तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बुधवार को संसद में लगातार पास हो रहे बिलों को लेकर नाराजगी जताई है. उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए ट्वीट पर लिखा, ''संसद को बिलों की समीक्षा करानी चाहिए. हम पिज्जा डिलीवर कर रहे हैं या बिल पारित कर रहे हैं?' उन्होंने इसके साथ एक ग्राफिक चार्ट भी शेयर किया है, जिसमें यह बताया गया है कि पिछली चार सरकारों के कार्यकाल में संसद में पेश कितने बिलों को जांच-परख के लिए भेजा गया. इस चार्ट के मुताबिक 2009 से 2014 के बीच कांग्रेस के कार्यकाल में सबसे ज्यादा 71 फीसदी बिलों की समीक्षा की गई. जबकि बीजेपी सरकार के पिछले कार्यकाल में 26 फीसदी और मौजूदा कार्यकाल में अब तक सिर्फ 5 फीसदी बिल यानि 1 बिल को ही समीक्षा के लिए भेजा गया है जबकि 18 बिल पास हुए हैं.
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डेरेक की यह प्रतिक्रिया राज्यसभा में 'तीन तलाक' पर प्रतिबंध लगाने के विवादास्पद बिल के एक दिन बाद आई है. मंगलवार को ममता बनर्जी की पार्टी के सबसे विश्वसनीय नेताओं में से एक डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि जिस तरह से बिल पास हो रहे हैं ये संसद का मजाक बनाना है और विपक्ष की आवाज दबाने का सरकार का एक तरीका है.
मंगलवार को राज्यसभा में नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड), एआईएडीएमके और के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति सहित कई दलों ने इसका विरोध किया. एआईएडीएमके और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने सदन से वॉकआउट कर दिया. पीडीपी के दो सांसदों ने ऊपरी सदन में बिल पेश होने के बाद वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. तृणमूल कांग्रेस के 13 में से 12 सदस्यों ने ही वोट किया.
पिछले हफ्ते, डेरेक ओ ब्रायन ने कहा था कि सरकार ने लोकसभा में दोषपूर्ण आरटीआई बिल को पास कराने के लिए भी अपने प्रचंड बहुमत का इस्तेमाल किया. विपक्ष की आपत्तियों के बावजूद बिल राज्यसभा में भी पास हो गया. ब्रायन ने कहा था, ''संसद को जांच करनी होगी. इसकी जांच के लिए समय चाहिए. यह टी -20 मैच नहीं है.'' सत्रह विपक्षी दलों ने पिछले हफ्ते राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को बिलों के जल्दबाज़ी में पारित होने पर लिखा भी था.
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