बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी
बिहार बीजेपी के नेताओं ने वोट हासिल करने के लिए कुछ भी करने की ठान ली है। भले ही इसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नसीहत को भी ताक पर रखने की जरूरत क्यों न पड़ जाए।
जहां एक ओर प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति समारोह में उनकी पंक्तियों को उद्धृत कर बिहार में जाति से ऊपर उठने की जरूरत बता रहे थे, वहीं 24 घंटे के अंदर बिहार बीजेपी के नेताओं ने खुलेआम गोस्वामी समाज के जातीय सम्मलेन का न सिर्फ आयोजन किया, बल्कि पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता जैसे सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव, मंगल पाण्डेय आदि इसमें शरीक भी हुए। गोस्वामी समाज अति पिछड़ी जाति में आता है।
पीएम मोदी ने शुक्रवार को दिनकर को उद्धृत करते हुए कहा था, 'आप एक या दो जातियों के सहारे शासन नहीं कर सकते। अगर आप जातपात से ऊपर नहीं उठेंगे, तब बिहार का सामाजिक विकास प्रभावित होगा।' प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को जो बातें कहीं, उस पर सुशील मोदी ने सफाई दी कि पीएम की बातें बिहार के चुनावों के संदर्भ में नहीं थीं।
दरअसल, बिहार बीजेपी के जो नेता शनिवार को गोस्वामी सम्मलेन में शामिल हुए, उन्हें मालूम है कि प्रधानमंत्री के भाषण के संदर्भ में उनकी जमकर किरकिरी होगी, लेकिन शायद फ़िलहाल उन्हें इसकी परवाह नहीं है। बिहार में चुनावी साल होने के कारण बीजेपी विभिन्न जातियों को संगठित करने की योजना से पीछे नहीं हटना चाहती।
एक और अहम बात यह भी है कि प्रधानमंत्री भले भाषण में जातियों से ऊपर उठने की बात करते हों, लेकिन बिहार में जीत उनके लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। बिहार बीजेपी इन दिनों एक के बाद एक जातीय सम्मेलन कर उन्हें अपनी ओर संगठित करने की कोशिश में जुटी हुई है।
इससे पूर्व बिहार बीजेपी ने सम्राट अशोक को कुशवाहा जाति का मानते हुए एक कुशवाहा सम्मलेन भी आयोजित किया था। इसके अलावा जातीय आधार के विस्तार के लिए चाहे निषाद सम्मलेन हो या महाराणा प्रताप जयंती, फ़िलहाल बिहार बीजेपी बढ़-चढ़कर ऐसे आयोजनों में जुटी हुई है।
जहां एक ओर प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति समारोह में उनकी पंक्तियों को उद्धृत कर बिहार में जाति से ऊपर उठने की जरूरत बता रहे थे, वहीं 24 घंटे के अंदर बिहार बीजेपी के नेताओं ने खुलेआम गोस्वामी समाज के जातीय सम्मलेन का न सिर्फ आयोजन किया, बल्कि पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता जैसे सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव, मंगल पाण्डेय आदि इसमें शरीक भी हुए। गोस्वामी समाज अति पिछड़ी जाति में आता है।
पीएम मोदी ने शुक्रवार को दिनकर को उद्धृत करते हुए कहा था, 'आप एक या दो जातियों के सहारे शासन नहीं कर सकते। अगर आप जातपात से ऊपर नहीं उठेंगे, तब बिहार का सामाजिक विकास प्रभावित होगा।' प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को जो बातें कहीं, उस पर सुशील मोदी ने सफाई दी कि पीएम की बातें बिहार के चुनावों के संदर्भ में नहीं थीं।
दरअसल, बिहार बीजेपी के जो नेता शनिवार को गोस्वामी सम्मलेन में शामिल हुए, उन्हें मालूम है कि प्रधानमंत्री के भाषण के संदर्भ में उनकी जमकर किरकिरी होगी, लेकिन शायद फ़िलहाल उन्हें इसकी परवाह नहीं है। बिहार में चुनावी साल होने के कारण बीजेपी विभिन्न जातियों को संगठित करने की योजना से पीछे नहीं हटना चाहती।
एक और अहम बात यह भी है कि प्रधानमंत्री भले भाषण में जातियों से ऊपर उठने की बात करते हों, लेकिन बिहार में जीत उनके लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। बिहार बीजेपी इन दिनों एक के बाद एक जातीय सम्मेलन कर उन्हें अपनी ओर संगठित करने की कोशिश में जुटी हुई है।
इससे पूर्व बिहार बीजेपी ने सम्राट अशोक को कुशवाहा जाति का मानते हुए एक कुशवाहा सम्मलेन भी आयोजित किया था। इसके अलावा जातीय आधार के विस्तार के लिए चाहे निषाद सम्मलेन हो या महाराणा प्रताप जयंती, फ़िलहाल बिहार बीजेपी बढ़-चढ़कर ऐसे आयोजनों में जुटी हुई है।
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