आईएनएक्‍स मीडिया केस: कार्ति चिदंबरम को दिल्‍ली हाईकोर्ट से मिली जमानत

आईएनएक्‍स मीडिया केस मामले में पूर्व वित्‍त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को दिल्‍ली हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है.

आईएनएक्‍स मीडिया केस: कार्ति चिदंबरम को दिल्‍ली हाईकोर्ट से मिली जमानत

कार्ति चिदंबरम (फाइल फोटो)

खास बातें

  • कार्ति चिदंबरम को चेन्नई से गिरफ्तार किया गया था
  • कार्ति के वकील ने सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोपों से इनकार किया था
  • सीबीआई ने कार्ति को राहत दिये जाने का विरोध किया था
नई दिल्ली:

आईएनएक्‍स मीडिया केस मामले में पूर्व वित्‍त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को दिल्‍ली हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्ति चिदंबरम और सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद 16 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रखने वाले न्यायमूर्ति एस पी गर्ग द्वारा आदेश सुनाने की संभावना है. सीबीआई ने कार्ति को राहत दिये जाने का विरोध किया था.

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न्यायमूर्ति एस पी गर्ग ने कार्ति को 10 लाख रुपये का एक जमानतदार देने का निर्देश दिया और उन पर देश से बाहर जाने की स्थिति में सीबीआई से पहले से अनुमति मांगने सहित अतिरिक्त शर्तें लगाईं हैं. कार्ति के वकील ने अदालत को बताया था कि उनका पासपोर्ट पहले से ही अधिकारियों के पास जमा है.

अदालत ने कहा कि जमानत पर रहते हुए कार्ति इस मामले के किसी साक्ष्य से छेड़छाड़ नहीं करें. सीबीआई ने इस आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया था कि वह इस मामले में ‘‘पहले ही सबूत नष्ट’’ कर चुके हैं और वह एक ‘‘प्रभावशाली’’ व्यक्ति हैं. कार्ति के वकील ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत कोई मामला नहीं बनता है क्योंकि सीबीआई ने न तो किसी लोक सेवक से पूछताछ की और ना ही इस मामले में उन्हें आरोपी बनाया.

कार्ति के वकील ने सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोपों से इंकार किया था और कहा था कि जब सीबीआई ने उन्हें हिरासत में लेकर और पूछताछ का अनुरोध नहीं है तो उन्हें न्यायिक हिरासत में क्यों रखा जाना चाहिए.

उन्हें पिछले साल 15 मई को दर्ज प्राथमिकी के संबंध में चेन्नई से गिरफ्तार किया गया था. इन पर उनके पिता के केन्द्रीय वित्त मंत्री रहते हुए 2007 में विदेश से करीब 305 करेाड़ रुपये का कोष प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी में अनियमितताओं का आरेाप है. सीबीआई ने शुरुआत में आरोप लगाया था कि कार्ति को आईएनएक्स मीडिया को बोर्ड की मंजूरी दिलाने के बदले रिश्वत के रूप में दस लाख रुपये मिले थे. 

भ्रष्टाचार मामले से पैदा धन शोधन के एक अन्य मामले में उच्च न्यायालय ने नौ मार्च को प्रवर्तन निदेशालय को कार्ति को न तो गिरफ्तार करने और ना ही कोई दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट का यह संरक्षण बाद में 22 मार्च तक बढा दिया गया था.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईडी का मामला अपने पास स्थानान्तरित कर लिया था. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्ति चिदंबरम और सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद 16 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रखने वाले न्यायमूर्ति एस पी गर्ग द्वारा आदेश सुनाने की संभावना है. सीबीआई ने कार्ति को राहत दिये जाने का विरोध किया था.

एजेंसी ने कहा था कि उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वह इस मामले में पहले ही सबूत नष्ट कर चुके हैं और वह एक‘‘ प्रभावशाली’’ व्यक्ति हैं. कार्ति के वकील ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत कोई मामला नहीं बनता है क्योंकि सीबीआई ने न तो किसी लोक सेवक से पूछताछ की और ना ही उन्हें इस मामले में आरोपी बनाया है.

कार्ति के वकीलों ने सबूतों से छेड़छाड़ के आरोपों से इंकार किया था और कहा था कि जब सीबीआई ने हिरासत में लेकर उनसे और पूछताछ की मांग नहीं की है तो उन्हें न्यायिक हिरासत में क्यों रखा जाना चाहिए. कार्ति को पिछले साल 15 मई को दर्ज प्राथमिकी के संबंध में ब्रिटेन से लौटने पर सीबीआई द्वारा 28 फरवरी को चेन्नई में गिरफ्तार किया गया था. उन परउनके पिता के केन्द्रीय वित्त मंत्री रहते 2007 में विदेशों से करीब 305 करोड़ रुपये का कोष प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी में अनियमितताओं का आरोप है.
 


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