ओडिशा के छात्रों ने तैयार किया 'ब्रूच', संकट के समय महिलाओं की मदद करेगा

ओडिशा के छात्रों ने तैयार किया 'ब्रूच', संकट के समय महिलाओं की मदद करेगा

प्रतीकात्‍मक फोटो

नई दिल्‍ली:

ओडिशा के छात्रों ने ऐसा उपकरण तैयार किया है तो मुश्किल के वक्‍त पर महिलाओं के लिए मददगार साबित हो सकता है। पुरी के घनश्याम हेमलता विद्या मंदिर के विद्यार्थियों प्रतिक्षय नायक और तापसी बिसल ने लड़कियों और महिलाओं के लिए एक सुरक्षात्मक 'ब्रूच' विकसित किया है। संकट के समय में नजदीकी पुलिस स्टेशन फोन करने के लिए वे इसका इस्तेमाल कर सकती हैं।

आईआईटी-दिल्ली के विज्ञान मेले में प्रदर्शित इस डिवाइस में एक माइक्रोप्रोसेसर के साथ एक मिनी कैमरा, वीडियो रिकॉर्डिग डिवाइस और जीपीएस कॉल प्रणाली अटैच है। ब्रूच की सतह पर दो छिपे हुए बटन हैं, पहला बटन ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिग के लिए मिनी कैमरा को एक्टिवेट करने के लिए है जबकि दूसरा चयनित मोबाइल नंबर के लिए ऑटो कॉल को फॉर्वर्ड करने के लिए एक्टिवेट करने के लिए है। माइक्रोप्रोसेसर के साथ एक मेमोरी चिप साक्ष्य को दर्ज करता है, जबकि ब्रूच के पिछले हिस्से में एक यूएसबी पोर्ट सिस्टम दर्ज आंकड़ों को ब्रूच से कंप्यूटर में भेजता है।

इस तरह से करेगा काम
प्रतिक्षय ने कहा, 'यदि कोई महिला या लड़की खुद को मुश्किल स्थिति में पाती है, तो वह कैमरे को एक्टिवेट करने के लिए पहले नंबर के बटन को दबा सकती है। स्थिति के खतरनाक हो जाने पर, वह दूसरे बटन (जीपीएस सिस्टम) को दबा सकती है जो सटीक स्थान को दिखा कर मदद के लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन फोन करेगा।' ओडिशा की लड़कियों ने कहा, 'दिल्ली में भीषण 'निर्भया' कांड की स्मृति हमें अब भी परेशान करती है। इसलिए हमने इस तरह के एक उपकरण विकसित करने का फैसला लिया।'

रेल व ट्रेक पर नजर रखेगा साद का डिवाइस  
क्लेरेंस हाई स्कूल (बेंगलुरू) के 11वीं के छात्र साद नासिर ने ऐसा डिवाइस विकसित किया है, जिसे रेल पर नजर रखने के लिए एक लोकोमोटिव पर रखा जा सकता है। उसने कहा, 'भारत का रेल नेटवर्क 65,000 किमी से अधिक है और ट्रैक के रखरखाव और मरम्मत पर सालाना 9,100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया जाता है। वर्तमान उपकरणों को रेल और ट्रैक की निगरानी के लिए ट्रैक के उस विशेष खंड को बंद करने की आवश्यकता होती है जिससे मूल्यवान ट्रैक क्षमता बर्बाद होती है।'

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टूट-फूट की जांच के लिए लगे हैं सेंसर
साद नासिर के डिवाइस में रेल संबंधी टूट-फूट को मापने के लिए विभिन्न सेंसर लगे हैं। इन सेंसरों के परिणामों के संयोजन से, सटीकता में सुधार लाना  संभव हो जाएगा। उसके बाद डेटा क्लाउड को भेजा जा सकता है जहां विभिन्न उपकरणों की रीडिंग के संयोजन से सटीकता में सुधार किया जा सकता है। यह डिवाइस अभी रेलवे प्रौद्योगिकी मिशन के विचाराधीन है। यह डिवाइस काफी संख्या में डेटा उपलब्ध कराता है जो रेल ऑपरेटरों को रेल संबंधी टूट-फूट के बारे में बेहतर भविष्यवाणी करने, रखरखाव की लागत को कम करने और इंजनों की सुरक्षा बढ़ाने में मदद कर सकते है।