Delhi Elections 2020 Voting: दिल्ली में विधानसभा चुनाव जारी
नई दिल्ली:
Delhi Election Voting: दिल्ली में शनिवार को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान जारी है. चुनाव आयोग ने होने वाले 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं. राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं. शाहीन बाग में चल रहे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों के मद्देनजर दिल्ली में चुनाव आयोग ने खास तैयारी की है. संवेदनशील क्षेत्रों पर चुनाव आयोग की पैनी नजर है.
दिल्ली में मतदान आज, 10 Points
- दिल्ली में शनिवार को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग जारी है. इस चुनाव में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. दिल्ली में कुल 70 विधानसभा सीटें हैं. इस चुनाव में 672 उम्मीदवार मैदान में हैं. दिल्ली में शनिवार को सुबह आठ बजे मतदान शुरू हुआ जो कि शाम छह बजे समाप्त होगा. चुनाव के नतीजे 11 फरवरी को घोषित किए जाएंगे.
- दिल्ली का यह विधानसभा चुनाव काफी कशमकश भरा है. बीजेपी इस चुनाव के जरिए पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में मिली हार की कुछ हद तक भरपाई करना चाहती है. बीजेपी ने राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, सीएए जैसे मुद्दों को लेकर जोर लगाया है. पूर्व में लंबे अरसे तक दिल्ली के सिंहासन पर काबिज रही कांग्रेस भी सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए है. सत्ताधारी दिल्ली आम आदमी पार्टी ने विकास के नाम पर वोट मांगे हैं और उसे आशा है कि दिल्ली वासी उसे दूसरी बार भी चुनेंगे.
- दिल्ली में करीब 1.47 करोड़ मतदाता हैं. इनमें से 2,32,815 मतदाता 18 से 19 साल आयुवर्ग के हैं. दिल्ली में पुरुष मतदाताओं की तादाद 80,55,686 है, जबकि 66,35,635 महिला मतदाता हैं. राष्ट्रीय राजधानी में 815 मतदाता थर्ड जेंडर के हैं, जबकि एनआरआई मतदाताओं की संख्या 489 है. दिल्ली में सर्विस वोटरों की कुल संख्या 11,556 है. इसके अलावा 55,823 मतदाता दिव्यांग श्रेणी के हैं.
- दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 2,689 स्थानों पर कुल 13,750 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं. संवेदनशील मतदान केंद्रों में 516 जगहों पर 3704 बूथ इस श्रेणी में हैं. शाहीन बाग समेत अन्य संवेदनशील मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. मॉडल मतदान केंद्र सभी 70 निर्वाचन क्षेत्रों में, प्रत्येक में एक हैं. वहां एक-एक पिंक बूथ भी हैं.
- इस बार चुनाव में मोबाइल ऐप, क्यूआर कोड, सोशल मीडिया इंटरफेस जैसी तकनीकों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. दिल्ली के 11 जिलों की एक-एक ऐसी विधानसभा सीट चुनी गई है जिन पर मतदाता मतदान पर्ची बूथ पर नहीं लाने की स्थिति में स्मार्टफोन के जरिए हेल्पलाइन ऐप से क्यूआर कोड प्राप्त कर सकेगा. इनमें सुल्तानपुर माजरा, सीलमपुर, बल्लीमारान, बिजवासन, त्रिलोकपुरी, शकूर बस्ती, नई दिल्ली, रोहतास नगर, छतरपुर, राजौरी गार्डन और जंगपुरा शामिल हैं.
- दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रणबीर सिंह का दावा है कि चुनाव में इस्तेमाल की रहीं सभी ईवीएम की जांच की गई है और वे फुलप्रूफ हैं. उनसे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव कर्मी ईवीएम और अन्य मतदान सामग्री कड़ी निगरानी में लेकर गए हैं. बड़ी संख्या में मतदान केंद्र स्थापित हो गए हैं.
- दिल्ली के इस चुनाव में दो लाख से ज्यादा लोग पहली बार वोट देंगे. दिल्ली के कुल मतदाताओं में से 2,08,883 मतदाता 18 से 19 साल के बीच हैं. यह लोग पहली बार मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे. दिल्ली की कुल आबादी करीब दो करोड़ है. इनमें से शहरी आबादी 97.5 प्रतिशत और ग्रामीण जनसंख्या 2.5 प्रतिशत है. दिल्ली में सबसे ज्यादा 80 फीसदी लोग हिंदू समुदाय से हैं. इसके बाद 12.8 फीसदी मुस्लिम समुदाय, 4.4 फीसदी सिख समुदाय, 1.4 फीसदी जैन समुदाय, 1.0 फीसदी ईसाई समुदाय और 0.1 फीसदी बुद्ध समुदाय के लोग हैं. इसके अलावा 0.2 फीसदी अन्य समुदायों के लोग हैं.
- दिल्ली में चुनाव के मद्देनजर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 190 कंपनियों को तैनात किया गया है. इसके अलावा 40,000 पुलिसकर्मी और होमगार्ड के 19,000 जवान तैनात किए गए हैं. उत्तराखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से बुलाए गए होमगार्ड के जवान मतदान केंद्रों पर सुरक्षा में स्थानीय पुलिस की मदद के लिए तैनात हैं. पुलिस ने 504 गैरकानूनी हथियार जब्त किए हैं और 7,397 लाइसेंसी हथियार एहतियातन जमा करवा लिए हैं.
- साल 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 67 और बीजेपी को तीन सीटें मिली थीं. तीन सीटें बीजेपी को मिली थीं. कांग्रेस को एक भी क्षेत्र में विजय नहीं मिल सकी थी. आम आदमी पार्टी को 54.3 फीसदी और बीजेपी को 32.2 फीसदी वोट मिले थे. कांग्रेस को सिर्फ 9.7 फीसदी वोट हासिल हुए थे. दिल्ली के शाहीनबाग और जामिया में सीएए और एनआरसी के खिलाफ चल रहे आंदोलनों के दौर में यह चुनाव कहीं ज्यादा अहम हो गया है. चुनाव प्रचार में भी यह मुद्दे छाए रहे हैं.
- दिल्ली राज्य विधानसभा का गठन पहली बार 17 मार्च 1952 को किया गया था. लेकिन एक अक्टूबर 1956 को इसका उन्मूलन कर दिया गया. इसके बाद 1966 में विधानसभा की जगह 56 निर्वाचित और 5 मनोनीत सदस्यों वाली एक मेट्रोपोलिटन काउंसिल बनी. इसके बाद से 56 सीटों पर 1983, 1977 और 1972 में चुनाव हुए. साल 1991 में 69वें संविधान संशोधन अधिनियम 1991 और बाद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम 1991 ने केंद्र-शासित दिल्ली को औपचारिक रूप से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की पहचान दी. इसके जरिए विधानसभा एवं मंत्री परिषद से संबंधित संवैधानिक प्रावधान निर्धारित किए गए. इसके बाद दिल्ली में सन 1993, 1998, 2003, 2008, 2013 और 2015 में विधानसभा चुनाव हुए.