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This Article is From Feb 13, 2021

लद्दाख बॉर्डर का दौरा करेगी स्थायी समिति, स्पीकर और रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिलना है बाकी

राहुल गांधी के ओर से चीन को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने पर उन्होंने कहा कि वे बेबुनियाद हैं. वे राजनीतिक कारणों से ये सवाल उठा रहे हैं, ताकि लोगों को भ्रमित किया जा सके.

लद्दाख बॉर्डर का दौरा करेगी स्थायी समिति, स्पीकर और रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिलना है बाकी
नई दिल्ली:

रक्षा मंत्रालय की स्थायी समिति लद्दाख बॉर्डर (Ladakh Border) का दौरा करेगी. लेकिन उससे पहले अभी इस प्रस्ताव स्पीकर और रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिलना बाकी है. रक्षा मंत्रालय की स्थायी समिति के अध्यक्ष जुआल ओरम (Jual Oram) ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि अगर मंजूरी मिलती है तो दौरा 15 मई के बाद ही होगा. एनडीटीवी को उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बोलने से पहले ही यह यह तय हो चुका था. कमेटी की 9 तारीख की बैठक में इसे उठाया गया था. अभी स्पीकर के पास प्रस्ताव गया है, और रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही ये हो सकता है. इस दौरान गलवान घाटी का भी दौरान शामिल है, जहां चीन और भारत की सेना में भिड़ंत हुई थी.

 राहुल गांधी के ओर से चीन को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने पर उन्होंने कहा कि वे बेबुनियाद हैं. वे राजनीतिक कारणों से ये सवाल उठा रहे हैं, ताकि लोगों को भ्रमित किया जा सके. एक बार रक्षा मंत्री के बयान दिए जाने के बाद सवाल उठाना सहित नहीं है. 

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राहुल गांधी के संसद समिति में सवाल उठाने की मंजूरी नहीं मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि नहीं ऐसा कुछ नहीं है. जब स्थायी समिति की बैठक होती है तो उसका एजेंडा तय होता है कि आपको आज किस मुद्दे पर बात करनी है. एजेंडे के बाहर बात करने के लिए चेयरमैन की अनुमति चाहिए. हमने कहा कि जिस दिन जो एजेंडा है, उस पर बात की जाए. एजेंडे के बाहर नहीं बोल सकते. 

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बता दें, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जोएल ओराम की अध्यक्षता वाली यह 30 सदस्यीय समिति ने पूर्वी लद्दाख के क्षेत्र में जाने की मंशा बनाई है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इसके सदस्य हैं. इस क्षेत्र में जाने का निर्णय समिति की पिछली बैठक में किया गया. उस बैठक में गांधी उपस्थित नहीं थे. नौ माह तक चले गतिरोध के बाद भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगांग नदी के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों से सैनिकों को हटाने की सहमति बनी. इसके तहत दोनों पक्ष अग्रिम तैनातियों से सैनिकों को चरणबद्ध, समन्वित और पुष्टि योग्य तरीके से हटाएंगे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को संसद में इस समझौते के बारे में संसद में विस्तार से बयान दिया था.

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