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This Article is From Aug 07, 2019

न्यायपालिका में आरक्षण की मांग फिर उठने लगी

सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि संसद को इस पर कानून बनाकर न्यायपालिका में आरक्षण की व्यवस्था बहाल करनी चाहिए

न्यायपालिका में आरक्षण की मांग फिर उठने लगी
रामदास आठवले (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

न्यायपालिका में आरक्षण की मांग फिर उठने लगी है. सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जजों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 करने के लिए लाए गए The Supreme Court (Number of Judges) Amendment बिल को राज्य सभा की मंज़ूरी के बाद ये मुद्दा उठा. सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि संसद को इस पर कानून बनाकर न्यायपालिका में आरक्षण की व्यवस्था बहाल करनी चाहिए. बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने राज्य सभा में न्यायपालिका में अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व का सवाल उठाया.

रामदास अठावले , सामाजिक न्याय राज्य मंत्री ने कहा जुडिशिय़री में आरक्षण होना चाहिए. कांग्रेस ने बिल का समर्थन किया लेकिन सरकार के उस आश्वासन के बाद कि संसद के अगले सत्र में न्यायपालिका के कामकाज पर चर्चा होगी. कांग्रेस ने देश के न्यायालयों में लंबित करोड़ों मामलों और जजों की वेकन्सी का सवाल भी उठाया.

अभिषेक मनु सिंघवी, नेता, कांग्रेस ने कहा सुप्रीम कोर्ट जजों का नंबर बढ़ाने से पेंडिंग केसों को खत्म करने में कैसे मदद मिलेगी? हाईकोर्ट में जजों की कुल संख्या 1100 जिसमें से  तिहाई खाली हैं. सबआर्डिनेट जुडिशियरी में 18,000 पोस्टमें se 25 प्रतिशत खाली हैं.

आधिकारिक आकड़ों के मुताबिक देश के न्यायालयों में दो करोड़ से ज्यादा आपराधिक मामले और 90 लाख के करीब सिविल मामले लटके पड़े हैं.इनमें दो लाख से ज्यादा मामले 25 साल से अटके हुए हैं जबकि 1000 के करीब मामले 50 साल से लंबित हैं.

आने वाले दिनों में सरकार न्यायपालिका व्यवस्था में बड़े सुधार की इन मांगों से कैसे निपटती है .इसपर सभी की निगाहें होंगी.

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