सिंगापुर / नई दिल्ली:
दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप की शिकार हुई 23-वर्षीय लड़की की मौत हो गई है। मौत की खबर के बाद जंतर-मंतर पर हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे हुए और शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। रात में कैंडल मार्च भी निकाला। हजारों को रातभर प्रदर्शन करते रहे हैं।
इससे पहले, शनिवार की सुबह पीड़िता की मौत की खबर मिलने के बाद जंतर-मंतर पर हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जमा हुई। पुलिस ने इंडिया गेट की ओर जाने वाले तमाम मार्ग बंद कर रखे थे। इसके अलावा संसद, राष्ट्रपति भवन, तमाम मंत्रालयों की ओर जाने वाले मार्गों को भी पुलिस ने बैरिकेड लगाकर बंद कर रखा था। शाम को लोगों ने कैंडल जलाकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने भी बैरिकेड हटाकर संसद मार्ग तक कैंडल मार्च को जाने की इजाज़त दे दी। प्रदर्शनकारी शांतिपूर्वक संसद मार्ग तक गए और उसके बाद वापस लौट आए।
लोग जंतर-मंतर पर ठंड के बावजूद जमा रहे और शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करते रहे। लड़की के लिए न्याय की मांग लगातार जारी है। आधी रात के करीब भी लोग जंतर मंतर से हटने को तैयार नहीं थे। तमाम लोगों ने रात वहीं बिताने का मन बना लिया। इसके लिए कुछ लोगों ने ठंड से बचने की तैयारी भी कर ली थी।
उधर, छात्र-छात्राओंने जेएनयू से मुनीरका स्थित घटनास्थल तक जुलूस निकाला, फिर निषेधाज्ञा को ठेंगा दिखाते हुए हजारों की संख्या लोग जंतर मंतर पर जुटे और महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए कड़े कानून की मांग करते हुए नारे लगाए।
दिल्ली के अलावा, पटना, बेंगलुरु, मुंबई व अन्य कई शहरों में लोगों ने एकत्र होकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। मुंबई में आम लोगों के अलावा बॉलीवुड से जुड़े लोगों ने काली पट्टी बांधकर घटना पर रोष व्यक्त किया। इस मौके पर शबाना आजमी, जया बच्चन, हेमा मालिनी, जावेद अख्तर सहित कई फिल्मी हस्तियां मौजूद थीं। अपनी संवेदना प्रकट करते हुए जया बच्चन रो भी पड़ीं।
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी जंतर मंतर पहुंचकर सहानुभूति दिखाने का प्रयास किया, लेकिन भारी विरोध और नारेबाजी ने उन्हें बैरंग लौटने को विवश कर दिया।
सहमी हुई सरकार ने प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया, "हमने आपकी आवाज सुन ली है। आपकी चिंताओं में हम भी आपके साथ हैं।" राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीड़िता के निधन पर शोक जताते हुए देश को महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान बनाने की दिशा में हरसंभव उपाय करने का वादा किया।
राष्ट्रपति मुखर्जी ने पीड़िता को सच्ची नायक बताया। उन्होंने कहा, "मैं युवती की दुर्भाग्यपूर्ण मौत से व्यथित हूं। वह बहादुर और साहसी लड़की थी, जो अंतिम समय तक अपनी गरिमा और जीवन के लिए लड़ती रही।" उन्होंने कहा कि पीड़िता की इस मौत को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। इस तरह की घटनाएं दोबारा कभी न हों यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार हरसंभव उपाय करेगी।
सामूहिक दुष्कर्म के खिलाफ उमड़ी जन भावनाओं और छात्र-छात्राओं की ऊर्जा को देखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश को सही मायने में बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा, "यह सुनिश्चित करना हम सबके ऊपर है कि हम उसकी मौत को व्यर्थ न जाने दें।" उन्होंने पीड़िता के परिवार व दोस्तों के प्रति गहरी संवेदनाएं जताईं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोगों से कहा, "मैं आपको भरोसा दिलाना चाहती हूं कि आपकी आवाज सुन ली गई है। एक महिला और मां होने के नाते हम आपकी चिंताओं में आपके साथ हैं।"
गौरतलब हैकि छात्रा ने सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में आखरी सांस ली। अस्पताल के सीईओ डॉ केविन लोह ने कहा, हमें यह सूचना देते हुए अत्यंत दुख हो रहा है कि मरीज का 29 दिसंबर, 2012 की सुबह चार बजकर 45 मिनट पर (भारतीय समयानुसार 2:15) निधन हो गया।
लोह ने कहा, उनके परिवार के सदस्य और भारतीय उच्चायोग के अधिकारी उनके समीप मौजूद थे। दुख की इस घड़ी में माउंट एलिजबेथ हॉस्पिटल के डॉक्टर, नर्स और कर्मचारी उसके परिवार के साथ थे। लोह ने एक बयान में कहा था, शुक्रवार रात करीब नौ बजे (भारतीय समयानुसार कल शाम साढ़े छह बजे) मरीज की हालत बिगड़ने लगी थी। ऐसे संकेत मिलने लगे थे कि उनके शरीर के महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर सकते हैं।
लोह ने कहा, उन्हें बचाने के लिए डॉक्टरों ने हरसंभव कोशिश की थी। उसे सर्वाधिक कृत्रिम 'वेंटीलेशन सपोर्ट' पर रखा गया था, जो जरूरी एंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती थीं, उन्हें दी गईं और ऐसी हर कोशिश की गई, जिससे संक्रमण से मुकाबला करने की शारीरिक क्षमता मजबूत हो सके। उन्होंने बताया, उनके परिवार के सदस्यों को सूचना दे दी गई थी कि हालत लगातार बिगड़ रही है। वे लोग उनके पास ही थे और उनका हौसला बढ़ा रहे थे।
सरकार ने छात्रा के शव और उसके परिवार के सदस्यों को सिंगापुर से स्वदेश वापस लाने के लिए एयर इंडिया के विशेष विमान को वहां भेजा। एयर इंडिया के अधिकारियों ने बताया था कि चार्टर्ड विमान एयरबस ए 319 सुबह आठ बजे आईजीआई हवाई अड्डे से सिंगापुर के लिए रवाना हुआ और उसके देर रात वापस लौटने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि इस लड़की के साथ दिल्ली में 16 दिसंबर की रात चलती बस में सामूहिक बलात्कार और फिर उस पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया था। लड़की को गंभीर हालत में चलती बस से फेंक दिया गया था। घटना के विरोध में पूरे देश में जनाक्रोश भड़का और पीड़ित को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन किए गए।
सरकार ने उसे एयर एंबुलेन्स से सिंगापुर स्थित अंग प्रतिरोपण की अत्याधुनिक सुविधाओं वाले अस्पताल में इलाज के लिए भेजा था। यहां आने से पहले पीड़ित दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती थीं, जहां तीन ऑपरेशन किए गए। वहां भी अधिकतर समय उन्हें वेन्टीलेटर पर ही रखा गया था। चोट और संक्रमण की वजह से डॉक्टरों ने उनकी आंत का बहुत बड़ा हिस्सा निकाल दिया था।
सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त टीसीए राघवन ने संवाददाताओं को बताया कि लड़की के अभिभावक और परिवार के अन्य सदस्य पार्थिव देह लेकर जाएंगे। राघवन ने कहा कि अंतिम संस्कार के बारे में परिवार ने अभी कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा कि लड़की ने बड़ी बहादुरी हिम्मत के साथ आखिरी सांस तक संघर्ष किया।
राघवन ने कहा, इस घटना से लड़की का पूरा परिवार बुरी तरह सदमे में है। उन्होंने माना है कि पीड़ित का बेहतरीन इलाज किया गया, लेकिन चोटें इतनी गंभीर थीं कि उसे बचाया नहीं जा सका। उन्होंने कहा कि परिवार के लिए आखिरी कुछ घंटे बेहद कठिन थे और उन्होंने पूरी हिम्मत तथा साहस के साथ काम लिया।
राघवन ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का शोक संदेश लड़की के परिवार वालों तक पहुंचा दिया है। मनमोहन सिंह ने संदेश में भारत को महिलाओं के रहने के लिए सुरक्षित और बेहतर बनाने की इच्छा जाहिर की है।
राघवन ने कहा कि लड़की की मौत पर गहरा दुख जाहिर करते हुए उच्चायोग कार्यालय में सिंगापुर सरकार सहित अलग-अलग हिस्सों से संदेश आए हैं। लड़की को दिल्ली से सिंगापुर लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सफदरजंग अस्पताल और माउंट एलिजबेथ अस्पताल के डॉक्टरों के बीच विचार-विमर्श हुआ और लड़की को यहां लाने से पहले हर पहलू पर जरूर गौर किया गया होगा।
इस लड़की के साथ दिल्ली में 16 दिसंबर की रात चलती बस में सामूहिक बलात्कार और फिर उस पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया था। लड़की को गंभीर हालत में चलती बस से फेंक दिया गया था। घटना के विरोध में पूरे देश में जनाक्रोश भड़का और पीड़ित को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर जगह जगह प्रदर्शन किए गए।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
इससे पहले, शनिवार की सुबह पीड़िता की मौत की खबर मिलने के बाद जंतर-मंतर पर हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जमा हुई। पुलिस ने इंडिया गेट की ओर जाने वाले तमाम मार्ग बंद कर रखे थे। इसके अलावा संसद, राष्ट्रपति भवन, तमाम मंत्रालयों की ओर जाने वाले मार्गों को भी पुलिस ने बैरिकेड लगाकर बंद कर रखा था। शाम को लोगों ने कैंडल जलाकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने भी बैरिकेड हटाकर संसद मार्ग तक कैंडल मार्च को जाने की इजाज़त दे दी। प्रदर्शनकारी शांतिपूर्वक संसद मार्ग तक गए और उसके बाद वापस लौट आए।
लोग जंतर-मंतर पर ठंड के बावजूद जमा रहे और शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करते रहे। लड़की के लिए न्याय की मांग लगातार जारी है। आधी रात के करीब भी लोग जंतर मंतर से हटने को तैयार नहीं थे। तमाम लोगों ने रात वहीं बिताने का मन बना लिया। इसके लिए कुछ लोगों ने ठंड से बचने की तैयारी भी कर ली थी।
उधर, छात्र-छात्राओंने जेएनयू से मुनीरका स्थित घटनास्थल तक जुलूस निकाला, फिर निषेधाज्ञा को ठेंगा दिखाते हुए हजारों की संख्या लोग जंतर मंतर पर जुटे और महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए कड़े कानून की मांग करते हुए नारे लगाए।
दिल्ली के अलावा, पटना, बेंगलुरु, मुंबई व अन्य कई शहरों में लोगों ने एकत्र होकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। मुंबई में आम लोगों के अलावा बॉलीवुड से जुड़े लोगों ने काली पट्टी बांधकर घटना पर रोष व्यक्त किया। इस मौके पर शबाना आजमी, जया बच्चन, हेमा मालिनी, जावेद अख्तर सहित कई फिल्मी हस्तियां मौजूद थीं। अपनी संवेदना प्रकट करते हुए जया बच्चन रो भी पड़ीं।
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी जंतर मंतर पहुंचकर सहानुभूति दिखाने का प्रयास किया, लेकिन भारी विरोध और नारेबाजी ने उन्हें बैरंग लौटने को विवश कर दिया।
सहमी हुई सरकार ने प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया, "हमने आपकी आवाज सुन ली है। आपकी चिंताओं में हम भी आपके साथ हैं।" राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीड़िता के निधन पर शोक जताते हुए देश को महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान बनाने की दिशा में हरसंभव उपाय करने का वादा किया।
राष्ट्रपति मुखर्जी ने पीड़िता को सच्ची नायक बताया। उन्होंने कहा, "मैं युवती की दुर्भाग्यपूर्ण मौत से व्यथित हूं। वह बहादुर और साहसी लड़की थी, जो अंतिम समय तक अपनी गरिमा और जीवन के लिए लड़ती रही।" उन्होंने कहा कि पीड़िता की इस मौत को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। इस तरह की घटनाएं दोबारा कभी न हों यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार हरसंभव उपाय करेगी।
सामूहिक दुष्कर्म के खिलाफ उमड़ी जन भावनाओं और छात्र-छात्राओं की ऊर्जा को देखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश को सही मायने में बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा, "यह सुनिश्चित करना हम सबके ऊपर है कि हम उसकी मौत को व्यर्थ न जाने दें।" उन्होंने पीड़िता के परिवार व दोस्तों के प्रति गहरी संवेदनाएं जताईं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोगों से कहा, "मैं आपको भरोसा दिलाना चाहती हूं कि आपकी आवाज सुन ली गई है। एक महिला और मां होने के नाते हम आपकी चिंताओं में आपके साथ हैं।"
गौरतलब हैकि छात्रा ने सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में आखरी सांस ली। अस्पताल के सीईओ डॉ केविन लोह ने कहा, हमें यह सूचना देते हुए अत्यंत दुख हो रहा है कि मरीज का 29 दिसंबर, 2012 की सुबह चार बजकर 45 मिनट पर (भारतीय समयानुसार 2:15) निधन हो गया।
लोह ने कहा, उनके परिवार के सदस्य और भारतीय उच्चायोग के अधिकारी उनके समीप मौजूद थे। दुख की इस घड़ी में माउंट एलिजबेथ हॉस्पिटल के डॉक्टर, नर्स और कर्मचारी उसके परिवार के साथ थे। लोह ने एक बयान में कहा था, शुक्रवार रात करीब नौ बजे (भारतीय समयानुसार कल शाम साढ़े छह बजे) मरीज की हालत बिगड़ने लगी थी। ऐसे संकेत मिलने लगे थे कि उनके शरीर के महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर सकते हैं।
लोह ने कहा, उन्हें बचाने के लिए डॉक्टरों ने हरसंभव कोशिश की थी। उसे सर्वाधिक कृत्रिम 'वेंटीलेशन सपोर्ट' पर रखा गया था, जो जरूरी एंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती थीं, उन्हें दी गईं और ऐसी हर कोशिश की गई, जिससे संक्रमण से मुकाबला करने की शारीरिक क्षमता मजबूत हो सके। उन्होंने बताया, उनके परिवार के सदस्यों को सूचना दे दी गई थी कि हालत लगातार बिगड़ रही है। वे लोग उनके पास ही थे और उनका हौसला बढ़ा रहे थे।
सरकार ने छात्रा के शव और उसके परिवार के सदस्यों को सिंगापुर से स्वदेश वापस लाने के लिए एयर इंडिया के विशेष विमान को वहां भेजा। एयर इंडिया के अधिकारियों ने बताया था कि चार्टर्ड विमान एयरबस ए 319 सुबह आठ बजे आईजीआई हवाई अड्डे से सिंगापुर के लिए रवाना हुआ और उसके देर रात वापस लौटने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि इस लड़की के साथ दिल्ली में 16 दिसंबर की रात चलती बस में सामूहिक बलात्कार और फिर उस पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया था। लड़की को गंभीर हालत में चलती बस से फेंक दिया गया था। घटना के विरोध में पूरे देश में जनाक्रोश भड़का और पीड़ित को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन किए गए।
सरकार ने उसे एयर एंबुलेन्स से सिंगापुर स्थित अंग प्रतिरोपण की अत्याधुनिक सुविधाओं वाले अस्पताल में इलाज के लिए भेजा था। यहां आने से पहले पीड़ित दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती थीं, जहां तीन ऑपरेशन किए गए। वहां भी अधिकतर समय उन्हें वेन्टीलेटर पर ही रखा गया था। चोट और संक्रमण की वजह से डॉक्टरों ने उनकी आंत का बहुत बड़ा हिस्सा निकाल दिया था।
सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त टीसीए राघवन ने संवाददाताओं को बताया कि लड़की के अभिभावक और परिवार के अन्य सदस्य पार्थिव देह लेकर जाएंगे। राघवन ने कहा कि अंतिम संस्कार के बारे में परिवार ने अभी कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा कि लड़की ने बड़ी बहादुरी हिम्मत के साथ आखिरी सांस तक संघर्ष किया।
राघवन ने कहा, इस घटना से लड़की का पूरा परिवार बुरी तरह सदमे में है। उन्होंने माना है कि पीड़ित का बेहतरीन इलाज किया गया, लेकिन चोटें इतनी गंभीर थीं कि उसे बचाया नहीं जा सका। उन्होंने कहा कि परिवार के लिए आखिरी कुछ घंटे बेहद कठिन थे और उन्होंने पूरी हिम्मत तथा साहस के साथ काम लिया।
राघवन ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का शोक संदेश लड़की के परिवार वालों तक पहुंचा दिया है। मनमोहन सिंह ने संदेश में भारत को महिलाओं के रहने के लिए सुरक्षित और बेहतर बनाने की इच्छा जाहिर की है।
राघवन ने कहा कि लड़की की मौत पर गहरा दुख जाहिर करते हुए उच्चायोग कार्यालय में सिंगापुर सरकार सहित अलग-अलग हिस्सों से संदेश आए हैं। लड़की को दिल्ली से सिंगापुर लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सफदरजंग अस्पताल और माउंट एलिजबेथ अस्पताल के डॉक्टरों के बीच विचार-विमर्श हुआ और लड़की को यहां लाने से पहले हर पहलू पर जरूर गौर किया गया होगा।
इस लड़की के साथ दिल्ली में 16 दिसंबर की रात चलती बस में सामूहिक बलात्कार और फिर उस पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया था। लड़की को गंभीर हालत में चलती बस से फेंक दिया गया था। घटना के विरोध में पूरे देश में जनाक्रोश भड़का और पीड़ित को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर जगह जगह प्रदर्शन किए गए।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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