्रोन अक्सर पाकिस्तान पुलिस ही काम में लाती है और ये सैन्य कार्यवाही के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उन ड्रोन्स से काफी अलग है जिसे अमेरीका अक्सर पाकिस्तान में आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल में लाती है। भारतीय सेना और पुलिस तो देश में ही बनाए जाने वाले 'नेथ्रा' ड्रोन का इस्तेमाल करती है जिसे आयडियाफोर्ज और डीआरडीओ मिलकर बनाते हैं।
यही नहीं भारतीय सेना, इज़राइल में बने ड्रोन भी उपयोग में लाती है। पाकिस्तान बहुत समय से खुद के ड्रोन्स को लाने की बात कर रहा है, साथ ही तालिबान और अल-क़ायदा पर किए गए अमरीका के ड्रोन हमलों की निंदा भी करता आया है। मार्च में पाकिस्तानी मिलेट्री ने घोषणा की थी कि उसने अपने ड्रोन की टेस्टिंग की है जिसमें लेज़र-युक्त मिसाइल है। विशेषज्ञों का कहना है कि वीडियो में दिखाया गया ड्रोन काफी कुछ चीन से मेल खाता है।
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