विज्ञापन
This Article is From Mar 01, 2020

भड़काऊ भाषण देने पर BJP नेताओं के खिलाफ कार्रवाई न करने पर दिल्ली पुलिस को फटकारने वाले जस्टिस एस मुरलीधर से जुड़ी अहम बातें

दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने से पहले एक अधिवक्ता के तौर पर भी नागरिक अधिकारों और मानव अधिकारों के मामलों के प्रति उनकी संवेदनशीलता सामने आने लगी थी.

भड़काऊ भाषण देने पर BJP नेताओं के खिलाफ कार्रवाई न करने पर दिल्ली पुलिस को फटकारने वाले जस्टिस एस मुरलीधर से जुड़ी अहम बातें
न्यायमूर्ति डा. एस मुरलीधर निजी जीवन में सादगी पसंद व्यक्ति हैं (फाइल फोटो)
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
मुरलीधर निजी जीवन में सादगी पसंद व्यक्ति
पूर्व अटार्नी जनरल जी रामास्वामी के जूनियर भी रहे
2003 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यलाय से पीएचडी भी की
नई दिल्ली:

मानवाधिकारों की रक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील न्यायमूर्ति डा. एस मुरलीधर निजी जीवन में सादगी पसंद व्यक्ति हैं. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर 23-24 फरवरी को दिल्ली के कुछ हिस्सों में हिंसा की घटनाओं के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति डा. मुरलीधर ने कड़ा रूख अपनाते हुये पुलिस और भाजपा के कुछ नेताओं को आड़े हाथ लिया था. इसके बाद न्यायमूर्ति डा. मुरलीधर का तबादला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में कर दिया गया. उनके तबादले के समय को लेकर अलग-अलग बातें कही गईं. कुछ लोगों ने इस तबादले को पुलिस और भाजपा के प्रति उनके सख्त रूख से जोड़कर देखा, जबकि सरकार की ओर से दलील दी गई कि उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम की 12 फरवरी की सिफारिश के अनुरूप तबादले की यह एकदम सामान्य प्रक्रिया थी.

न्यायमूर्ति डा. मुरलीधर के तबादले को लेकर उठे विवाद को एक तरफ कर दिया जाए तो इस बात में दो राय नहीं है कि उन्हें मानवाधिकारों और नागरिक अधिकारों के लिये सदैव प्रतिबद्ध रहने वाले न्यायाधीश के रूप में देखा जाता है. उन्होंने अपने न्यायमूर्ति होने का धर्म सदैव निभाया. उनके द्वारा दिए गए कई बहुचर्चित फैसले उनके व्यक्तित्व के इस उजले पक्ष को उजागर करते हैं. उन्होंने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा के ट्रांजिट रिमांड पर 2018 में रोक लगाने वाली पीठ के सदस्य के रूप में सरकार और व्यवस्था को खरी खरी सुनाई थी. 

1986 के हाशिमपुरा नरसंहार के मामले में उप्र पीएसी के 16 कर्मियों और 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को सजा सुनाने में न्यायमूर्ति मुरलीधर की कलम जरा भी नहीं डगमगाई. वह उच्च न्यायालय की उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने 2009 में दो वयस्कों में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर रखने की ऐतिहासिक व्यवस्था दी थी. 

BJP नेताओं पर कार्रवाई न करने पर दिल्ली पुलिस को फटकारने वाले जज का ट्रांसफर, कांग्रेस ने मोदी सरकार से पूछे 3 सवाल

दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने से पहले एक अधिवक्ता के तौर पर भी नागरिक अधिकारों और मानव अधिकारों के मामलों के प्रति उनकी संवेदनशीलता सामने आने लगी थी. चेन्नई में 1984 में वकालत शुरू करने वाले मुरलीधर करीब तीन साल बाद अपनी वकालत को नये आयाम देने की इच्छा के साथ दिल्ली आये और उन्होंने उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय में वकालत की. इस दौरान मुरलीधर पूर्व अटार्नी जनरल जी रामास्वामी (1990-1992) के जूनियर भी रहे. 

यहां उनके बारे में यह जान लेना दिलचस्प होगा कि अधिवक्ता के रूप में मुरलीधर पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार इलाके में स्थित सुप्रीम एन्क्लेव में रहते थे. वहीं करीब ही मशहूर गुरूवायुरप्पन मंदिर है. इस मंदिर के बाहर हर रविवार को दक्षिण भारतीय व्यंजनों के स्टॉल लगते हैं, जो खासे लोकप्रिय हैं. मुरलीधर रविवार को अकसर इन स्टाल पर बड़े सहज भाव से दक्षिण भारतीय व्यंजनों-डोसा, इडली और सांभर बड़ा का लुत्फ उठाते नजर आते थे. ये उनकी सादगी का परिचायक है. राष्ट्रपति डा एपीजे अब्दुल कलाम ने 29 मई 2006 को डा एस मुरलीधर को दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया था. इस पद पर नियुक्ति से पहले वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और निर्वाचन आयोग के वकील भी रह चुके थे. बाद में वह दिसंबर, 2002 से विधि आयोग के अंशकालिक सदस्य भी रहे. इसी दौरान, 2003 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यलाय से पीएचडी भी की. 

दिल्ली हिंसा पर बोली HC- कोर्ट और पुलिस के होते हुए दिल्ली में दूसरा 1984 नहीं देख सकते

डा. मुरलीधर की पत्नी उषा रामनाथन भी एक अधिवक्ता और मानव अधिकार कार्यकर्ता हैं जो आधार योजना के खिलाफ आन्दोलन में काफी सक्रिय थीं. बतौर वकील डा मुरलीधर और उनकी पत्नी उषा रामनाथन ने भोपाल गैस त्रासदी में गैस पीड़ितों और नर्मदा बांध के विस्थापितों के पुनर्वास के लिये काफी काम किया था.

वीडियो: दिल्ली पुलिस ने समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की?

    

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com