दिल्ली के दंगों में पहले लोगों ने अपनों को खोया, अब मारे गए लोगों के शव मिलने के लिए परेशान होना पड़ रहा है. जीटीबी अस्पताल की मार्चुरी में गुरुवार शाम तक केवल 9 मृतकों का पोस्टमार्टम हो पाया है. असफाक की मां बहुत बीमार हैं तीन दिन से तड़प रही हैं अपने बेटे के लिए लेकिन कभी कोई बहाना, कभी कोई बहाना.
असफाक की चाची शाहिस्ता बुलंदशहर से उसका शव लेने के लिए गुरुवार सुबह जीटीबी अस्पताल के मॉर्चुरी में पहुंचीं. 25 तारीख को असफाक जब घर लौट रहा था तभी ब्रजपुरी तिराहे के पास उसको दंगाईयों ने मार दिया. उसकी शादी के महज 11 दिन ही हुए थे. शाहिस्ता ने कहा कि यहां कोई सुनवाई नहीं हो रही है. तीन दिन हो गए हैं. हम घर रहें या अस्पतालों के चक्कर लगाएं. गलियों से छिपछिपाकर आए हैं.
बिहार के राम सुमिरत पासवान रिक्शा चलाकर अपना पेट पालते हैं. 15 साल के नितिन को दंगाईयों ने गोली मार दी. अब इसकी डेडबॉडी के लिए रामसुमिरत इंतजार कर रहे हैं. राम सुमिरत पासवान ने कहा कि मेरा पंद्रह साल का बच्चा मर चुका है. मैं अस्पताल में इंतजार कर रहा हूं. डेडबॉडी भी नहीं मिल रही है. कभी गोकुल पुरी जा रहा हूं कभी यहां आ रहा हूं.
हालांकि जीटीबी अस्पताल इस जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है. गुरुवार शाम पांच बजे तक 4 दिन में 9 पोस्टमार्टम जीटीबी अस्पताल में हुए हैं जबकि 33 डेडबॉडी मॉर्चुरी में रखी हैं.
जीटीबी अस्पताल के एमडी सुनील कुमार कहते हैं कि मैं आपकी बात से सहमत हूं कि डिले हो रहा है लेकिन उसके लिए पुलिस को इनीशिएट करना होता है. कल जितनी अप्लाईकेशन दी थी हमने की. मेरा सवाल है कि तीन दिन में केवल चार पोस्टमार्टम, आप बताईए इसमें हमारी क्या गलती है. पुलिस ने जितने दिए, हमने किए.
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हालात अब भी सामान्य नहीं है. शिवविहार में कब्रिस्तान के पास गुरुवार शाम तक बलवा जारी रहा. शान मोहम्मद के बेटे को दंगाईयों ने गोली मार दी है. पुलिस लाख दावा करे लेकिन गुरुवार शाम तक घायलों को लाने का सिलसिला थमा नहीं था.
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