दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
नई दिल्ली: दिल्ली में 2002 में हुए सीएनजी घोटाले की जांच दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच दोबारा जांच करेगी। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय सीएनजी किट लगाने का ठेका दो कंपनियों को दिया गया था। बताया जाता है कि इसमें 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान दिल्ली सरकार को उठाना पड़ा था। हालांकि कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि एंटीकरप्शन ब्रांच के जरिए राजनीतिक बदला लिया जा रहा है। लेकिन दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच अब दोबारा सीएनजी घोटाले की जांच करेगी।
जांच के दायरे में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खास नौकरशाह जीएम सपोलिया और पीके त्रिपाठी भी हैं।
इसी के चलते कांग्रेस का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल एंटी करप्शन ब्रांच के जरिए राजनीतिक विरोधियों से बदला ले रहे हैं। दरअसल दिल्ली में एक कंपनियों को सीएनजी किट लगाने का ठेका दिया गया था, लेकिन इसमें कई खामियां मिली। बिना टेंडर के ठेका दिया गया। इसमें खर्च सरकार कर रही थी और आमदनी कंपनी ले रही थी। फर्जी फिटनेस टेस्ट करके पैसा लिया जा रहा था।
सीबीआई ने जांच करके अपनी रिपोर्ट दिल्ली सरकार को दी। लेकिन उसके बावजूद उपराज्यपाल ने दिल्ली एंटी करप्शन ब्रांच को मामला दर्ज करने की अनुमति नहीं दी।
हालांकि सीबीआई की जांच रिपोर्ट और एंटी करप्शन ब्रांच की जांच के बावजूद इस घोटाले की बड़ी मछलियों पर शिकंजा नहीं कसा जा सका था।