इंटरनेशनल कम्पनियों के नाम की भारत में फर्जी कम्पनी बनाकर ICICI बैंक को लोन के नाम पर लाखों का चूना लगाने वाले शातिर ठग गिरफ्तार किया गया है. एक मोबाइल नम्बर पर दो व्यक्तियों आधार कार्डों का खुलासा हुआ है. ICICI बैंक स्टाफ की मिली भगत की आशंका जताई जा रही है. यह जो शख्स पुलिस के शिकंजे में आया है वह जालसाज राजेश शर्मा है, मगर यह प्रदीप शर्मा भी है. यह जालसाज किसी फ़िल्म की तरह एक होकर दो किरदार अलग अलग रूप से निभाकर ICICI बैंक को 97 लाख का चूना लगा चुका है. यह बैंकों से फ़र्ज़ीवाड़े का खेल 2017 से 2018 के बीच खेला है.
आरोपी ने विदेश की नामी कम्पनी के नाम पर UAI SERVICES व MINDTREE नाम की दिल्ली में दो कम्पनियों को बनाकर सिर्फ 5 कर्मचारी रखे. दोनों कम्पनियों के सैलरी रजिस्टर अलग अलग किन्तु दोनों कम्पनियों में कर्मचारी यही 5 रखे गए. एक कम्पनी में राजेश शर्मा को मालिक दिखाया गया और दूसरी कम्पनी के मालिक के रूप में प्रदीप शर्मा को दिखाया गया.
यह आरोपी अपने कर्मचारियों के नाम पर अलग अलग कम्पनियों की सैलरी सिलिप पर कार लोन और पर्सनल लोन निकलवाता था. लोन का 80% अपने पास रखता था और 20 प्रतिशत जिसके नाम से लोन लिया उस कर्मचारी को देता था. इस तरह इसने कर्मचारियों की पे सिलिप से 5 लक्जरी गाड़ियां, 4 पर्सनल लोन व 10 क्रेडिट कार्ड लोन लिए थे. जब बैंक लोन की किस्तों का भुगतान नहीं हुआ तो बैंक ने सेंट्रल दिल्ली पहाड़ गंज संगतराशन चौकी में 26 जून शिकायत दर्ज करवाई. इसके बाद 20 सितम्बर को FIR दर्ज करवाई.
जाहिर सी बात है कि जब मामला नामी बैंक का हो तो पुलिस के आलाधिकारी लाजमी तौर से केस पर तवज्जो देते हैं. इस केस मे पुलिस टीम ने जांच में पाया कि राजेश शर्मा और प्रदीप शर्मा एक ही व्यक्ति के दो अलग अलग नाम हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह जांच में आई है कि राजेश शर्मा और प्रदीप शर्मा नाम के अलग अलग आधार कार्ड इसने एक मोबाइल नम्बर पर बनवाए हुए हैं. पेन कार्ड राजेश शर्मा व प्रदीप शर्मा के नाम से अलग अलग बना रखे हैं मगर उसपर मोबाइल नम्बर अपने नाम से न देकर दूसरे व्यक्ति के नाम का दिया हुआ था.
पुलिस ने कागजातों और मोबाइल नम्बर के आधार पर इसको तलाश किया तो सभी पते गलत निकले. पुलिस ने दिल्ली से सटे बड़े मार्गों पर लगे तकरीबन 1000 सीसीटीवी कैमरों को चैक किया. पुलिस लोन पर ली गई गाड़ियों को देखना चाहती थी कि वह किस रूट पर चल रही हैं. पुलिस को DND पर एक XUV गाड़ी का नम्बर लोन पर ली गई गाड़ी से मेल हो गया. यह XUV गाड़ी रोजाना नोएडा की सुपरटेक नाम की सोसाइटी में जाती थी.
पुलिस के सोसाइटी पहुंचने पर सुरक्षा गार्ड ने बताया बताया गया कि यह गाड़ी किसी नेता नाम के शख्स के पास है, मगर इसका मालिक कोई और है. जब इस गाड़ी के मालिक को तलाश करते हुए एक सोसायटी के फ्लैट पर पहुंची तो वहां यह जालसाज मिल गया जो राजेश शर्मा के नाम से रह रहा है. इसके पास से तीन कारें और बहुत से फ़र्जी दस्तावेज, क्रेडिट कार्ड बरामद किये गए हैं. पुलिस इसके पांचों कर्मचारियों की तलाश में जुटी है.
पुलिस को ताज्जुब इस बात का है कि एक मोबाइल नम्बर पर दो आधार कार्ड कैसे बनाये गए व आयकर विभाग ने किसी दूसरे व्यक्ति के मोबाइल नम्बर पर पेन कार्ड राजेश शर्मा व प्रदीप शर्मा को कैसे जारी कर दिए गए. ICICI बैंक के जिन कर्मचारियों ने इन फ़र्ज़ी कागजातों को वेरिफाई किया, उनकी मिलीभगत की भी जांच जारी है.
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