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This Article is From Jul 15, 2015

'दिल्ली सरकार के पास प्रचार के लिए 526 करोड़, पेंशन के लिए फंड नहीं'

'दिल्ली सरकार के पास प्रचार के लिए 526 करोड़, पेंशन के लिए फंड नहीं'
नई दिल्ली: डीटीसी में 40 साल तक कंडक्टर रह चुके सैनिक गुलाम अजगर लगभग रोज़ाना दिल्ली सचिवालय अपनी पेंशन के बाबत नई खबर जानने आते हैं।

अपनी बीमार पत्नी और खुद का खर्चा चलाने के लिए वो डीटीसी से मिलने वाली 18 हज़ार रुपये की पेंशन पर निर्भर हैं। लेकिन अपने गुणगान पर 526 करोड़ रुपये खर्च करने वाली दिल्ली सरकार के पास गुलाम अजगर जैसे करीब 12 हज़ार सेवानिवृत्त डीटीसी कर्मचारियों की पेंशन के लिए फंड नही है।

हालांकि पहले ये आरटीआई के जवाब में दिल्ली सरकार ने फंड नहीं होने की बात मानी थी। गुलाम अजगर कहते हैं कि पेंशन के लिए डीटीसी मुख्यालय से लेकर सचिवालय तक के चक्कर लगाकर जूते घिस गए हैं। लेकिन पेंशन कब मिलेगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

अब खुद परिवहन मंत्री गोपाल राय मानते हैं कि सरकार के पास पैसे नहीं है। लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं है कि जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के पास खूब पैसा होने की बात कह चुके हैं तब पेंशन क्यों नहीं दे पा रहे हैं।

ये हाल सिर्फ डीटीसी के सेवानिवृत कर्मचारियों का ही नहीं बल्कि आंगनबाड़ी और आशा वर्कर जिनकी तनख्वाह महज एक हज़ार से तीन हज़ार के बीच है, उन्हें भी दो महीने से तनख्वाह नहीं मिली है। करीब 3 हजार आशा वर्करों ने बीते पांच दिनों से दिल्ली के मुख्यमंत्री के घर का घेराव कर रखा है। पुलिस ने उनके ऊपर सख्ती भी दिखाई है, लेकिन उसके बावजूद मानदेय के लिए उनकी लड़ाई जारी है।

अभी हाल में पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने तनख्वाह नहीं मिलने के चलते हड़ताल कर रखी थी। तब दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा था कि अगर बीजेपी निगम नहीं चला पा रही है तो उसे वो चलाकर दिखाएंगे। लेकिन अब दिल्ली सरकार की हालत दूसरों को नसीहत, खुद मियां फजीहत वाली ही है...

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