नई दिल्ली:
दिल्ली में एलजी के क्या अधिकार हैं और दिल्ली सरकार के क्या, इस पर केंद्र के नोटिफ़िकेशन के बाद राजनीतिक खींचतान और बढ़ रही लगती है। दिल्ली सरकार ने अपनी लड़ाई को तेज करते हुए अब इस पर आगे की रणनीति के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया गया। वैसे विधानसभा का सत्र बजट पारित करने के लिए जून में आयोजित किया जाना था।
अधिकारियों ने बताया कि सत्र में केंद्र की ओर से जारी गजट अधिसूचना तथा निर्वाचित सरकार एवं उपराज्यपाल के बीच सत्ता की साझेदारी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि सरकार ने संवैधानिक विशेषज्ञ के के वेणुगोपाल और पूर्व सॉलीसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम से कानूनी राय ली है और दोनों ने महसूस किया कि अधिूसचना संविधान के प्रावधानों और स्थापित नियमों के खिलाफ है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा, 'मशहूर संविधान विशेषज्ञ के के वेणुगोपाल और पूर्व सॉलीसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम की कानूनी राय मंत्रिमंडल के सामने रखी गयी और उस पर बैठक में चर्चा हुई।'
मंत्रिमंडल ने यह भी निर्णय लिया कि जरूरत के हिसाब से सत्र का कार्यकाल बढ़ाया भी जा सकता है। शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना में केंद्र ने नौकरशाहों की नियुक्ति में उपराज्यपाल को पूर्ण शक्ति प्रदान की और स्पष्ट किया कि पुलिस एवं जन व्यवस्था जैसे विषयों पर उन्हें मुख्यमंत्री से परामर्श करने की कोई जरूरत नहीं है।
दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भी केंद्र सरकार के अधिकारियों एवं राजनीतिक पदाधिकारियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज करने से रोक दिया गया है।
अधिसूचना जारी होने के बाद केजरीवाल ने केंद्र पर करारा हमला बोला था और उस पर पिछले दरवाजे से दिल्ली को चलाने और भ्रष्ट लोगों की रक्षा के लिए उपराज्यपाल के पक्ष में खड़ा होकर शहर के लोगों की पीठ में छूरा घोंपने का आरोप लगाया था।
पिछले हफ्ते वरिष्ठ नौकरशाह शंकुतला गैमलीन की बतौर कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्ति से सत्तारूढ़ आप और उपराज्यपाल में पूर्ण संघर्ष छिड़ गया था। केजरीवाल ने उपराज्यपाल के प्राधिकार पर सवाल उठाया था और उन पर प्रशासन अपने हाथों में लेने का आरोप लगाया था।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया गया। वैसे विधानसभा का सत्र बजट पारित करने के लिए जून में आयोजित किया जाना था।
अधिकारियों ने बताया कि सत्र में केंद्र की ओर से जारी गजट अधिसूचना तथा निर्वाचित सरकार एवं उपराज्यपाल के बीच सत्ता की साझेदारी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि सरकार ने संवैधानिक विशेषज्ञ के के वेणुगोपाल और पूर्व सॉलीसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम से कानूनी राय ली है और दोनों ने महसूस किया कि अधिूसचना संविधान के प्रावधानों और स्थापित नियमों के खिलाफ है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा, 'मशहूर संविधान विशेषज्ञ के के वेणुगोपाल और पूर्व सॉलीसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम की कानूनी राय मंत्रिमंडल के सामने रखी गयी और उस पर बैठक में चर्चा हुई।'
मंत्रिमंडल ने यह भी निर्णय लिया कि जरूरत के हिसाब से सत्र का कार्यकाल बढ़ाया भी जा सकता है। शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना में केंद्र ने नौकरशाहों की नियुक्ति में उपराज्यपाल को पूर्ण शक्ति प्रदान की और स्पष्ट किया कि पुलिस एवं जन व्यवस्था जैसे विषयों पर उन्हें मुख्यमंत्री से परामर्श करने की कोई जरूरत नहीं है।
दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भी केंद्र सरकार के अधिकारियों एवं राजनीतिक पदाधिकारियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज करने से रोक दिया गया है।
अधिसूचना जारी होने के बाद केजरीवाल ने केंद्र पर करारा हमला बोला था और उस पर पिछले दरवाजे से दिल्ली को चलाने और भ्रष्ट लोगों की रक्षा के लिए उपराज्यपाल के पक्ष में खड़ा होकर शहर के लोगों की पीठ में छूरा घोंपने का आरोप लगाया था।
पिछले हफ्ते वरिष्ठ नौकरशाह शंकुतला गैमलीन की बतौर कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्ति से सत्तारूढ़ आप और उपराज्यपाल में पूर्ण संघर्ष छिड़ गया था। केजरीवाल ने उपराज्यपाल के प्राधिकार पर सवाल उठाया था और उन पर प्रशासन अपने हाथों में लेने का आरोप लगाया था।
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