दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामले में एक व्यक्ति को जमानत देते हुए मंगलवार को कहा कि उसके खिलाफ लगायी गयी एक धारा पर बहस की गुंजाइश है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने फुरकान को जमानत प्रदान करते हुए कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 436 उपासना स्थल के तौर पर या रहने के स्थान के तौर पर इस्तेमाल होने वाले मकान को नुकसान पहुंचाने के संबंध में इस्तेमाल की जाती है लेकिन दंगाई भीड़ ने जिस गाड़ी को जलाया वह सड़क पर थी. अदालत ने आगे कहा कि धारा 436 के अलावा फुरकान पर जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, वह जमानती हैं.
फुरकान को आईपीसी की धारा 147 और 148 (दंगा), 149 (गैरकानूनी जमावड़ा)और 436 के तहत गिरफ्तार किया गया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘शिकायत और प्राथमिकी पर गौर करने से पता चलता है आग में जो गाड़ी जली वह सड़क पर पार्क की हुई थी. घटना मकान के बगल में संभवत: सड़क पर हुई थी. इसलिए आईपीसी की धारा 436 लगाया जाना बहस का मुद्दा है.'' अदालत ने जाफराबाद इलाके में दंगाई भीड़ द्वारा एक कार में आग लगाने के मामले में फुरकान को 15,000 रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के मुचलके पर जमानत दे दी .
अदालत ने कहा कि धारा 436 लगाने के लिए अभियोजन की इस दलील में दम नहीं है कि रिहायशी आवास के बगल में पार्क की हुई कार में आग लगने से मकान में भी आग लगने की आशंका थी. अदालत ने जमानत प्रदान करते हुए फुरकान से सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और बिना अनुमति के दिल्ली से बाहर नहीं जाने का निर्देश दिया . सुनवाई के दौरान फुरकान की ओर से पेश अधिवक्ता रिजवान ने कहा कि आरोपी को फर्जी तरीके से मामले में फंसाया गया और उसके खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं. पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक अनुज हांडा ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि फुरकान और उनके भाई को मामले में आठ अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया और दो आरोपियों का पता लगाया जा रहा है .
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