केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को अदालत ने पूर्व जेडीयू नेता साबिर अली द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में उस समय बरी कर दिया, जब कोर्ट को बताया गया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है।
साबिर अली ने मोदी मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री नकवी से 16 सितंबर को कहा था कि वह इंडियन मुजाहिदीन के गिरफ्तार सह-संस्थापक यासीन भटकल से कथित तौर पर उनका नाम जोड़ने के लिए लिखित में माफी मांगें।
अदालत ने 9 जुलाई को इस मामले में नकवी को जमानत प्रदान कर दी थी। शनिवार को मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट आकाश जैन के समक्ष कार्यवाही शुरू होते ही अली की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता और नकवी के बीच समझौता हो गया है तथा मामला सुलझ गया है।
अली के वकील ने अदालत को यह भी बताया कि वह उनके मुवक्किल द्वारा नकवी के खिलाफ इस साल के शुरू में दायर की गई आपराधिक मानहानि की शिकायत वापस लेने के लिए पहले ही आवेदन दायर कर चुके हैं।
मजिस्ट्रेट ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के मद्देनजर वर्तमान शिकायत वापस ले ली गई है, इसलिए आरोपी (नकवी) को बरी किया जाता है। बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी को 9 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद में अल्पसंख्यक एवं संसदीय मामलों के राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया गया था।
अदालत ने पूर्व में नकवी को यह कहकर आरोपी के रूप में समन जारी किया था कि मामले में उनके खिलाफ 'प्रथम दृष्टया' सबूत और पर्याप्त आधार है। साबिर अली ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि नकवी ने मार्च में उन्हें संदिग्ध आतंकवादी भटकल का मित्र बताया था और सोशल मीडिया, अखबारों तथा टीवी चैनलों के जरिये यह खबर पूरे देश तथा विदेशों में भी फैल गई।
पूर्व जेडीयू नेता ने कहा था कि इस साल मार्च में उनके द्वारा नरेंद्र मोदी, जो उस समय प्रधानमंत्री पद के लिए बीजेपी के उम्मीदवार थे, की सराहना किए जाने के बाद उन्हें जेडीयू से निकाल दिया गया था।
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