प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:
भारत में मालदीव के राजदूत ने कहा कि यहां एक नौसैनिक अभ्यास में शामिल होने के भारत के निमंत्रण को मालदीव ने अपने देश में आपातकाल की स्थिति की वजह से खारिज किया है. हालांकि उन्होंने कहा कि दोनों देशों का उत्कृष्ट रक्षा और सैन्य सहयोग का लंबा इतिहास है और यह परंपरा चलती रहेगी. राजदूत अहमद मोहम्मद के बयानों को यहां इस तरह की धारणाओं को दूर करने का प्रयास माना जा रहा है कि मालदीव ने 6 मार्च से भारत में शुरू हो रहे आठ दिन के नौसैनिक अभ्यास 'मिलन' में शामिल होने के भारत के निमंत्रण को अपने देश में आपातकाल के लिए यामीन सरकार की आलोचना करने पर नई दिल्ली के सामने प्रतिक्रिया स्वरूप खारिज कर दिया है.
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राजदूत ने कहा, 'मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि मालदीव इस समय अपने यहां गंभीर अपराध के लिए जांच में घिरे लोगों के लिए आपातकाल के हालात की वजह से नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने में असमर्थ है. खासतौर पर इस तरह के समय में सुरक्षाकर्मियों से सर्वोच्च स्तर की तैयारी की अपेक्षा की जाती है.' उन्होंने कहा, 'हालात की मांग है कि अधिकारी अपने देश में अपनी जगहों पर तैनात रहें, इसलिए हमने उन्हें विदेश में अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने से दूर रखा है. ऐसे समय में नौसैनिक अभ्यास में भाग नहीं ले पाना असाधारण नहीं है.'
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राजदूत ने यह भी कहा कि मालदीव और भारत के बीच उत्कृष्ट रक्षा और सैन्य सहयोग का लंबा इतिहास रहा है और हमें विश्वास है कि यह परंपरा हमेशा चलती रहेगी.
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राजदूत ने कहा, 'मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि मालदीव इस समय अपने यहां गंभीर अपराध के लिए जांच में घिरे लोगों के लिए आपातकाल के हालात की वजह से नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने में असमर्थ है. खासतौर पर इस तरह के समय में सुरक्षाकर्मियों से सर्वोच्च स्तर की तैयारी की अपेक्षा की जाती है.' उन्होंने कहा, 'हालात की मांग है कि अधिकारी अपने देश में अपनी जगहों पर तैनात रहें, इसलिए हमने उन्हें विदेश में अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने से दूर रखा है. ऐसे समय में नौसैनिक अभ्यास में भाग नहीं ले पाना असाधारण नहीं है.'
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राजदूत ने यह भी कहा कि मालदीव और भारत के बीच उत्कृष्ट रक्षा और सैन्य सहयोग का लंबा इतिहास रहा है और हमें विश्वास है कि यह परंपरा हमेशा चलती रहेगी.
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